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"मुझे अब सड़कों पर झाड़ू लगानी होगी ?" ममता बनर्जी का नगर निकाय प्रमुखों से तीखा सवाल 


कोलकाता:

पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने सोमवार को राज्य के नगर निकाय प्रमुखों से तीखा सवाल किया: “यहां तक ​​कि सड़कों पर भी झाड़ू नहीं लगाई जाती है. क्या अब मुझे सड़कों पर झाड़ू लगाने के लिए बाहर निकलना होगा?” बनर्जी राज्य सचिवालय नबन्ना में आयोजित एक बैठक में बोल रही थीं, जिसमें नगर निकाय प्रमुख, उनके कैबिनेट सहयोगी और कुछ विधायक शामिल हुए थे. उन्होंने कहा, “कुछ लोग रिश्वत ले रहे हैं और अतिक्रमण होने दे रहे हैं. आप यह क्यों नहीं समझते कि बंगाल की पहचान खराब हो रही है, क्योंकि आप लोग पैसे ले रहे हैं? जहां भी जमीन है, वहां अतिक्रमण किया जा रहा है.”

यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि सत्तारूढ़ दल राज्य में अगले साल होने वाले निकाय चुनावों के लिए कमर कस रहा है. हाल के लोकसभा चुनावों में 121 नगर निकायों में से 69 पर सत्तारूढ़ दल पीछे चल रहा था. 

बंगाल की पहचान बिगाड़ने का मुद्दा उठाया 

बंगाल की पहचान बिगाड़ने का मुद्दा उठाते हुए ममता बनर्जी ने कहा, “हमारे कंधों पर बोझ डाला जा रहा है. इसके बाद राज्य की पहचान खत्म हो जाएगी. हमें बांग्लाभाषी लोग नहीं मिलेंगे. आज हर कोई हिंदी और अंग्रेजी जानता है. मैं किसी भाषा का अपमान नहीं कर रहा हूं. जब मैं यह कहती हूं तो मैं उन्हें बड़ा कर रही हूं.”

उन्‍होंने कहा, “याद रखें कि हर राज्य की अपनी पहचान है. उसकी संस्कृति है. हम अन्य संस्कृतियों को भी पसंद करते हैं और उनका सम्मान करते हैं, लेकिन जो लोग बंगाल की पहचान को बिगाड़ने की साजिश में लगे हुए हैं, जब मैं यह कहती हूं तो मैं उन सभी को चेतावनी दे रही हूं. पैसे के बदले बंगाल की पहचान खराब नहीं होनी चाहिए. यह मेरी पहली और आखिरी चेतावनी है.” 

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सरकारी संपत्ति किसी की निजी संपत्ति नहीं है : बनर्जी 

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख भूमि विभाग की प्रभारी हैं. उन्‍होंने हाल ही में बंगाल में अवैध भूमि अतिक्रमण पर एक रिपोर्ट मांगी है.

उन्होंने गुस्से में कहा, “सरकारी संपत्ति और जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है और इसे पैसे के लिए अनुमति दी जा रही है. सरकारी संपत्ति किसी की निजी संपत्ति नहीं है.”

उन्होंने अपनी ही पार्टी के विधायक और राज्य मंत्री सुजीत बोस की खिंचाई करते हुए कहा, “किसी भी विधायक, सांसद, मंत्री, डीएम की बात मत सुनो. इसे आदत मत बनाओ. पैसा कमाना बंद करो. सुजीत बोस यहां हैं. साल्ट लेक अव्‍यवस्थित है.”

सुजीत बोस बिधाननगर के विधायक हैं, जिसे साल्ट लेक के नाम से भी जाना जाता है.

अवैध गतिविधि और अतिक्रमण की अनुमति नहीं दूंगी : बनर्जी 

गुस्सा जारी रखते हुए उन्होंने हावड़ा के जिला मजिस्ट्रेट के बारे में पूछा, “क्या हावड़ा के डीएम यहां हैं? पार्षद वहां नहीं हैं और विधायक फायदा उठा रहे हैं. एसडीओ काम नहीं कर रहे हैं. आप जानते हैं कि वे क्या फायदा उठा रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “मैं किसी भी अवैध गतिविधि और अतिक्रमण की अनुमति नहीं दूंगी. मैं इसे अब और बर्दाश्त नहीं करूंगी.”

साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने जमीन पर कब्जा किया, उन्होंने “भाजपा को वोट दिया है”.

बंगाल का पानी बेच रही है केंद्र सरकार : बनर्जी  

केंद्र सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार बंगाल का पानी बेच रही है. उन्होंने तीस्ता पर जलविद्युत परियोजनाएं बनाईं. पहले त्रिपक्षीय बैठकें हुई थीं. तीस्ता में पानी नहीं है. वे सोचते हैं कि सिर्फ इसलिए कि उन्होंने उत्तर बंगाल जीत लिया है, वे जो चाहेंगे वही करेंगे. वे बंगाल का पानी बेच रहे हैं. मैं पीएम को कड़ा पत्र लिखूंगी. फरक्का में कोई ड्रेजिंग नहीं है और अब कोलकाता बंदरगाह प्रभावित है.”

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साथ ही कहा, “उन्होंने सिक्किम में 14 बांध बनाए और अब वे बांग्लादेश को पानी देना चाहते हैं. अगर बंगाल को पानी से वंचित करने की योजना है, तो विरोध होगा. मैं भी बांग्लादेश के साथ दोस्ती चाहती हूं. मैंने बांग्लादेश के लिए ट्रेनें शुरू की हैं.”

कतरफा चर्चाएं न स्वीकार्य, न ही वांछनीय : बनर्जी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में बंगाल की मुख्यमंत्री ने केंद्र और बांग्लादेश के बीच पानी के बंटवारे पर बातचीत को लेकर आपत्ति जताई थी. उन्होंने तीस्ता जल बंटवारे के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा, “राज्य सरकार की सलाह और राय के बिना इस तरह की एकतरफा चर्चाएं न तो स्वीकार्य हैं और न ही वांछनीय हैं.”

उन्होंने पीएम से पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल किए बिना पड़ोसी देश के साथ ऐसी कोई चर्चा न करने का भी आग्रह किया. 

हाल ही में भारत और बांग्‍लादेश के बीच डिजिटल डोमेन, समुद्री क्षेत्र, अर्थव्यवस्था, रेलवे, अंतरिक्ष, हरित प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और चिकित्सा जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने के लिए 10 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं. 

सरकार ने कहा कि तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन की एक बड़ी परियोजना के लिए जल्द ही एक तकनीकी टीम बांग्लादेश भेजी जाएगी. 

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