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अब मिनटों में चलेगा मंकीपॉक्स का पता, इस स्वदेशी कंपनी ने बनाई RT-PCR टेस्ट किट

भारत की इस कंपनी ने बनाई मंकीपॉक्स की स्वदेशी टेस्ट किट.


दिल्ली:

भारत ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए मंकीपॉक्स के टेस्ट के लिए पहली स्वदेशी आरटी-पीसीआर किट (Monkeypox Test Kit) बना ली है. अब सिर्फ 40 मिनट में वायरस इंफेक्शन का पता चल जाएगा. इस किट के जरिए आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि एमपॉक्स है या नहीं. इस किट को सीमेंस हेल्थिनियर्स कंपनी ने बनाया है. किट से केवल 40 मिनट में एमपॉक्स की जांच के सटीक परिणाम मिल सकेंगे.सीमेंस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड ने कहा यह हमारी मेक इन इंडिया पहल के लिए बड़ी उपलब्धि है.जल्द ही लोगों को यह किट बाजार में उपलब्ध होगी. 

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अब मिनटों में चलेगा मंकीपॉक्स का पता

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने इसे मंजूरी दे दी है. सीमेंस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड ने कहा, यह हमारी ”मेक इन इंडिया” पहल के लिए बड़ी उपलब्धि है. आइएमडीएक्स एमपॉक्स डिटेक्शन आरटी-पीसीआर किट को वडोदरा में मोलेक्युलर डायगोनास्टिक्स यूनिट में बनाया जाएगा. हर साल करीब 10 लाख किट बनाई जा सकेंगी. जल्द ही लोगों के लिए यह किट बाजार में उपलब्ध होगी. बता दें कि डब्ल्यूएचओ ने एमपॉक्स की स्थिति को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है. इससे पहले जुलाई 2022 में भी मंकीपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया था.

तेजी से बढ़ रहे मंकीपॉक्स के मामले

भारत समेत दुनियाभर के देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आ रहे हैं. अफ्रीकी देशों में तो ये बहुत तेजी से फैल रहा है. इस बीमारी में लोगों के शरीर पर फफोले हो जाते हैं, जिनमें खून तक निकल आता है. मरीजों को काफी दर्द सहना पड़ता है. दुनियाभर में तेजी से फैल रहे एमपॉक्स वायरस (मंकीपॉक्स) के मामले को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक रणनीति तैयार की है. 14 अगस्त को डब्ल्यूएचओ महानिदेशक द्वारा इस मामले में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के बाद अब डब्ल्यूएचओ ने तेजी से फैल रहे एमपॉक्स वायरस  के प्रकोप को रोकने के लिए एक रणनीति तैयार की है. इसका उद्देश्य समन्वित वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय प्रयासों के माध्यम से एमपॉक्स के प्रकोप को रोकना है.

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भारतीय बाजारों में जल्द आएगी मंकीपॉक्स टेस्ट किट

WHO द्वारा एमपॉक्स के प्रकोप को रोकने के लिए बनाई गई योजना सितंबर 2024 से फरवरी 2025 तक की अवधि के लिए है. इसके ल‍िए डब्ल्यूएचओ और अन्य संगठनों को एमपॉक्स के प्रकोप से निपटने के लिए 135 मिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी. इस योजना में एमपॉक्स के प्रकोप की निगरानी और रोकथाम के लिए व्यापक रणनीतियों को लागू करना, निष्पक्ष तरीके से चिकित्सा उपायों परीक्षण और टीकों तक पहुंच बढ़ाने के लिए शोध करना, जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण फैलने से रोकने के ल‍िए प्रयास शाम‍िल हैं. इसके साथ ही टीकाकरण के मामले में स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. साथ ही वैश्विक स्तर पर प्रभावित देशों में सबसे अधिक जोखिम वाले समूहों के लिए टीकाकरण की ओर ध्‍यान दिया जाएगा.



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