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अब अधिकारियों को नहीं मिलेगी मुफ्त बिजली, असम CM ने खत्म किया ‘VIP कल्चर’


नई दिल्ली:

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने राज्य में बिजली भुगतान के ‘वीआईपी कल्चर ‘ को समाप्त करने की घोषणा की है. अगले महीने से, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव सहित असम सरकार के अधिकारी अपने बिजली बिलों का भुगतान खुद से करेंगे. दरअसल वीआईपी कल्चर के तहत इन सभी को बिजली के भुगतान से छूट मिल रखी थी. लेकिन हिमंत बिस्वा सरमा ने अब इस छूट को खत्म करने का फैसला लिया है. असम के मुख्यमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट कर इसकी जानकारी दी.

मुख्यमंत्री ने लिखा, “हम करदाताओं के पैसे से सरकारी अधिकारियों के बिजली बिलों का भुगतान करने के #VIPCulture नियम को समाप्त कर रहे हैं. मैं और मुख्य सचिव एक उदाहरण स्थापित करेंगे और 1 जुलाई से अपने बिजली बिलों का भुगतान करना शुरू करेंगे.” उन्होंने आगे लिखा जुलाई 2024 से सभी अधिकारियों को अपनी बिजली खपत का भुगतान स्वयं करना होगा.

इस पोस्ट के साथ उन्होंने एक वीडियो भी पोस्ट की. जिसमें वो कहते हुए नजर आए कि हमने पाया कि हमारे मंत्रियों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के आवासों या सचिवालय के आवासों के बिजली बिल का भुगतान सरकार द्वारा किया जा रहा है.  यह 75 साल की विरासत है, कोई नई व्यवस्था नहीं है, इतने लंबे समय से बिजली का बिल राज्य सरकार द्वारा भरा जा रहा था. हमने इसे खत्म करने का फैसला लिया है. 1 जुलाई से हर कोई अपना बिल का भुगतान खुद करेगा. 

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असम सचिवालय बना पहला पर्यावरण अनुकूल मुख्यालय

असम सचिवालय रविवार को अपने परिसर में 2.5 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना के उद्घाटन के साथ भारत में किसी राज्य सरकार का पहला हरित मुख्यालय (पर्यावरण अनुकूल) बन गया. राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने यह जानकारी दी. उन्होंने यहां एक आधिकारिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 12.5 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित ग्रिड से जुड़े और छत पर लगे इस सौर ऊर्जा संयंत्र की वजह से हर महीने 30 लाख रुपये के बिजली बिल की बचत होगी.

हिमंत विश्व शर्मा ने कार्यक्रम के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘आज हमने ‘नेट-जीरो’ सरकार बनने के अपने लक्ष्य में एक बड़ी छलांग लगाई है, क्योंकि मैंने जनता भवन में 2.5 मेगावाट सौर परियोजना का उद्घाटन किया, जिससे असम सचिवालय भारत का पहला हरित सचिवालय बन गया.’

उन्होंने कहा कि सचिवालय परिसर में अब पूरी तरह से सौर ऊर्जा से बिजली आपूर्ति होगी, जिससे हर महीने 30 लाख रुपये के बिजली बिल की बचत होगी. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने निर्णय लिया है कि सभी आधिकारिक परिसरों में सौर पैनल लगाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत राज्य भर के मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालयों से होगी.

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