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अब नई राह पर सुप्रीम कोर्ट, मिला नया प्रतीक, नई इमारत का हुआ भूमिपूजन 


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को अपना नया प्रतीक मिल गया है और नई इमारत का भूमि पूजन भी किया जा चुका है. खास बात ये है कि इसमें भारत का संविधान है, उसके ऊपर सुप्रीम कोर्ट की इमारत है और सबसे ऊपर अशोक चक्र है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में कई महीनों की कवायद के बाद यह काम पूरा हो पाया है. 

सीजेआई दफ्तर के सूत्रों के मुताबिक सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के लिए नए प्रतीक के लिए कई महीनों तक मशक्कत की है. आखिरकार अब तय किया गया कि इसमें सबसे पहले भारत का संविधान हो, फिर सुप्रीम कोर्ट की इमारत जिसे संविधान से शक्ति मिलती है और फिर सबसे ऊपर अशोक चक्र जो हमारे देश का मोटो है.

इसी के साथ सोमवार को सर्व धर्म पूजा के साथ नई इमारत का भूमि पूजन किया गया. इस दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस बीवी नागरत्ना के अलावा सुप्रीम कोर्ट के अन्य वर्तमान और रिटायर जज अपने जीवन साथी के साथ मौजूद रहे. इस मौके पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर भी शामिल हुए.

भूमि पूजन के दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन नैयर और सेकेट्री जनरल निखिल जैन ने भी हिस्सा लिया. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि नई इमारत सुप्रीम कोर्ट के विकास के साथ साथ शक्ति का भी प्रतीक है. मौजूदा इमारत रहेगी विस्तारित हिस्सा पांच मंजिल का बनेगा. 

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इसमें पुस्तकालय, वकीलों की सुविधाएं और कैंटीन होगी. 29 कोर्ट रूम होंगे जजों के चेंबर होंगे. 17 जजों की संविधान पीठ के एक साथ बैठकर महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई के कोर्ट रूम होंगे. वास्तु कला और ललित कला का उत्कृष्ट नमूना होने के साथ पूरी तरह पर्यावरण अनुकूल इमारत होगी. पांच सितारा सुविधाओं के साथ ऑटोमेटिक गेट, लिफ्ट, किसी संकट के समय पलक झपकते इमारत खाली करने के सभी उपायों से युक्त होगी इमारत.

सुप्रीम कोर्ट की ये इमारत सिर्फ ईंट गारे कंक्रीट से नहीं बल्कि कुशलता, विशेषज्ञता और भावनाओं से बनी होगी. विधि और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के विस्तार भवन के भूमि पूजन में पृथ्वी स्वयं, नारियल का जल, दीपक की अग्नि, वायु और आकाश सभी की साक्षी में हुआ. न्यायपालिका हमारे लोकतंत्र का बड़ा स्तंभ है. संसद यानी विधायिका का नया भवन बना, कार्यपालिका के लिए सेंट्रल विस्टा बन रहा है. अब न्यायालिका यानी सुप्रीम कोर्ट का भी विस्तारित भवन का भूमि पूजन हो गया. नई इमारत में नए कोर्ट रूम और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी. 



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