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AAP सांसद राघव चड्ढा की सदस्यता बहाली पर उप-राष्ट्रपति ने सार्वजनिक जीवन में नैतिकता के महत्व को किया रेखांकित

सभापति ने कहा, ‘‘उच्च सदन के सदस्यों को ऐसा आचरण दिखाना होता है जिसका दूसरों द्वारा स्पष्ट रूप से अनुकरण किया जाता है. इसी परिप्रेक्ष्य में मैंने अपील की थी कि सभी को राघव चड्ढा के संबंध में विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट का अध्ययन करना चाहिए.”

चड्ढा को समिति ने प्रस्तावित प्रवर समिति में सदस्यों की सहमति के बिना उनके नाम जोड़ने का भी दोषी ठहराया था.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जीवीएल नरसिम्हा राव ने सदन में उनका निलंबन समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया. ध्वनिमत से स्वीकार किए गए प्रस्ताव में कहा गया कि अब तक का निलंबन चड्ढा के लिए ‘पर्याप्त सजा’ है.

धनखड़ ने कहा, ‘‘मुझे युवक (चड्ढा) को देखने का मौका मिला. पछतावा होना चाहिए था, चिंतन होना चाहिए था…जिस दिन उन्हें एक बहुत विस्तृत रिपोर्ट द्वारा दोनों मामलों में दोषी ठहराया गया था. निलंबन समाप्त नहीं हुआ है, सजा आज तक के लिए सीमित कर दी गई.”

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी से उच्च उम्मीदों पर खरा उतरने का आग्रह करता हूं. एक सांसद के कर्तव्यों के पालन के लिए नैतिकता बहुत महत्वपूर्ण है.”

उन्होंने सदस्यों से 1999 में राज्यसभा में पेश आचार समिति की पहली रिपोर्ट की सिफारिशों का अध्ययन करने को कहा.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिए एक आचार संहिता तय की गई थी… दो महत्वपूर्ण तत्व यह हैं कि सदस्यों को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे संसद की बदनामी हो और उनकी विश्वसनीयता प्रभावित हो.”

सभापति ने कहा कि सदस्यों से सार्वजनिक जीवन में नैतिकता, गरिमा, शालीनता और मूल्यों के उच्च मानकों को बनाए रखने की उम्मीद की जाती है.

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धनखड़ ने कहा, ‘‘मैं इस रिपोर्ट की पुरजोर अनुशंसा करता हूं.”

चड्ढा को संसद के मानसून सत्र के दौरान 11 अगस्त को उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था. आप नेता ने अपने निलंबन के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था.

सोमवार को सदन में वापस आने की अनुमति दिए जाने के बाद चड्ढा ने उच्चतम न्यायालय और राज्यसभा के सभापति को धन्यवाद दिया.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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