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बट्टे खाते में डाले गए कर्जों में से 29 हजार करोड़ से अधिक वसूले,किन बैंकों ने दिया था कर्ज


नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 के 31 दिसंबर 2024 तक भारतीय स्टेट बैंक सहित विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों की ओर से बट्टेखाते में डाले गए कर्जों में से 29,258 करोड़ रुपये वसूले जा चुके हैं.राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूरक प्रश्नों के जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कर्ज लेकर न चुकाने वाले लोग बच नहीं सकते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.

वित्त मंत्री ने संसद में क्या बताया

वित्त मंत्री ने बताया कि ऋण बट्टे खाते में डालने वाले बैंकों में बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक आदि शामिल हैं. वित्त मंत्री ने बताया कि बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों और अपने बैंकों के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) को बट्टेखाते में डालते हैं.सीतारमण ने बताया कि ऐसे ऋण बट्टे खाते में डालने से कर्जधारकों को कर्ज चुकाने से छूट नहीं मिलती और उन्हें कोई लाभ भी नहीं होता है. उन्होंने कहा,”कर्ज को बट्टे खाते में डालना एक सतत प्रक्रिया है. बैंक, विभिन्न वसूली तंत्रों के माध्यम से उधार लेने वालों के खिलाफ वसूली की कार्रवाई जारी रखते हैं. 

वहीं वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि कर्ज माफ करने का मतलब यह नहीं होता कि इसे पूरी तरह माफ कर दिया गया है.उन्होंने कहा कि एनपीए लगातार घट रहा है.उन्होंने कहा कि मोदी सरकार और आरबीआई ने बैंकों को मजबूत करने के लिए एक सुदृढ़ व्यवस्था बनाई है.

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दस साल में कितना कर्ज बट्टे में डाला गया

सरकार ने सोमवार को लोकसभा में बताया था कि बैंकों ने पिछले 10 वित्तीय वर्षों में करीब 16.35 लाख करोड़ रुपये की गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) या नहीं चुकाए गए कर्जों को बट्टे खाते में डाल दिया है.सीतारमण ने बताया था कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सबसे अधिक 2,36,265 करोड़ रुपये के एनपीए बट्टे खाते में डाले गए. वहीं 2014-15 में 58,786 करोड़ रुपये के एनपीए बट्टे खाते में डाले गए थे. यह पिछले 10 सालों में सबसे कम है.

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(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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