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विरोध प्रदर्शनों में 100 से अधिक बांग्लादेशी मारे गए, 300 से अधिक भारतीय छात्र घर लौटे


अगरतला:

बांग्लादेश (Bangladesh) में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. वहां कई हफ़्तों से व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी हैं. इन हालात में बांग्लादेश में पढ़ रहे भारतीय छात्रों (Indian students) को किसी भी उपलब्ध साधन का उपयोग करके घर लौटने के लिए मजबूर कर दिया है. शुक्रवार को एक ही दिन में पूर्वोत्तर में सीमा चौकियों से 300 से अधिक छात्र भारत लौटे. 

सरकारी नौकरियों में आरक्षण को फिर से लागू करने के मुद्दे पर बांग्लादेश भर में छात्रों और सुरक्षा बलों तथा सरकार समर्थक कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़पों में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. कम से कम तीन हफ़्तों से चल रहा विरोध प्रदर्शन सोमवार को तब काफी जोर पकड़ गए, जब ढाका यूनिवर्सिटी में हिंसा भड़क उठी. इसके अगले दिन छह लोग मारे गए. इसके बाद सरकार ने देश भर के विश्वविद्यालयों को बंद करने का आदेश दे दिया.

दो रास्तों से भारत लौटे छात्र

वापस लौटे छात्रों में से कई एमबीबीएस की डिग्री के लिए पढ़ रहे थे. इनमें से ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मेघालय और जम्मू-कश्मीर से हैं. शुक्रवार को छात्रों ने वापस लौटने के लिए मुख्य रूप से दो रास्तों का इस्तेमाल किया. उन्होंने त्रिपुरा में अगरतला के पास अखुराह में इंटरनेशनल लैंड पोर्ट और मेघालय के दावकी में इंटरनेशनल लैंड पोर्ट से वापसी की.

छात्रों ने कहा कि वे प्रतीक्षा कर रहे थे और स्थिति पर नजर रख रहे थे, हालांकि आखिरकार उन्होंने अस्थायी रूप से बांग्लादेश छोड़ने का निर्णय लिया. गुरुवार को इंटरनेट लगभग पूरी तरह बंद कर दिया गया था और टेलीफोन सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई थीं. इससे उनका अपने परिवारों से संपर्क टूट गया था.

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इंटरनेट बंद छात्रों का परिवारों से संपर्क टूटा

हरियाणा के छात्र आमिर ने कहा, “मैं चटगांव के मरीन सिटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में सेकेंड ईयर का छात्र हूं. स्थिति खराब होती जा रही है और कई प्रतिबंध लगाए गए हैं. यही वजह है कि हम वापस आ गए हैं. कई अन्य छात्र भी वापस आ गए हैं. इंटरनेट काम नहीं कर रहा है और हम अपने परिवारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. हमें हवाई टिकट नहीं मिल पाए और हमें घर जाने के लिए सड़क मार्ग से अगरतला जाना पड़ा.” 

उसी कॉलेज के एक अन्य छात्र मोहम्मद फैज अब्दुल्ला खान ने कहा कि मंगलवार तक उनके लिए सब कुछ सामान्य था, उसके बाद उन्हें अपने आवास या छात्रावास परिसर से बाहर न निकलने के लिए कहा गया. 

उन्होंने कहा कि, “तभी हमें पता चला कि आरक्षण आंदोलन चल रहा है. कॉलेज के अधिकारियों ने कहा कि संस्थान बंद रहेगा. जब हमने प्रिंसिपल से बात की तो उन्होंने सुझाव दिया कि अगर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं तो भारत लौट सकते हैं. भारतीय दूतावास के लोगों ने भी हमें यही सलाह दी और कहा कि अगर हमें परिवहन की व्यवस्था करने में मुश्किल हो रही है तो हम उनसे संपर्क करें. हमने अगरतला सीमा तक टैक्सी ली और अभी-अभी सीमा पार की है.” 

मेघालय में अधिकारियों ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों के चलते 200 से अधिक भारतीय सीमा पार करके आए हैं. भूटान और नेपाल के भी कुछ छात्र भारत आ चुके हैं.

एक अधिकारी ने बताया कि 67 छात्र मेघालय के और सात भूटान के हैं. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए बांग्लादेश उच्चायोग और बांग्लादेश लैंड पोर्ट अथॉरिटी के संपर्क में है.

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आरक्षण को लेकर विवाद

बांग्लादेश में छात्रों, सरकार के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों में कम से कम 64 लोग मारे गए हैं और 2500 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं. पिछले महीने एक हाईकोर्ट द्वारा बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों और दिग्गजों के परिवारों के सदस्यों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण बहाल करने के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था.

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