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लंच टेबल पर भारत-पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की क्या हुई बातचीत? पाक के प्रवक्ता ने कर दिया साफ


इस्लामाबाद:

शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) की बैठक इस्लामाबाद में आज संपन्न हो गया. बैठक में सभी सदस्य देशों ने भाग लिया. व्यापार, ऊर्जा और संपर्क सुविधा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर बैठक में चर्चा हुई. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने SCO बैठक के सफल आयोजन को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को धन्यवाद दिया है. साथ ही उन्होंने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को कड़ा संदेश भी दिया.

SCO की बैठक को लेकर पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुमता जहरा बलोच ने The Hindkeshariसे खास बातचीत की. प्रवक्ता मुमता जहरा बलोच ने कहा कि पाकिस्तान ने SCO बैठक की अध्यक्षता की थी. पाकिस्तान ने खुले दिल से विश्व के नेताओं का स्वागत किया. यहां आए विदेशी मेहमान पाकिस्तान के आयोजन से काफी खुश है.

मुमता जहरा बलोच ने कहा कि बैठक को लेकर पाकिस्तान ने पॉजिटिव रोल अदा किया है. कॉन्फ्रेंस का एजेंडा इकोनॉमिक और कनेक्टिविटी और कॉर्पोरेशन पर था. यह कोशिश की गई है कि कॉन्फ्रेंस एजेंडा पर ही फोकस रहे. यह बैठक पूरी तरह सफल रहा है.

SCO बैठक के बाद लंच के दौरान भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के एक साथ एक टेबल पर बैठने पर पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुमता जहरा बलोच ने कहा कि लंच और डिनर में डिप्लोमेटिक पोट्रोकॉल के तहत बैठक की जगह तय होती है. नेताओं और अधिकारियों को बैठने के लिए अलग-अलग जगह तय होता है. SCO काफी महत्वपूर्ण है. हमारे विदेश मंत्री भी भारत गए थे. लेकिन यह बैठक SCO के एजेंडा पर फोकस था. बैठक काफी पॉजिटिव रहा.

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बता दें कि लंच की टेबल पर भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री एकसाथ नजर आए. जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री का एक वीडियो सामने आया है, जहां दोनों लंच की टेबल पर बात करते नजर आ रहे हैं. पाकिस्तान लगातार संबंधों में आई खटास को दूर करने के लिए बयान दे रहा था. उसकी पूरी कोशिश रही कि द्विपक्षीय वार्ता हो जाए, लेकिन भारत ने आतंकवाद और बातचीत एकसाथ जारी रखने से इनकार कर दिया. 

आतंकवाद पर जयशंकर ने जताई चिंता
सम्मेलन में अपने संबोधन में जयशंकर ने आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की ‘तीन बुराइयों’ से निपटने सहित कई चुनौतियों पर चिंता जताई. उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, ‘‘यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से जुड़ी हैं तो उनके साथ-साथ व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, संपर्क और लोगों के बीच आपसी लेन-देन को बढ़ावा मिलने की संभावना नहीं है.


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