देश

पतंजलि की एक और गड़बड़ी आई सामने, ASCI ने 26 विज्ञापनों को बताया "भ्रामक"


नई दिल्ली:

पतंजलि की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद अब Advertising standard council of India (ASCI) ने भी पतंजलि पर सवाल खड़े किए हैं.  ASCI की तरफ से विज्ञापनों को लेकर की गयी जांच के बाद जारी रिपोर्ट में 26 विज्ञापन को भ्रामक बताया गया है. पतंजलि के साथ ही कई हेल्थ केयर कंपनियों पर भी ASCI की रिपोर्ट में सवाल खड़े किये गए हैं.

देश में विज्ञापनों से जुड़े कायदे कानूनों की अनदेखी करने के मामले में हेल्थ केयर यानी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां और बेबी केयर कंपनियां टॉप 10 में हैं. 



भ्रामक विज्ञापनों के केस में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगायी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि से कहा था कि लाइलाज बिमारियों को लेकर प्रचार करना कानूनी तौर पर गलत है. लेकिन आप उसे लेकर ही प्रचार कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को भी इसे लेकर फटकार लगायी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो इन्फ्लुएंसर्स हैं उनकी भी जवाबदेही तय होनी चाहिए. जो विज्ञापन कंपनी है और जो एड छापते हैं उनके ऊपर भी कोई न कोई नियम होने चाहिए. 

Advertisement


Mamaearth भ्रामक विज्ञापन मामले में नंबर वन
इस रिपोर्ट में पतंजलि के अलावा 2023-24 के दौरान निज्ञापनों के कायदे कानूनों का उल्लंघन करने के मामले में Mamaearth parent Honasa Consumer Pvt. Ltd सबसे आगे है.  ASCI  के मुताबिक उसके इस तरह के 187 विज्ञापन थे. पतंजलि के इस तरह के 26 विज्ञापन थे. पतंजलि के कुल 20 ब्रांड को लेकर शिकायतें मिलीं.  इनमें से सभी में बदलाव की ज़रूरत महसूस की गई. ये विज्ञापन पतंजलि आयुर्वेद से लेकर दंतकांति टूथपेस्ट पंतजिल च्यवनप्राश शहद, स्प्रे और दर्द निवारक गोलियों तक के थे. जो कि बाज़ार में सबसे ज़्यादा बिकने वाले उत्पादों में से एक हैं.

यह भी पढ़ें :-  सुरक्षा चूक के बाद संसद के भीतर-बाहर कड़ी सुरक्षा, मकर द्वार सांसदों को छोड़कर सभी के लिए प्रतिबंधित

भ्रामक विज्ञापन को लेकर ASCI गंभीर
ASCI की मनीषा कपूर ने The Hindkeshariके साथ बात करते हुए कहा कि  हेल्थ और वेल्थ को लेकर उपभोक्ता सबसे ज्यादा गुमराह होते हैं. और इसके दुष्परिणाम बेहद खराब होते हैं. यही कारण है कि ASCI इसे लेकर बेहद गंभीर है. हम अपने स्तर से भी कई शिकायतों को उठाते हैं. कई बार उपभोक्ताओं को भी शिकायत करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.  हेल्थ केयर जैसे सेक्टर पर हमारी पैनी नजर होती है.

ये भी पढ़ें:- 
न बड़ों को छोड़ा, न बच्चों को : भ्रामक विज्ञापनों पर ASCI ने क्यों कहा – झांसे में न आएं



Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button