देश

पुलिस सुधारों पर 2006 के फैसले के क्रियान्वयन संबंधी याचिकाओं पर मई में होगी सुनवाई

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह पुलिस सुधार पर 2006 के अपने फैसले के क्रियान्वयन का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर मई में सुनवाई करेगा. इस फैसले में जांच और कानून-व्यवस्था संबंधी कर्तव्यों को अलग करने जैसे कदमों की सिफारिश की गई थी. बाद में, शीर्ष अदालत ने अन्य निर्देश भी पारित किए, जिनमें राज्य सरकारों द्वारा पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर कोई तदर्थ या अंतरिम नियुक्ति नहीं करने की बात शामिल है.

शीर्ष अदालत ने कहा था कि संघ लोक सेवा आयोग को राज्य सरकार और अन्य हितधारकों के परामर्श से तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की सूची तैयार करनी होगी और राज्य उनमें से किसी एक को डीजीपी नियुक्त कर सकता है. वकील प्रशांत भूषण और वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ से मंगलवार को कहा कि विभिन्न राज्य सरकारें न्यायालय के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रही हैं.

भूषण ने कहा, ‘‘पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है… बड़े पैमाने पर.” दवे ने कहा, ‘‘एक के बाद एक राज्य फैसले और निर्देशों का पालन करने से इनकार कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि अगर इन सुधारात्मक निर्देशों को लागू नहीं किया गया तो ‘‘हम वह सबकुछ खो देंगे जिसके लिए हम खड़े हैं.”

दवे ने कहा कि बहुत ही गंभीर स्थिति पैदा हो रही है क्योंकि हर दूसरा राज्य डीजीपी की नियुक्ति के मामले में कानून अपने हाथ में ले रहा है. इसके बाद पीठ ने निर्देश दिया कि झारखंड सरकार को अवमानना ​​याचिका दी जाए और सभी याचिकाओं को पांच मई से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए.

यह भी पढ़ें :-  बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, दोषियों की सजा माफी का गुजरात सरकार का आदेश किया रद्द

इससे पहले, भूषण ने प्रकाश सिंह मामले पर 2006 के फैसले में उल्लिखित निर्देशों में से एक का हवाला देते हुए कहा कि यह सिफारिश की गई थी कि जांच और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के पुलिस कार्यों को अलग किया जाना चाहिए. भूषण ने कहा कि कानून-व्यवस्था एक कार्यकारी कार्य है और जांच आपराधिक न्याय वितरण प्रणाली का हिस्सा है.

न्यायालय ने 2006 में दो पूर्व पुलिस महानिदेशकों प्रकाश सिंह और एन.के. सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर निर्णय सुनाते हुए कई निर्देश जारी किए थे, जिनमें यह भी शामिल था कि राज्य पुलिस प्रमुखों का दो वर्ष का निश्चित कार्यकाल होगा.
 

(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button