पीएम मोदी ने कांग्रेस पर दशकों तक पूर्वोत्तर के विकास को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया

पीएम मोदी ने असम के जोरहाट में जनसभा को संबोधित किया.
जोरहाट:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर दशकों तक पूर्वोत्तर की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि विकसित भारत के उद्देश्य को पूरा करने के लिए क्षेत्र का विकास महत्वपूर्ण है. पीएम मोदी ने असम में 17,500 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद जोरहाट में मेलेंग मेतेली पोथार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि विरासत और विकास ‘‘डबल इंजन सरकार का मंत्र” है.
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पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार की ‘‘असंवेदनशील और अनियोजित संरक्षण रणनीति” के कारण यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) विश्व धरोहर स्थल काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में पशुओं का शिकार हुआ.
उन्होंने कहा कि 2013 में लगभग 27 गैंडे मारे गए थे लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार की नीतियों के कारण 2022 में अवैध शिकार की ऐसी घटनाओं की संख्या शून्य हो गई.
Immensely grateful for the affection of people across Assam. Speaking at the launch of development works in Jorhat. Do watch! https://t.co/MBl7NiRfb3
— Narendra Modi (@narendramodi) March 9, 2024
लचित बोरफुकन की विशाल प्रतिमा का अनावरण
पीएम नरेन्द्र मोदी ने जोरहाट में ‘अहोम सेनापति’ लचित बोरफुकन की 125 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया. प्रधानमंत्री ने टोक के समीप होलोंगापार में लचित बोरफुकन मैदाम डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट में ‘स्टैच्यू ऑफ वेलर” (वीरता की प्रतिमा) का अनावरण किया.
हेलीकॉप्टर से अरुणाचल प्रदेश से जोरहाट पहुंचे मोदी ने पारपंरिक पोशाक और पगड़ी पहनी हुई थी. उन्होंने प्रतिमा का अनावरण करने के लिए अहोम समुदाय की एक रस्म भी निभाई. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा भी प्रधानमंत्री के साथ थे.
राम वनजी सुतार द्वारा निर्मित इस प्रतिमा की ऊंचाई 84 फुट है और यह 41 फुट की चौकी पर स्थापित की गई है जिससे यह संरचना 125 फुट ऊंची हो गई है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने फरवरी 2022 में इस प्रतिमा की नींव रखी थी.
लचित बोरफुकन अहोम साम्राज्य (1228-1826) के एक महान सेनापति थे. उन्हें 1671 की ‘‘सरायघाट की लड़ाई’ में उनके नेतृत्व के लिए जाना जाता है जिसमें राजा रामसिंह-प्रथम के नेतृत्व में असम को वापस हासिल करने के लिए शक्तिशाली मुगल सेना के प्रयास को विफल कर दिया गया था.