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अधूरी ही रही गई PM मोदी की यह इच्छा! बिल हो गया लेप्स

17वीं लोकसभा के भंग होने के साथ ही लड़कों व लड़कियों की शादी की उम्र में समानता लाने के लिए सदन में पेश किया गया विधेयक कालातीत (लेप्स) हो गया है. बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021 को दिसंबर 2021 में लोकसभा में पेश किया गया था और इसे शिक्षा, महिला, बाल, युवा एवं खेल संबंधी स्थायी समिति को भेज दिया गया था. स्थायी समिति को कई बार विस्तार दिया गया था.

कानून एवं संविधान के प्रावधान का हवाला देते हुए लोकसभा के पूर्व महासचिव एवं संविधान विशेषज्ञ पीडीटी आचार्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि 17वीं लोकसभा के भंग होने के साथ “विधेयक लेप्स हो गया है.”

इस विधेयक का उद्देश्य बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में संशोधन करके लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष करना था. इसके अलावा, यह विधेयक कानून बनने पर किसी भी अन्य कानून और प्रथा का स्थान लेता.

साल 2006 के अधिनियम के तहत, न्यूनतम आयु से पहले शादी करने वाला व्यक्ति वयस्क होने के दो वर्ष के अंदर (यानी 20 वर्ष की आयु से पहले) विवाह निरस्तीकरण के लिए आवेदन कर सकता है. यह विधेयक इस उम्र को बढ़ाकर पांच वर्ष (यानी 23 वर्ष की आयु तक) कर देता. 18वीं लोकसभा के लिए सदस्यों के निर्वाचित होने के बाद 17वीं लोकसभा भंग कर दी गई.

असदुद्दीन ओवैसी ने दिया था ये तर्क
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार के बिल का विरोध किया था. ओवैसी ने कहा था, ” 19 साल की लड़की और लड़का पीएण चुन सकते हैं, संसद चुन सकते हैं, बिजनेस स्टार्ट कर सकते हैं आपसी सहमति से यौन संबंध बना सकते हैं. लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं. लेकिन अपने जीवन साथी का चयन नहीं कर सकते हैं. यह समझ से परे हैं.” 

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सपा नेता अबू आजमी ने क्या कहा? 
सपा नेता अबू आजमी ने कहा कि हम यहीं सुनते आए हैं कि परिवार में कोई मरता हो तो कहते हैं कि तुरंत अंतिम संस्कार कर देना चाहिए. इसी तरह बेटी बड़ी होती हो तो उसकी शादी कर देनी चाहिए. लेकिन अब 18 साल के उम्र में भी लड़की शादी नहीं कर सकती है. इसका मतलब यहीं है कि वह समझ नहीं सकती. लेकिन वह 21 साल के उम्र में परिपक्व हो जाएगी. 



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