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"PM सम्माननीय, आशा है कि वे…": जम्मू-कश्मीर में जीत के बाद उमर अब्दुल्ला ने उठाया बड़ा सवाल


नई दिल्ली:

Jammu Kashmir Election Results 2024: जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन तो बहुमत हासिल हुआ है. इस जीत के तुरंत बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने मंगलवार की शाम को The Hindkeshariसे कहा कि जम्मू-कश्मीर को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ “प्रतिकूल संबंधों” से कोई लाभ नहीं होगा. राज्य में विधानसभा चुनाव एक दशक बाद हुए हैं. 

विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उमर अब्दुल्ला दूसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे. उमर अब्दुल्ला को उनके पिता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला का समर्थन मिला है. उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपना वादा पूरा करने और पांच साल पहले अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद छीने गए राज्य के दर्जे को बहाल करने का आह्वान किया है. राज्य के दर्जे की बहाली एनसी-कांग्रेस गठबंधन का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा था. जम्मू कश्मीर को राज्य की जगह केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है.

उमर अब्दुल्ला ने The Hindkeshariसे कहा, “प्रधानमंत्री एक सम्मानीय व्यक्ति हैं… उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों से राज्य का दर्जा देने का वादा किया था और मुझे उम्मीद है कि वह इस पर खरे उतरेंगे.” अब्दुल्ला ने इस बात को खारिज किया कि राज्य का दर्जा देने में देरी हो सकती है, क्योंकि बीजेपी को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री की ओर से राज्य का दर्जा दिए जाने की घोषणा के बाद वह यह चुनाव जीत जाएगी, लेकिन वह नहीं जीत सकी.

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उन्होंने कहा, “बीजेपी ने कभी यह नहीं कहा कि पहले हमारी सरकार बनेगी और फिर राज्य का दर्जा मिलेगा. प्रधानमंत्री ने ऐसा कभी नहीं कहा. जम्मू-कश्मीर के लोगों ने अपनी बात कह दी है और मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री अब उदारता दिखाएंगे और जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करेंगे.” उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का भी हवाला दिया.

उमर अब्दुल्ला ने कहा, “हम उन्हें यूं ही ‘माननीय’ प्रधानमंत्री नहीं कहते.” उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव परिणाम आर्टिकल 370 को खत्म करने के फैसले को खारिज करने वाले हैं.

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पिछले साल दिसंबर में अदालत ने चुनाव आयोग से यह चुनाव कराने के लिए 30 सितंबर की समय सीमा तय करते हुए यह भी कहा था कि जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. इस साल जून में पीएम मोदी ने लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने के कुछ दिनों बाद कहा था कि, “वह दिन दूर नहीं है… जब जम्मू-कश्मीर एक राज्य के रूप में अपना भविष्य खुद तय कर सकेगा.”

उन्होंने श्रीनगर में एक चुनावी रैली में उस वादे को दोहराते हुए कहा था, “हमने संसद में वादा किया था कि हम जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करेंगे और बीजेपी इस प्रतिबद्धता को पूरा करेगी.”

केंद्र और जम्मू-कश्मीर के संबंध

नई दिल्ली के साथ जम्मू-कश्मीर सरकार के संबंधों को लेकर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश अपने आर्थिक और सामाजिक विकास के महत्वपूर्ण चरण में है. उन्होंने केंद्र से सहयोग का आह्वान किया. उन्होंने कहा, “मेरा मानना ​​है कि नई (जम्मू-कश्मीर) सरकार का केंद्र सरकार के साथ स्वस्थ कामकाजी संबंध होना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि वे (बीजेपी) यह समझेंगे कि जम्मू-कश्मीर बहुत महत्वपूर्ण चरण में है और राजनीति नहीं करनी चाहिए.”

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उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी और जम्मू-कश्मीर, खास तौर पर कश्मीर क्षेत्र के बीच संबंधों को फिर से बनाने की जरूरत स्वीकार की. कश्मीर में भगवा पार्टी के खिलाफ भारी मतदान किया गया. उन्होंने उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ मुश्किल संबंधों पर चिंता जताई. उनकी ओर से जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पांच सदस्यों के अपेक्षित नामांकन की नेशनल कॉन्फ्रेंस और अन्य दलों ने तीखी आलोचना की थी. 

उन्होंने मनोज सिन्हा से संबंधों को सुधारने में अपनी भूमिका निभाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, “कुछ संबंध बनाने की आवश्यकता है… वर्तमान में राज्यपाल और पदाधिकारियों के बीच कोई संबंध नहीं है. यदि उपराज्यपाल शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाते हैं तो जम्मू-कश्मीर को कोई लाभ नहीं होगा…”

चर्चा में उमर अब्दुल्ला ने नई सरकार के लिए एक प्रमुख चुनौती का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि, “जम्मू के मतदाताओं में स्वामित्व की भावना देना है, जिन्होंने एनसी-कांग्रेस को वोट नहीं दिया.” उन्होंने कहा कि, “मेरा मानना ​​है कि जब राज्य का दर्जा बहाल हो जाता है, तो सरकार को विधान परिषद को बहाल करने के लिए भी कदम उठाना चाहिए. हमें सभी को प्रतिनिधित्व देना चाहिए.” उन्होंने अपनी अपील में कश्मीरी पंडितों का भी उल्लेख किया.

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“मुस्कुराने की वजह”

विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटें जीती हैं. उमर अब्दुल्ला ने कहा, “मुस्कुराने के लिए बहुत सारे कारण हैं. हमने अच्छा प्रदर्शन किया है… हमारी उम्मीद से भी बेहतर…” उन्होंने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को बधाई दी. उन्होंने कहा, “मैं हर सीट के लिए आभारी हूं… हां, हम लालची हो सकते हैं और कह सकते हैं कि हमें 10 और चाहिए… 15 और चाहिए. लेकिन हमें इतनी सीटें मिलीं और हम हर सीट के लिए आभारी हैं.”

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उमर अब्दुल्ला ने एक बार फिर एग्जिट पोल करने वालों पर निशाना साधा. विभिन्न एग्जिट पोल में त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणियां की गई थीं.

उमर अब्दुल्ला के पास अपने चुनाव परिणामों पर मुस्कुराने का कारण भी था. उन्होंने बडगाम और गांदेरबल विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और दोनों सीटों पर महत्वपूर्ण अंतर से जीत हासिल की. ​​यह जीत उन्हें लोकसभा चुनाव में लगे उस झटके के बाद मिली जिसमें वे बारामुला में इंजीनियर राशिद से दो लाख से अधिक वोटों से हार गए थे.

उन्होंने कहा, “बारामुला एक अपवाद था और मैंने इसे साबित कर दिया है. यह मेरे लिए एक आसान कैंपेन नहीं था…व्यक्तिगत रूप से यह एक कठिन चुनाव था क्योंकि यह हार के बाद हो रहा था.” 

“लोगों की अपेक्षाएं करनी हैं पूरी”

भविष्य को लेकर अब्दुल्ला ने कहा, “उम्मीदों का बोझ कुछ ऐसा है जिसे हम वर्षों से महसूस कर रहे हैं. लोगों की अपेक्षाएं हैं और हमें वे पूरी करनी हैं.” उन्होंने कहा, “कुछ चीजों (राज्य का दर्जा बहाल कराना) पर हम तुरंत काम शुरू करेंगे.”

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने पहली बार नेशनल कॉन्फ्रेंस को वोट दिया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि, “उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना हमारी जिम्मेदारी है.”

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क्या मुख्यमंत्री बनेंगे?

आज सुबह नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि “उमर अब्दुल्ला बनेंगे मुख्यमंत्री.” The Hindkeshariसे बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने इस तरह की किसी भी धारणा को खारिज करते हुए कहा कि विधायक दल यह निर्णय लेगा. उन्होंने कहा कि, ‘डॉक्टर साहब’ (उनके पिता) “बहुत दयालु” हैं.

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कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन

एनसी नई जम्मू-कश्मीर सरकार का नेतृत्व करेगी. हालांकि चुनाव में कांग्रेस का निराशाजनक प्रदर्शन रहा. साल 2014 के चुनाव में पार्टी ने 12 सीटें जीती थीं. इस बार उसे केवल छह सीटें मिलीं. 

हालांकि, उमर अब्दुल्ला ने अपनी सहयोगी पार्टी के प्रदर्शन पर टिप्पणी करने या सलाह देने से परहेज किया. उन्होंने केवल इतना कहा कि कांग्रेस के पास “आत्ममंथन करने के कई कारण हैं.” खासकर इस साल महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव अभी भी होने हैं और दिल्ली में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होना है.

उन्होंने कहा, “कांग्रेस को सलाह देना मेरा काम नहीं है. जो हुआ उसका उन्हें खुद जायजा लेना है. उनके पास ऐसे लोग हैं जो विश्लेषण कर सकते हैं और सुधार के उपाय कर सकते हैं.”

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