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PM मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ें प्रियंका गांधी या नीतीश कुमार, INDIA अलायंस में प्रस्ताव : सूत्र

सूत्रों ने The Hindkeshariको बताया कि लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर वीआईपी सीट वाराणसी के लिए विपक्ष के INDIA अलायंस की ओर से दो नाम प्रस्तावित किए गए हैं. ये नाम हैं-बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra).

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रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि इस बार प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने आगे बढ़ाया है. ममता ने ही INDIA अलायंस के पीएम उम्मीदवार के लिए मल्लिकार्जुन खरगे का नाम आगे बढ़ाया था.


उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट पर 1991 के बाद से (2004 को छोड़कर) हर चुनाव में बीजेपी की जीत हुई है. नरेंद्र मोदी को 2014 और 2019 में इस सीट पर प्रचंड जनादेश मिला था. 1952 से एक दशक तक कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा किया. हालांकि, उसके बाद से कांग्रेस और INDIA अलायंस के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना करीब-करीब असंभव रहा है.

नीतीश कुमार

नीतीश कुमार एक समय बीजेपी के सहयोगी रहे हैं. अब वह बीजेपी के कट्टर प्रतिद्वंद्वियों में शामिल हैं. नीतीश विपक्षी INDIA गठबंधन के संस्थापक नेताओं में एक हैं. उनसे संभावित पीएम उम्मीदवार के रूप में भी चर्चा की गई है, जिसे उन्होंने नकार दिया है. 2014 के आम चुनाव से पहले भी नीतीश कुमार को पीएम उम्मीदवार का प्रस्ताव दिया गया था. तब वह बीजेपी के साथ गठबंधन में थे.

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19 दिसंबर को INDIA अलायंस की मीटिंग से पहले बिहार की राजधानी पटना में नीतीश कुमार को गठबंधन के संभावित पीएम चेहरे वाले पोस्टर भी लागए गए थे. जेडीयू ने साफ किया कि पार्टी का इन पोस्टरों से को लेना-देना नहीं है. लेकिन जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने INDIA अलायंस पर दबाव बनाते हुए कहा कि इसके राजनीतिक मायने निकाले जा सकते हैं.

नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने खरगे के नाम पर साधी चुप्पी

हालांकि, मंगलवार को दिल्ली में हुई INDIA अलायंस की मीटिंग में वह ‘राजनीतिक अर्थ’ साफ नहीं हुआ. मीटिंग में ममता बनर्जी ने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे का नाम संभावित पीएम उम्मीदवार के रूप में आगे बढ़ाया. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव समेत कई नेताओं ने इसपर चुप्पी साधे रखी. मीटिंग खत्म होते ही नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल के संरक्षक लालू प्रसाद यादव वहां से निकल गए. इस बीच मल्लिकार्जुन खरगे ने भी पीएम उम्मीदवार बनने के संभावनाओं से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने पर फोकस करना चाहते हैं.

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प्रियंका गांधी वाड्रा

वाराणसी सीट पर पीएम मोदी के सामने चुनाव लड़ने के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम भी आगे बढ़ाया गया है. गौर करने वाली बात ये है कि प्रियंका गांधी ने पहले कभी चुनाव नहीं लड़ा. ऐसी अटकलें थीं कि वह 2019 में चुनाव लड़ेंगी. दिलचस्प बात यह है कि 2019 के चुनाव में वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी और प्रियंका गांधी वाड्रा के बीच मुकाबले की बात कही जा रही थी. हालांकि, ऐसा नहीं हुआ. कांग्रेस ने आखिर में अजय राय को वाराणसी सीट से चुनावी मैदान में उतारा. अजय राय चुनाव में पीएम मोदी से 5 लाख से अधिक वोट पीछे रहे.

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इस साल की शुरुआत में भी ऐसी चर्चा थी कि प्रियंका गांधी वाड्रा को वाराणसी से मैदान में उतारा जाएगा. प्रियंका गांधी वाड्रा ने 4 साल पहले कहा था कि जब भी पार्टी निर्णय लेगी, वह चुनावी शुरुआत करने के लिए तैयार हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या वह वाराणसी से चुनाव लड़ेंगी, तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, “क्यों नहीं”.

अरविंद केजरीवाल भी हो सकते हैं ऑप्शन?

INDIA अलायंस में नीतीश कुमार और प्रियंका गांधी वॉड्रा के बाद तीसरा ऑप्शन अरविंद केजरीवाल का है. आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी चाहे तो वाराणसी सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से लड़ चुके हैं. केजरीवाल 2 लाख से अधिक वोट (करीब 20 प्रतिशत) वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे.

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वैसे INDIA अलायंस में कोई भी प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ सकता है. लेकिन उसके लिए INDIA अलायंस में आम सहमति की जरूरत है. मौजूदा समय में ये एक मुश्किल काम लग रहा है. क्योंकि हाल में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हिंदी हार्टलैंड यानी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद नेतृत्व को लेकर कांग्रेस को आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है.

बीजेपी की रणनीति की बात करें, तो हाल में हुए विधानसभा चुनावों और बीते कुछ चुनावों में पार्टी ने बिना सीएम चेहरे के चुनाव लड़ा. पार्टी ने राज्य के कद्दावर नेताओं के बजाय पीएम मोदी को अपने चुनावी अभियान के चेहरे के रूप में चुना. अगले साल के लोकसभा चुनाव से पहले ‘मोदी फैक्टर’ की ताकत के कारण इस रणनीति को बड़ा लाभ मिला है. ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी की रणनीति को देखते हुए कांग्रेस और INDIA अलायंस क्या फैसला लेती है.

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