नेहरू की गलती की वजह से बना PoK, वरना आज होता भारत का हिस्सा : लोकसभा में बोले गृहमंत्री अमित शाह
संसद का शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) 4 दिसंबर से शुरू हुआ. सत्र के तीसरे दिन बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो बिल जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक-2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक-2023 पर जवाब दिया. इस दौरान अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधा. शाह ने कहा, “पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pok) की समस्या पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Pt. Jawahar Lal Nehru) की वजह से हुई.पूरा कश्मीर हाथ आए बिना सीजफायर कर लिया था, वरना यह आज भारत का हिस्सा होता. नेहरू की गलती से पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) बन गया.”
लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह के भाषण की 10 बातें:-
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लोकसभा में अमित शाह ने कहा, “कांग्रेस ने कश्मीर पंडितों के लिए कुछ नहीं किया है, जबकि मौजूदा मोदी सरकार जो कर रही है; इतिहास उसे हमेशा याद रखेगा. अब मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर पर अब 370 से आगे निकल चुकी है और जल्द ही कुछ और बड़ा काम काम होने जा रहा है.”
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गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “मैं यहां जो विधेयक लेकर आया हूं, वह उन लोगों को न्याय दिलाने और उनका अधिकार दिलाने से संबंधित है. जिनके खिलाफ अन्याय हुआ, जिनका अपमान हुआ और जिनकी उपेक्षा की गई. किसी भी समाज में जो लोग वंचित हैं उन्हें आगे लाना चाहिए, यही भारत के संविधान की मूल भावना है.”
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जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पर जवाब देते हुए अमित शाह ने जवाहर लाल नेहरू को कोट किया. गृह मंत्री ने कहा- “नेहरू ने शेख अब्दुल्ला को लिखा था कि कश्मीर मुद्दा यूएन ले जाना गलती थी.” कांग्रेस समेत विपक्ष के हंगामे पर शाह ने कहा कि मैंने वही बात कही, जो खुद नेहरू ने अब्दुल्ला से कही थी.
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अमित शाह ने कहा कि बिल के नाम के साथ सम्मान जुड़ा है. इसे वही लोग देख पाते हैं, जो अपने से पीछे रह गए लोगों की अंगुली पकड़ कर संवेदना के साथ उन्हें आगे चाहते हैं. वो लोग इसे नहीं समझ सकते, जो इसका उपयोग वोटबैंक के लिए करते हैं.”
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गृह मंत्री ने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी ऐसे नेता हैं, जो गरीब घर में जन्म लेकर देश के प्रधानमंत्री बने हैं. वह पिछड़ों और गरीबों का दर्द जानते हैं. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाना कुछ लोगों को खटक गया है.
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उन्होंने कहा, “यह बिल उन लोगों को अधिकार दिलाने का बिल है, जिनकी अनदेखी की गई. अच्छी बात ये रही कि 6 घंटे की बहस में किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया. मैं कहना चाहता हूं कि नाम में ही सम्मान जुड़ा है। मदद से ज्यादा सम्मान व्यक्ति को आगे बढ़ाने का काम करता है.”
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शाह ने कहा, “जम्मू-कश्मीर में महाराजा हरि सिंह ने विलय का निर्णय लिया था, तब से अब तक कई बदलाव हुए. वहां आतंकवाद का लंबा दौर चला. किसी ने विस्थापित लोगों की फिक्र नहीं की. जिनको फिक्र करनी थी, वो इंग्लैंड में छुट्टी मना रहे थे. अगर उस समय उनके लिए काम किया गया होता, तो वे विस्थापित नहीं हुए होते.”
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अमित शाह ने कहा, “1947, 1965 और 1971 में जम्मू-कश्मीर से 41 हजार 844 परिवार विस्थापित हुए. इस बिल से इन लोगों को अधिकार मिलेगा. डीलिमिटेशन की प्रक्रिया पवित्र नहीं है, तो लोकतंत्र पवित्र नहीं हो सकता. डीलिमिटेशन को हमने न्यायिक डीलिमिटेशन नाम दिया है.”
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गृहमंत्री ने कहा, “बिल में दो सीटें घाटी से विस्थापितों के लिए होंगी. 5 नॉमिनेटेड मेंबर होंगे. जम्मू-कश्मीर में अब 107 सीटों की जगह 114 सीटें होंगी.”
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उन्होंने बताया कि परिसीमन आयोग ने पूरे जम्मू-कश्मीर का दौरा किया. पिछड़े लोगों को रोकने का काम कांग्रेस ने किया है. पिछड़ा वर्ग आयोग को 70 साल से संवैधानिक दर्जा पहले क्यों नहीं मिला. नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे संवैधानिक दर्जा दिया.”