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चुनाव आयोग के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन कर रहे तृणमूल सांसदों को पुलिस ने हिरासत में लिया

नई दिल्ली:

दिल्ली में चुनाव आयोग के मुख्यालय के बाहर धरने पर बैठे पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. पुलिस ने सांसदों को धरना स्थल से हटाकर वहां मौजूद एक बस में बैठा दिया. ये सभी सांसद भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा “केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग” की शिकायत के साथ चुनाव निकाय के साथ बैठक की मांग कर रहे हैं.

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सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पार्टी के राज्यसभा नेता डेरेक ओ ब्रायन कर रहे हैं. विरोध करने वाले सांसदों में डोला सेन, सागरिका घोष, साकेत गोखले और शांतनु सेन भी शामिल हैं. “समान अवसर” की मांग करते हुए, सांसदों ने 24 घंटे धरने पर बैठने की बात कही है.

नेताओं के बार-बार पुलिस का अनुरोध नहीं मानने के बाद ये कार्रवाई शुरू हुई है.

नेताओं का आरोप है कि केंद्रीय एजेंसियां ​​आम चुनाव से पहले विपक्षी नेताओं को टारगेट कर रही हैं और उनके द्वारा की गई गिरफ्तारियों का मकसद पूरी तरह से राजनीतिक है.

तृणमूल सांसद डोला सेन ने कहा, “2022 के मामले में एनआईए द्वारा 2024 में गिरफ्तारी की जाती है. कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है और स्थानीय पुलिस को सूचित किया जाना चाहिए. साथ ही सख्ती से चार केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों को बदला जाना चाहिए.”

सागरिका घोष ने कहा, ”हमने 1 अप्रैल को चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की थी. चुनावी लोकतंत्र में समान अवसर बुनियादी बात है.”

उन्होंने कहा, “सीबीआई, एनआईए, ईडी और आयकर अधिकारी जिस तरह से काम कर रहे हैं, वे भाजपा की शाखा के मेंबर लग रहे हैं. इससे भाजपा के एक सदस्य ने एनआईए अधिकारी के आवास पर उनके साथ बैठक भी की थी. विपक्ष का जीना मुश्किल हो गया है.”

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सागरिका घोष ने कहा, “5 और 6 अप्रैल की दरमियानी रात को स्थानीय पुलिस को सूचित किए बिना छापेमारी की गई. इस बार एनआईए ने दो साल पुराने मामले में कार्रवाई की है. सुबह 3 बजे महिलाओं के घरों पर छापेमारी की गई. अधिकारी सुबह 3 बजे घरों में घुस गए, जहां उन्होंने महिलाओं को परेशान किया और उनके साथ छेड़छाड़ की.”

उन्होंने कहा कि सांसदों ने चुनाव आयोग से एनआईए, ईडी, सीबीआई और आयकर प्रमुखों को बदलने का अनुरोध किया है.

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