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किसान आंदोलन : 'दिल्ली मार्च' टलने के बाद पुलिस ने खोले सिंघू और टीकरी बॉर्डर

नई दिल्ली:

किसानों के ‘दिल्ली मार्च’ को देखते हुए दिल्ली के सिंघू और टीकरी बॉर्डर को पुलिस ने सील कर दिया था. दोनों ही बॉर्डर पर आवाजाही बंद कर दी गई थी. दिल्ली पुलिस शनिवार को दोनों बॉर्डर खोल दिए. पुलिस ने दोनों बॉर्डर पर आवाजाही के लिए एक हिस्सा खोला है. किसानों के ‘दिल्ली मार्च’ को 29 फरवरी तक टालने के बाद पुलिस ने यह फैसला लिया है. फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हजारों किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और ट्रकों के साथ खनौरी और शंभू सीमा पर डेरा डाले हुए हैं.

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किसान नेताओं ने शुक्रवार को कहा कि वह अपने ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन को लेकर अगले कदम के बारे में 29 फरवरी को फैसला करेंगे. उन्होंने ऐलान किया कि शनिवार को ‘कैंडल मार्च’ निकाला जाएगा और उसके दो दिन बाद वे केंद्र का पुतला फूंकेंगे. 

किसान नेताओं ने खनौरी में झड़प में एक प्रदर्शनकारी की मौत और लगभग 12 पुलिस कर्मियों के घायल होने के बाद बुधवार को ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन को दो दिनों के लिए रोक दिया था. उक्त घटना तब हुई जब किसानों ने अवरोधकों को तोड़ते हुए आगे बढ़ने की कोशिश की.

हरियाणा में मोबाइल इंटरनेट पर पाबंदी बढ़ी

हरियाणा सरकार ने किसानों के ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन के मद्देनजर सात जिलों में मोबाइल इंटरनेट और एक साथ कई एसएमएस (संदेश) भेजने पर लगी रोक शनिवार रात 11 बजकर 59 मिनट तक के लिए बढ़ा दी है. अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में 11 फरवरी को मोबाइल इंटरनेट और एक साथ कई एसएमएस भेजने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसके बाद 13, 15, 17, 19, 20 और 21 फरवरी को पाबंदी बढ़ा दी गई.

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क्यों प्रदर्शन कर रहे किसान

बता दें, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी सहित अपनी मांगों को स्वीकार कराने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के वास्ते ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं. उनके आह्वान पर बड़ी संख्या में किसान हरियाणा और पंजाब के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं.

पंजाब के किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं.

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