सैफ पर हमले के मामले में पुलिस ने इस्तेमाल किया फेस रिकाग्निशन टेक्नीक, बड़ी सफलता का दावा
मुंबई:
अभिनेता सैफ अली खान को चाकू मारने के मामले को लेकर मुंबई पुलिस ने कहा कि फेस रिकॉग्निशन तकनीक से पुष्टि हुई है कि अभिनेता को चाकू मारने का आरोपी मोहम्मद शरीफुल इस्लाम वही शख्स है, जिसे क्राइम सीन पर सीसीटीवी फुटेज में देखा गया था. शरीफुल इस्लाम कथित तौर पर 16 जनवरी की सुबह 12वीं मंजिल पर स्थित खान के घर पर लूट के इरादे से घुसा था. 54 साल के अभिनेता ने जब उसका सामना किया तो आरोपी ने भागने से पहले उन्हें कथित तौर पर छह बार चाकू मारा.
सैफ अली खान को मुंबई के लीलावती अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी आपात सर्जरी की. चाकू का एक घाव उनकी रीढ़ की हड्डी के करीब था. पांच दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई और बिस्तर पर आराम करने की सलाह दी गई है.
बांग्लादेशी नागरिक इस्लाम को 19 जनवरी को पड़ोसी शहर ठाणे में गिरफ्तार किया गया था.
आरोपी के पिता का बड़ा दावा
इस्लाम के पिता मोहम्मद रूहुल अमीन ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के साथ अपने बेटे के राजनीतिक जुड़ाव की पुष्टि की है. साथ ही दावा किया कि वह राजनीतिक उत्पीड़न से बचने के लिए देश से भाग गया. अमीन ने The Hindkeshariके साथ टेलीफोन पर बातचीत में जोर देकर कहा कि मुंबई में गिरफ्तार किया गया व्यक्ति उनका बेटा नहीं था, हालांकि पुलिस ने इस्लाम की राष्ट्रीयता की पुष्टि करने वाले बांग्लादेश के सरकारी दस्तावेज बरामद किए थे.
The Hindkeshariसे बातचीत में अमीन ने कहा कि उनका बेटा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के लंबे शासन के दौरान उनके खिलाफ दायर “झूठे मामलों” के कारण बांग्लादेश से भाग गया था. उन्होंने दावा किया कि इस्लाम असुरक्षित महसूस करता है और वह काम ढूंढने के इरादे से भारत में शरण मांगी है.
अमीन ने The Hindkeshariको बताया, “16 साल तक हसीना सरकार सत्ता में थी. उनके खिलाफ झूठे मामले थे, यहां तक कि मोबाइल चोरी के भी. राजनीतिक माहौल खराब था और मेरे बेटे को लगा कि वह देश में नहीं रह सकता.”
हालांकि जब उनसे पूछा गया कि क्या इन मामलों की वजह से इस्लाम ने बांग्लादेश छोड़ा है तो अमीन ने इससे इनकार किया. साथ ही उन्होंने बीएनपी में परिवार की भागीदारी के कारण अधिकारियों पर यातना देने का भी आरोप लगाया.
अमीन ने अपराध में अपने बेटे के शामिल होने से इनकार किया है. साथ ही सीसीटीवी फुटेज की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठाया है, जिससे पुलिस को उसे ट्रैक करने में मदद मिली.
साथ ही उन्होंने दावा किया, “सीसीटीवी तस्वीरें मेरे बेटे की नहीं हैं.” साथ ही उन्होंने तर्क दिया कि इस्लाम की शक्ल हमलावर से मेल नहीं खाती है. उन्होंने कहा, “उसका चेहरा भारी और बाल छोटे हैं. फुटेज में दिख रहे व्यक्ति के लंबे बाल हैं जो उसकी आंखों तक पहुंच रहे हैं. वह मेरा बेटा नहीं है.”
अब तक क्या हुई अदालती कार्यवाही?
मुंबई की एक अदालत ने गुरुवार को इस्लाम की हिरासत बढ़ाने के मुंबई पुलिस के अनुरोध को ठुकरा दिया. बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले में कहा कि आगे की पुलिस हिरासत को उचित ठहराने के लिए कोई नया आधार प्रस्तुत नहीं किया गया. साथ ही कोर्ट ने इस्लाम को न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
हालांकि भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि यदि नए घटनाक्रम सामने आते हैं तो पुलिस फिर से हिरासत का अनुरोध कर सकती है. भारत के संशोधित आपराधिक कानूनों के तहत पुलिस अपराध की गंभीरता के आधार पर 40 या 60 दिन की अवधि में या तो लगातार या आंशिक रूप से 15 दिनों तक की हिरासत की मांग कर सकती है.
अदालत के पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने से इनकार करने के बावजूद मुंबई पुलिस का कहना है कि उनके पास इस्लाम के खिलाफ पर्याप्त और मजबूत सबूत हैं. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज पर फेशियल रिकॉग्निशन टेस्ट किया है, जिससे पुष्टि हुई है कि इस्लाम ही वह व्यक्ति था जिसे सैफ अली खान की इमारत में प्रवेश करते और बाहर निकलते देखा गया था.
फिंगरप्रिंट एनालिसिस को लेकर नया मोड़
इस मामले में पिछले हफ्ते उस वक्त एक अप्रत्याशित मोड़ आ गया जब फिंगरप्रिंट एनालिसिस में इस्लाम के फिंगर प्रिंट और सैफ अली खान के घर पर मिले फिंगरप्रिंट का मिलान नहीं हुआ. मुंबई पुलिस ने अपराध स्थल से उंगलियों के निशान के 19 सेट सीआईडी को भेजे थे. सूत्रों के मुताबिक, सीआईडी के फिंगरप्रिंट ब्यूरो ने इस्लाम के साथ इन फिंगरप्रिंट का मिलान नहीं होने की जानकारी दी.
इसके बावजूद पुलिस ने अन्य फोरेंसिक जांचें करवाई. आरोपी द्वारा पहने गए कपड़े, हमले में इस्तेमाल चाकू, गमछा (तौलिया), और एक बैग को फोरेंसिक कैमिकल एनालिसिस के लिए भेजा गया.
यह माना जा रहा है कि इस्लाम बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में आया और उसने सीमा पार करने के बाद कथित तौर पर अपना नाम मोहम्मद शरीफुल इस्लाम शहजाद से बदलकर बिजॉय दास रख लिया और मुंबई जाने से पहले कोलकाता में वक्त बिताया.
अब पुलिस उन लोगों को तलाश रही है, जिन्होंने उसे भारत में प्रवेश करने और उसके रहने में मदद की. इस्लाम ने पुलिस को जो बयान दिया है, उसके मुताबिक, उसे पैसे के बदले भारतीय नागरिकता के नकली दस्तावेज देने का वादा किया गया था. कथित तौर पर चोरी के लिए उसका मकसद इन दस्तावेजों के लिए पैसे जुटाना था.
गलत पहचान से खड़ी हुई परेशानी
इस मामले में पहले 31 साल के शख्स आकाश कनौजिया को गलत तरीके से हिरासत में लेने को लेकर एक अलग विवाद छिड़ गया है. एक गुप्त सूचना के बाद कनौजिया को छत्तीसगढ़ में एक ट्रेन से गिरफ्तार किया गया था. आकाश कनौजिया ने दावा किया है कि इस घटना ने उनकी जिंदगी को बर्बाद कर दिया.
The Hindkeshariके साथ एक इंटरव्यू में कनौजिया ने कहा कि उन्होंने अपनी ड्राइवर की नौकरी खो दी और झूठे आरोपों के बाद शादी का प्रस्ताव वापस ले लिया गया. उन्होंने कहा, “मेरी तस्वीर क्यों वायरल की गई? मुझे न्याय चाहिए.”
उनके पिता कैलाश कनौजिया ने भी पुलिस की आलोचना करते हुए कहा, “इस गलती ने मेरे बेटे की जिंदगी बर्बाद कर दी है. अब मानसिक आघात के कारण आकाश काम पर ध्यान नहीं दे पा रहा है. वह गुमसुम हो गया है और मोटिवेशन खो चुका है.”
मुंबई पुलिस ने अपनी कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि किसी संदिग्ध को पूछताछ के लिए हिरासत में लेना मानक प्रक्रिया है.