दिल्ली में प्रदूषण संकट : वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में बरकरार; सरकार का क्या है प्लान?
ड्रोन से पानी का छिड़का
राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को शहर के आनंद विहार इलाके में प्रायोगिक तौर पर ड्रोन से पानी का छिड़काव किया. आनंद विहार शहर के सर्वाधिक प्रदूषित इलाकों में से एक है. इस दौरान दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सर्वाधिक प्रदूषित इलाकों में एक्यूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) शहर के औसत स्तर से अधिक है. राय ने बताया कि वर्तमान में दिल्ली में 200 से अधिक ‘एंटी-स्मॉग गन’ तैनात हैं जिनसे हवा की धूल को कम करने के लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है. मंत्री ने कहा कि यदि परीक्षण सफल रहा तो दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और अधिक ड्रोन खरीदने पर विचार कर सकती है. राय ने कहा, ‘यदि हमें आज के परीक्षण के अच्छे परिणाम मिले तो हम अतिरिक्त ड्रोन खरीदने के लिए औपचारिक निविदाएं जारी करेंगे.’
प्रदूषण रोकने के लिए लेना होगा एक्शन
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के बोर्ड सदस्य डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि मेरा मानना है कि सरकारें दिखावटी उपायों पर ज्यादा ध्यान देती हैं और प्रदूषण के स्रोत पर ध्यान नहीं देती हैं. कई सालों से एक्यूआई 500 तक पहुंच गया है और लगभग हर साल एक ‘रेड लेटर डे’ होता है जब एक्यूआई 999 को पार कर जाता है. यह एक अजीब स्थिति है. मैंने हमेशा कहा है कि ऑड-ईवन योजना और छिड़काव जैसे दिखावटी उपायों से राहत नहीं मिलेगी. जब तक सोर्स ऑफ पॉल्यूशन पर काम नहीं होगा, दिल्ली में प्रदूषण कम नहीं हो पाएगा.
दिल्ली के अंदर करीब 28,500 किलोमीटर की सड़कें हैं और सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे हैं. उन्होंने कहा कि इनसे धूल प्रदूषण बढ़ता है. प्रदूषण के दो कारण होते हैं. एक कारण प्रकृति और दूसरा मानव निर्मित. दिल्ली में यूं तो ज्यादा आंधी तूफान देखने को नहीं मिलता है. लेकिन, मानव द्वारा प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है. इसलिए मैं कह रहा हूं कि सोर्स ऑफ पॉल्यूशन को खत्म करने की जरूरत है. यमुना प्रदूषण पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा है कि दिल्ली सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि 32 नाले हैं, और इन नालों का पानी यमुना नदी में बहाया रहा है. ये ऐसे नाले हैं जो यमुना में प्रदूषण बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं. यह सरकार की विफलता है.