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President Murmu Full Speech : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का पूरा अभिभाषण 2024, ज्यों का त्यों पढ़ें 

“देश में शिक्षा के क्षेत्र अभूतपूर्व काम हुआ है”

मेरी सरकार देश के हर युवा को बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने के लिए ज़रूरी माहौल बनाने में जुटी है. बीते 10 वर्ष में ऐसे हर अवरोध को हटाया गया है जिसके कारण युवाओं को परेशानी थी. पहले अपने ही प्रमाण पत्र को अटेस्ट कराने के लिए युवाओं को भटकना पड़ता था। अब युवा सेल्फ अटेस्ट करके काम करते हैं. केंद्र सरकार की ग्रुप-सी, ग्रुप-डी भर्तियों से इंटरव्यू को खत्म किया गया है. पहले जो विद्यार्थी सिर्फ भारतीय भाषाओं में पढ़ाई करते थे, उनके साथ अन्याय की स्थिति थी. मेरी सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर, इस अन्याय को दूर करने के लिए कदम उठाए हैं. युवाओं को अब भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई का विकल्प भी मिला है. विगत 10 वर्षों में देश में 7 नए IIT, 16 IIIT, 7 IIM, 15 नए एम्स, 315 मेडिकल कॉलेज और 390 विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं. मेरी सरकार इन संस्थानों को और मजबूत बनाकर आवश्यकता के अनुसार इनकी संख्या को भी बढ़ाएगी. सरकार एक डिजिटल विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में भी काम कर रही है. Atal Tinkering Labs, Start-up India और Stand-up India जैसे अभियान हमारे युवाओं का सामर्थ्य बढ़ा रहे हैं. इन्हीं प्रयासों से आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा Start-up ecosystem बन चुका है.

“सरकार पेपर लीक की निष्पक्ष जांच के लिए प्रतिबद्ध है”

सरकार का ये निरंतर प्रयास है कि देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित अवसर मिले. सरकारी भर्ती हो या फिर परीक्षाएं, किसी भी कारण से इनमें रुकावट आए, ये उचित नहीं है. इनमें शुचिता और पारदर्शिता बहुत ज़रूरी है. हाल ही में कुछ परीक्षाओं में हुई पेपर लीक की घटनाओं की निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए मेरी सरकार प्रतिबद्ध है. इससे पहले भी हमने देखा है कि कई राज्यों में पेपर-लीक की घटनाएं होती रही हैं. इस पर दलीय राजनीति से ऊपर उठकर देशव्यापी ठोस उपाय करने की ज़रूरत है. संसद ने भी परीक्षा में होने वाली गड़बड़ियों के विरुद्ध एक सख्त कानून बनाया है. मेरी सरकार परीक्षाओं से जुड़ी संस्थाओं, उनके कामकाज के तरीके, परीक्षा प्रक्रिया, सभी में बड़े सुधार करने की दिशा में काम कर रही है.

“ओलंपिक्स में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले हर खिलाड़ी पर हमें गर्व है”

मेरी सरकार ने युवाओं की राष्ट्र निर्माण में भागीदारी और बढ़ाने के लिए ‘मेरा युवा भारत – MY Bharat’ अभियान की शुरुआत भी की है. इसमें अब तक डेढ़ करोड़ से अधिक युवाओं का पंजीकरण हो चुका है. इस पहल से युवाओं में नेतृत्व कौशल और सेवा भावना का बीजारोपण होगा. आज हमारे युवाओं को खेलों में भी आगे बढ़ने के नए अवसर मिल रहे हैं. मेरी सरकार के प्रभावी प्रयासों का परिणाम है कि भारत के युवा खिलाड़ी वैश्विक मंचों पर रिकॉर्ड संख्या में मेडल्स जीत रहे हैं. कुछ ही दिनों बाद पेरिस ओलंपिक भी शुरू होने जा रहा है. ओलंपिक्स में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले हर खिलाड़ी पर हमें गर्व है। मैं उन्हें अपनी शुभकामनाएं देती हूं. इन उपलब्धियों को और आगे ले जाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी की तैयारी भी कर रहा है. 

“नए कानून से न्याय प्रक्रिया में तेजी आएगी”

जुलाई की पहली तारीख से देश में भारतीय न्याय संहिता भी लागू हो जाएगी. अंग्रेज़ी राज में गुलामों को दंड देने की मानसिकता थी. दुर्भाग्य से आज़ादी के अनेक दशकों तक गुलामी के दौर की यही दंड व्यवस्था चलती रही. इसे बदलने की चर्चा अनेक दशकों से की जा रही थी, लेकिन ये साहस भी मेरी सरकार ने ही करके दिखाया है. अब दंड की जगह न्याय को प्राथमिकता होगी, जो हमारे संविधान की भी भावना है. इन नए कानूनों से न्याय प्रक्रिया में तेज़ी आएगी. आज जब देश, अलग-अलग क्षेत्रों में गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पा रहा है तब ये उस दिशा में बहुत बड़ा कदम है. और ये हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि भी है. मेरी सरकार ने CAA कानून के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देना शुरू कर दिया है. इससे बंटवारे से पीड़ित अनेक परिवारों के लिए सम्मान का जीवन जीना तय हुआ है. जिन परिवारों को CAA के तहत नागरिकता मिली है मैं उनके बेहतर भविष्य की कामना करती हूं.

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“नालंदा यूनिवर्सिटी सिर्फ यूनिवर्सिटी नहीं है “

मेरी सरकार भविष्य निर्माण के प्रयासों के साथ ही भारतीय संस्कृति के वैभव और विरासत को फिर से स्थापित कर रही है. हाल में नालंदा यूनिवर्सिटी के भव्य कैंपस के रूप में इसमें एक नया अध्याय जुड़ा है. नालंदा सिर्फ एक यूनिवर्सिटी मात्र नहीं थी, बल्कि वो वैश्विक ज्ञान केंद्र के रूप में भारत के गौरवशाली अतीत का प्रमाण थी. मुझे विश्वास है कि नई नालंदा यूनिवर्सिटी, भारत को ग्लोबल नॉलेज हब बनाने में सहायक सिद्ध होगी. मेरी सरकार का ये प्रयास है कि भावी पीढ़ियों को हज़ारों वर्षों की हमारी विरासत प्रेरणा देती रहे. इसलिए पूरे देश में तीर्थस्थलों को, आस्था और अध्यात्म के केंद्रों को सजाया-संवारा जा रहा है.

“विकास के साथ ही विरासत पर भी उतना ही गर्व”

मेरी सरकार, विकास के साथ ही विरासत पर भी उतना ही गर्व करते हुए काम कर रही है. विरासत पर गर्व का ये संकल्प आज अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, वंचित वर्ग और सर्वसमाज के गौरव का प्रतीक बन रहा है. मेरी सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की. अब अगले वर्ष भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को पूरे देश में धूम धाम से मनाया जाएगा. देश, रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती को भी व्यापक स्तर पर मना रहा है. पिछले महीने ही देश ने रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती का साल भर चलने वाला महोत्सव भी शुरू किया है. इससे पहले सरकार गुरु नानक देव जी का 550वां और गुरु गोबिन्द सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व भी धूमधाम से मना चुकी है. एक भारत श्रेष्ठ भारत के भाव से काशी तमिल संगमम्, सौराष्ट्र तमिल संगमम् जैसे उत्सवों की परिपाटी भी मेरी ही सरकार ने शुरू की है. इन आयोजनों से हमारी नई पीढ़ियों को राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा मिलती है, और राष्ट्र पर गर्व का भाव और मजबूत होता है.

“डिजिटल पेमेंट्स को लेकर भारत को गर्व होना चाहिए”

हमारी सफलताएं हमारी साझी धरोहर हैं. इसलिए, उन्हें अपनाने में संकोच नहीं स्वाभिमान होना चाहिए. आज अनेक सेक्टर्स में भारत बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. ये उपलब्धियां हमें हमारी प्रगति और सफलताओं पर गर्व करने के अपार अवसर देती हैं. जब भारत डिजिटल पेमेंट्स के मामले में दुनिया में अच्छा प्रदर्शन करता है, तो हमें गर्व होना चाहिए. जब भारत के वैज्ञानिक, चंद्रयान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता से उतारते हैं, तो हमें गर्व होना चाहिए. जब भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती इकॉनॉमी बनता है, तो हमें गर्व होना चाहिए. जब भारत, इतना बड़ा चुनाव अभियान, बिना बड़ी हिंसा और अराजकता के पूरा कराए, तो भी हमें गर्व होना चाहिए. आज पूरा विश्व हमें Mother of Democracy के रूप में सम्मान देता है.

भारत के लोगों ने हमेशा लोकतंत्र के प्रति अपना पूर्ण विश्वास प्रकट किया है, चुनाव से जुड़ी संस्थाओं पर पूरा भरोसा जताया है. स्वस्थ लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए हमें इस विश्वास को सहेज कर रखना है, इसकी रक्षा करनी है. हमें याद रखना होगा, लोकतांत्रिक संस्थाओं और चुनावी प्रक्रिया पर लोगों के विश्वास को चोट पहुंचाना उसी डाल को काटने जैसा है जिस पर हम सब बैठे हैं. हमारे लोकतंत्र की विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाने की हर कोशिश की सामूहिक आलोचना होनी चाहिए. हम सभी को वो दौर याद है जब बैलट पेपर छीन लिया जाता था, लूट लिया जाता था. मतदान प्रक्रिया को सुरक्षित बनाने के लिए EVM को अपनाने का फैसला किया गया था. पिछले कई दशकों में EVM ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर जनता की अदालत तक हर कसौटी को पार किया है.

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“लोकतंत्र को कमरोज करने की साजिश रची जा रही है” 

मैं आप सभी सदस्यों से अपनी कुछ और चिंताएं भी साझा करना चाहती हूं. मैं चाहूंगी कि आप सभी इन विषयों पर चिंतन-मनन करके इन विषयों पर ठोस और सकारात्मक परिणाम देश को दें. आज की संचार क्रांति के युग में विघटनकारी ताकतें, लोकतंत्र को कमजोर करने और समाज में दरारें डालने की साजिशें रच रही हैं. ये ताकतें देश के भीतर भी हैं और देश के बाहर से भी संचालित हो रही हैं. इनके द्वारा अफवाह फैलाने का, जनता को भ्रम में डालने का, misinformation का सहारा लिया जा रहा है. इस स्थिति को ऐसे ही बेरोक-टोक नहीं चलने दिया जा सकता. आज के समय में टेक्नॉलॉजी हर दिन और उन्नत हो रही है. ऐसे में मानवता के विरुद्ध इनका गलत उपयोग बहुत घातक है. भारत ने विश्व मंच पर भी इन चिंताओं को प्रकट किया है और एक ग्लोबल फ्रेमवर्क की वकालत की है. हम सभी का दायित्व है कि इस प्रवृत्ति को रोकें, इस चुनौती से निपटने के लिए नए रास्ते खोजें.

“भारत को देखने का विश्व का नजरिया बदल गया है”

21वीं सदी के इस तीसरे दशक में आज ग्लोबल ऑर्डर एक नई शक्ल ले रहा है. मेरी सरकार के प्रयासों से आज भारत, विश्व बंधु के रूप में दुनिया को नया भरोसा दे रहा है. मानव-केंद्रित अप्रोच रखने की वजह से भारत आज किसी भी संकट के समय first responder और Global South की बुलंद आवाज बना है. कोरोना का महासंकट हो, भूकंप जैसी कोई त्रासदी हो या फिर युद्ध की स्थितियां, भारत मानवता को बचाने में आगे रहा है. भारत को देखने का विश्व का नज़रिया कैसे बदला है, ये इटली में हुई G-7 समिट में भी हम सभी ने अनुभव किया है. भारत ने अपनी G-20 अध्यक्षता के दौरान भी विश्व को अनेक मुद्दों पर एकजुट किया.

भारत की अध्यक्षता के दौरान ही अफ्रीकन यूनियन को G-20 का स्थाई सदस्य बनाया गया है. इससे अफ्रीका महाद्वीप के साथ-साथ पूरे ग्लोबल साउथ का भरोसा मज़बूत हुआ है. Neighbourhood First Policy पर चलते हुए, भारत ने पड़ोसी देशों के साथ अपने रिश्तों को मज़बूत किया है. सात पड़ोसी देशों के नेताओं का 9 जून को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेना मेरी सरकार की इस प्राथमिकता को दर्शाता है. भारत, सबका साथ-सबका विकास की भावना के साथ, Indo-Pacific क्षेत्र के देशों के साथ भी सहयोग बढ़ा रहा है. पूर्वी एशिया हो या फिर मिडिल-ईस्ट और यूरोप, मेरी सरकार कनेक्टिविटी पर बहुत बल दे रही है. भारत के विजन ने ही इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर को आकार देना शुरू किया है. ये कॉरिडोर, 21वीं सदी के सबसे बड़े गेमचेंजर्स में से एक सिद्ध होगा.   

“1975 को लागू हुआ आपातकाल, संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था”

आने वाले कुछ महीनों में भारत एक गणतंत्र के रूप में 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है. भारत का संविधान, बीते दशकों में हर चुनौती, हर कसौटी पर खरा उतरा है. जब संविधान बन रहा था, तब भी दुनिया में ऐसी ताकतें थीं, जो भारत के असफल होने की कामना कर रही थीं. देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर अनेक बार हमले हुए. आज 27 जून है. 25 जून, 1975 को लागू हुआ आपातकाल, संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था. तब पूरे देश में हाहाकार मच गया था, लेकिन ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर देश ने विजय प्राप्त करके दिखाया क्योंकि भारत के मूल में गणतंत्र की परंपराएं रही हैं. मेरी सरकार भी भारत के संविधान को सिर्फ राजकाज का माध्यम भर नहीं मानती, बल्कि हमारा संविधान जन-चेतना का हिस्सा हो, इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं. इसी ध्येय के साथ मेरी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है. अब भारत के उस भूभाग, हमारे जम्मू-कश्मीर में भी संविधान पूरी तरह लागू हो गया है, जहां आर्टिकल 370 की वजह से स्थितियां कुछ और थीं.

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“हम विकसित भारत के लिए गति प्राप्त कर चुके हैं”

राष्ट्र की उपलब्धियों का निर्धारण इस बात से होता है कि हम अपने दायित्वों का निर्वहन कितनी निष्ठा से कर रहे हैं. 18वीं लोकसभा में कई नए सदस्य पहली बार संसदीय प्रणाली का हिस्सा बने हैं. पुराने सदस्य भी नए उत्साह के साथ आए हैं. आप सभी जानते हैं कि आज का समय हर प्रकार से भारत के लिए बहुत अनुकूल है. आने वाले वर्षों में भारत की सरकार और संसद क्या निर्णय लेती हैं, क्या नीतियां बनाती हैं, इस पर पूरे विश्व की नज़र है. इस अनुकूल समय का अधिक से अधिक लाभ देश को मिले, ये दायित्व सरकार के साथ-साथ संसद के हर सदस्य का भी है. पिछले 10 वर्षों में जो Reforms हुए हैं, जो नया आत्मविश्वास देश में आया है.

उससे हम विकसित भारत बनाने के लिए नई गति प्राप्त कर चुके हैं. हम सभी को ये हमेशा ध्यान रखना है कि विकसित भारत का निर्माण देश के हर नागरिक की आकांक्षा है, संकल्प है. इस संकल्प की सिद्धि में अवरोध पैदा न हो, ये हम सभी का दायित्व है. नीतियों का विरोध और संसदीय कामकाज का विरोध, दो भिन्न बातें हैं. जब संसद सुचारू रूप से चलती है, जब यहां स्वस्थ चर्चा-परिचर्चा होती है, जब दूरगामी निर्णय होते हैं, तब लोगों का विश्वास सिर्फ सरकार ही नहीं पूरी व्यवस्था पर बनता है. इसलिए मुझे भरोसा है कि संसद के पल-पल का सदुपयोग होगा, जनहित को प्राथमिकता मिलेगी.

“2047 में आज़ादी की शताब्दी का उत्सव विकसित भारत के रूप में मनाएंगे”

हमारे वेदों में हमारे ऋषियों ने हमें “समानो मंत्र: समिति: समानी” की प्रेरणा दी है. हम एक समान विचार और लक्ष्य लेकर एक साथ काम करें. यही इस संसद की मूल भावना है. इसलिए जब भारत तीसरे नंबर की इकॉनॉमी बनेगा तो देश की इस सफलता में आपकी भी सहभागिता होगी. हम जब 2047 में आज़ादी की शताब्दी का उत्सव विकसित भारत के रूप में मनाएंगे, तो इस पीढ़ी को भी श्रेय मिलेगा. आज हमारे युवाओं में जो सामर्थ्य है. आज हमारे संकल्पों में जो निष्ठा है. हमारी जो असंभव सी लगने वाली उपलब्धियां हैं. ये इस बात का प्रमाण हैं कि आने वाला दौर भारत का दौर है. ये सदी भारत की सदी है, और इसका प्रभाव आने वाले एक हजार वर्षों तक रहेगा. आइए, हम सब मिलकर पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा के साथ, राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि में जुट जाएं, विकसित भारत बनाएं. आप सभी को बहुत शुभकामनाएं!

 


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