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दुनिया

पुतिन ने मानी पीएम मोदी की बात, भारत लौटेंगे रूसी सेना में काम कर रहे भारतीय, समझें पूरा मामला


नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की रूस यात्रा पर हैं. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को पीएम मोदी को अपने आवास डिनर के लिए आमंत्रित किया.इस दौरान पीएम मोदी ने रूसी सेना में फंसे भारतीयों का मुद्दा उठाया.इस रूसी राष्ट्रपति ने सहमति जताई. इसके बाद से रूस की सेना में काम कर रहे भारतीय बर्खास्त किए जाएंगे. रूस उनकी भारत वासपी में मदद भी करेगा. पीएम मोदी 22वीं भारत-रूस सालाना सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस गए हैं.

भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने पीएम मोदी की यात्रा से पहले मीडिया को जानकारी दी थी कि दोनों नेताओं की मुलाकात में रूसी सेना में भारतीयों को भर्ती का मुद्दा भी उठेगा.उन्होंने बताया था कि 30-45 भारतीय नागरिक रूसी सेना में अवैध तरीके से भर्ती किए गए हैं. 

क्या लालच देकर भेजा गया रूस

उल्लेखनीय है कि इन भारतीयों को अच्छी सैलरी का लालच देकर ट्रेवल एजेंटों ने रूसी सेना में भर्ती करवा दिया है.इन भारतीयों को यूक्रेन युद्ध में मोर्चे पर तैनात किया गया है. इस तरह से भर्ती किए गए चार भारतीयों की अबतक इस लड़ाई में मौत हो चुकी है. विदेश मंत्रालय ने 11 जून को जारी एक बयान में रूस यूक्रेन युद्ध में दो भारतीयों के मारे जाने की जानकारी दी थी.इससे पहले इस साल फरवरी और मार्च में एक-एक भारतीय की मौत रूस की ओर से लड़ते हुए हो गई थी. दोनों के शव 16 मार्च को भारत लाए गए थे. रूस सेना की ओर से लड़ते हुए मारे गए हेमल अश्विनीभाई मंगूआ गुजरात के सूरत और मोहम्मद असफान तेलंगाना के हैदराबाद के निवासी थे.

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विदेश मंत्रालय ने इस साल अप्रैल में जानकारी दी थी कि रूसी सेना में काम कर रहे 10 भारतीय अबतक भारत लौट आए हैं. इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने दिल्ली में रूसी दूतावास और मास्को में भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने इस मुद्दे को रूसी अधिकारियों के साथ उठाया था. लेकिन उन्होंने इस पर बहुत ध्यान नहीं दिया था.भारत ने रूस से भारतीयों को अपनी सेना में भर्ती बंद करने की अपील की थी.विदेश मंत्रालय ने इस साल फरवरी में कहा था कि 20 भारतीयों ने मॉस्को में भारतीय दूतावास से वतन वापसी में मदद मांगी थी.

सीबीआई कर रही है मामले की जांच

भारत में केंद्रीय जांच ब्यूरो इस बात की जांच कर रही है कि ये भारतीय रूस तक कैसे पहुंचे और उन्हें रूसी सेना में किसकी मदद से भर्ती कराया गया.इस साल मार्च में सीबीआई ने कहा था कि उसने रूस में मौजूद दो ऐसे  एजेंटों का पता लगाया है, जिन्होंने भारतीयों को रूस भेजने और उन्हें वहां की सेना में भर्ती कराने में मदद की.उस समय सीबीआई ने दावा किया था कि इनके झांसे में अबतक 35 लोग आ चुके हैं. इन लोगों को रूसी सेना में सहायक के पद पर भर्ती करने का लालच देकर भेजा गया था. बाद में उन्हें लड़ाई के मोर्चे पर लड़ने के लिए भेज दिया गया. 

सीबीआई का कहना था कि भारतीय युवाओं को अच्छी नौकरी के नाम पर रूस भेजने वाले एजेंट यूट्यूब पर वीडियो बनाकर लोगों को अपना शिकार बनाते हैं. ये एजेंट स्थानीय लोगों के जरिए भी लोगों को बरगलाते थे.सीबीआई ने इस संबंध में कुछ प्राइवेट वीजा कंसल्टेंसी कंपनियों और एजेंटों पर केस दर्ज किया था. 

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बाबा व्लॉग वाले फैसल खान

इस मामले में यूट्यूब पर ‘बाबा व्लॉग्स’ के नाम से वीडियो बनाने वाले फैसल खान का नाम भी मीडिया में आया था.एक वीडियो में वह सैंट पीटर्सबर्ग की सड़कों पर घूम-घूम कर रूस की सेना में शामिल होने के फायदे बताते हुए नजर आए थे. यह वीडियो 26 सितंबर 2023 को यट्यूब पर अपलोड किया गया था. रूसी सेना की ओर से लड़ते हुए मारे गए तेलंगाना के मोहम्मद असफान को भी फैसल ने ही रूस भेजा था.असफान के भाई मोहम्मद इमरान ने मीडिया को बताया था कि अफसान ने फैसल के वीडियो देखकर ही उनसे संपर्क किया था.इमरान का दावा था कि उनके भाई से रूस भेजे जाने के एवज में तीन लाख रुपये लिए गए थे.

फैसल बाबा व्लॉग्स नाम से ही अपनी मैनपॉवर कंसल्टिंग फर्म भी चलाते हैं. उनका यह फर्म लोगों को दुबई, सर्बिया, क्रोएशिया, जर्मनी और सिंगापुर जैसे देशों में काम दिलाने में मदद करता है. अकेले फैसल ने ही 35 लोगों को रूस भिजवाने की बात स्वीकार की थी.हालांकि फैसल का कहना था कि रूस जाने के बाद इन युवाओं से क्या करवाया जा रहा है, यह उनके नियंत्रण से बाहर की बात है.

रूस का यूक्रेन पर हमला

पंजाब और हरियाणा के सात युवाओं का एक वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो को इन युवाओं ने अपने रिश्तेदारों को भेजकर सरकार से मदद मांगी थी.युवाओं का कहना था कि उन्हें गुमराह करके बिना वीजा के देश में घुसने के मामले में रूसी सेना को सौंप दिया गया.ये युवा टूरिस्ट वीजा पर रूस में दाखिल हुए थे. वीडियो में नजर आने वाले युवाओं में से पांच पंजाब और दो हरियाणा के थे.

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रूस ने यूक्रेन पर फरवरी 2022 में हमला शुरू किया था. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अप्रैल के पहले हफ्ते तक युद्ध में रूस के 50 हजार से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके थे. इनमें उन कैदियों की संख्या अधिक थी, जिन्हें जेलों से निकालकर युद्ध के मोर्चे पर भेजा गया था. वहीं इस साल फरवरी में यूक्रेन के राष्ट्रपति  वोलोदोमीर ज़ेलेंस्की ने रूस के साथ युद्ध में अपने 30 हजार से अधिक सैनिकों के मारे जाने की जानकारी दी थी. 

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