कतर ने 8 भारतीयों को सुनाई मौत की सजा, जानें क्या है पूरा मामला और भारत का क्या है स्टैंड?
इन भारतीयों को सुनाई गई मौत की सजा
कतर में जिन 8 पूर्व नौसेना अफसरों को मौत की सजा दी गई है उनके नाम हैं- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश.
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डिफेंस सर्विस प्रोवाइडर कंपनी में करते थे काम
भारत के 8 पूर्व नौसैनिक कतर में दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी नाम की निजी कंपनी में काम करते थे. यह कंपनी डिफेंस सर्विस प्रोवाइड करती है. ओमान एयरफोर्स के रिटायर्ड स्क्वॉड्रन लीडर खमिस अल अजमी इसके प्रमुख हैं.
इन भारतीयों पर कैसी जासूसी करने का है आरोप?
पिछले साल दोहा में गिरफ्तार किए गए लोगों पर इजराइल के लिए कतर की हाइटेक सबमरीन (पनडुब्बियों) की जासूसी करने का आरोप लगाया गया है. इन सबमरीन की स्पेशल केमिकल से कोटिंग की गई थी, जिससे उनकी सीक्रेट क्षमताओं में वृद्धि हुई. खबरों के अनुसार, इन सबमरीन को एक इटैलियन शिपबिल्डिंग फर्म के सहयोग से बनाया जा रहा था.
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अवॉर्ड विनिंग कमांडर भी शामिल
इन 8 लोगों में अवॉर्ड विनिंग कमांडर भी शामिल हैं. 2019 में कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था. ये प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है. उस समय भारतीय दूतावास ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को यह पुरस्कार विदेश में भारत की छवि बढ़ाने के लिए दिया गया है.
दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी की वेबसाइट बंद
दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज की वेबसाइट पर कंपनी के सीनियर अधिकारियों और उनके पद की पूरी जानकारी दी गई है. हालांकि 8 भारतीयों की गिरफ्तारी के बाद से दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी की वेबसाइट बंद है.
सभी विकल्पों पर विचार
8 लोगों की जमानत याचिकाएं कई बार खारिज की जा चुकी थीं. कतर में पहली नजर में अदालत ने गुरुवार को उनके खिलाफ फैसला सुनाया. फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है. बयान के मुताबिक, “मौत की सजा के फैसले से हम गहरे सदमे में हैं. हम जजमेंट की डिटेलिंग का इंतजार कर रहे हैं. हम उन भारतीयों के परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं. सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.”
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, “हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर करीब से नजर रख रहे हैं. सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे. हम फैसले को कतर के अधिकारियों के सामने भी उठाएंगे.”
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