देश

QS World University Rankings : एशिया में रैंक हासिल करने वाले भारतीय विश्वविद्यालय चीन से आगे

पिछले साल की तरह, आईआईएससी बैंगलोर, दिल्ली विश्वविद्यालय और पांच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान – बंबई, दिल्ली, मद्रास, खड़गपुर व कानपुर ने एशिया के शीर्ष 100 संस्थानों में स्थान हासिल किया है.

क्यूएस में वरिष्ठ उपाध्यक्ष बेन सॉटर ने कहा, “ क्यूएस रैंकिंग में भारतीय विश्वविद्यालयों की बढ़ती संख्या भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य के विस्तार को दर्शाती है. जहां भारतीय संस्थानों की संख्या और उनके अनुसंधान योगदान में उल्लेखनीय वृद्धि क्षेत्र की शैक्षिक रूपरेखा में अहम विकास का प्रतीक है, वहीं यह वैश्विक शैक्षणिक समुदाय में अपनी स्थिति को और बेहतर करने में भारत के लिए आगे का रास्ता प्रशस्त करती है.”

क्यूएस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, “आईआईटी बंबई 1,44,000 शिक्षाविदों और नियोक्ताओं की विशेषज्ञ राय के आधार पर शैक्षणिक और नियोक्ता प्रतिष्ठा संकेतक दोनों में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी है. प्रभावशाली ढंग से, यह नियोक्ता प्रतिष्ठा में शीर्ष 20 एशियाई संस्थानों में शुमार है.”

क्यूएस एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2024 में शीर्ष 100 में जगह बनाने वाले अन्य भारतीय संस्थानों में आईआईटी-दिल्ली (46), आईआईटी-मद्रास (53), भारतीय विज्ञान संस्थान (58), आईआईटी-खड़गपुर (59), आईआईटी-कानपुर (63) और दिल्ली विश्वविद्यालय (94) शामिल हैं.

एशिया के 10 सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से सात भारतीय

प्रति संकाय पेपर के लिए एशिया के 10 सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से सात भारतीय हैं जिनमें अन्ना विश्वविद्यालय और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल शामिल हैं.

भारत शैक्षणिक प्रतिष्ठा और नियोक्ता प्रतिष्ठा में क्षेत्रीय औसत से नीचे है, लेकिन इसने 10 से अधिक विश्वविद्यालयों के साथ उच्च शिक्षा व्यवस्था में प्रति संकाय ‘मीट्रिक पेपर’ में दूसरा सबसे अच्छा क्षेत्रीय परिणाम हासिल किया है.

यह भी पढ़ें :-  माकपा या कांग्रेस : केरल में 24 प्रतिशत मुस्लिम वोट किसके लिए गेम चेंजर?

क्यूएस ने एक बयान में कहा, “ भारत ने पीएचडी संकेतक में कर्मचारियों के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ औसत अंक हासिल किए हैं, जो मजबूत अनुसंधान परिणाम और उच्च योग्यता प्राप्त संकाय निकाय का संकेत देता है.”

अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क संकेतक में भारत के 15.4 अंक

बयान में कहा गया है, “अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क संकेतक में भारत का प्रदर्शन 15.4 अंक के साथ क्षेत्रीय औसत से थोड़ा नीचे है जो 18.8 अंक है. भारत दो महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को संतुलित करने का प्रयास करता प्रतीत होता है जो देश में बड़ी संख्या में छात्रों की जरूरतों को पूरा करना और अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए अपनी अपील को बढ़ाना है. दोनों क्षेत्रों में एक साथ दक्षता हासिल करना एक बड़ी चुनौती है, खासकर उस गति से जो वैश्विक रुझानों से मेल खाती हो.”

क्यूएस के मुताबिक, भारत ने ‘आउटबाउंड स्टूडेंट मोबिलिटी’ (विदेश जाने वाले छात्र) में भी उपलब्धि हासिल की. अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ भारत 15 वर्षों में पहली बार चीन से आगे निकल गया है.

कुल मिलाकर, चीन के पेकिंग विश्वविद्यालय ने एशिया में शीर्ष स्थान हासिल किया. उसके बाद हांगकांग विश्वविद्यालय, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर, नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और शिंघुआ विश्वविद्यालय का स्थान रहा.

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button