देश

राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह 'भारतवर्ष' के पुनर्निर्माण की शुरुआत : RSS प्रमुख मोहन भागवत

संघ प्रमुख ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक लेख में अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए ‘हिंदू समाज के निरंतर संघर्ष’ का उल्लेख किया और कहा कि इस विवाद पर ‘टकराव और कड़वाहट’ का अब अंत होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि वर्षों के कानूनी संघर्ष के बाद उच्चतम न्यायालय ने ‘सच्चाई और तथ्यों’ की पड़ताल करने और मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद नौ नवंबर, 2019 को ‘संतुलित’ फैसला सुनाया.

भागवत ने कहा कि ‘धार्मिक’ दृष्टिकोण से भगवान राम देश के बहुसंख्यक समाज के ‘सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवता’ हैं और उन्हें आज भी पूरा समाज मर्यादा के प्रतीक के रूप में स्वीकार करता है.

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए अब इस विवाद को लेकर पक्ष और विपक्ष में जो टकराव पैदा हुआ है, उसे खत्म किया जाना चाहिए. इस बीच जो कड़वाहट पैदा हुई है, उसे भी खत्म किया जाना चाहिए. समाज के प्रबुद्ध लोगों को यह देखना होगा कि यह विवाद पूरी तरह खत्म हो.”

भागवत ने कहा, ‘‘अयोध्या का अर्थ है एक ऐसा शहर, जहां कोई युद्ध न हो, एक संघर्ष-रहित स्थान. इस अवसर पर, पूरे देश में अयोध्या का पुनर्निर्माण समय की मांग है और (यह) हम सभी का कर्तव्य भी है.’ आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का अवसर ‘राष्ट्रीय गौरव के पुनर्जागरण’ का प्रतीक है.

उन्होंने कहा, यह ‘आधुनिक भारतीय समाज द्वारा श्रीराम के चरित्र के पीछे के जीवन दर्शन की स्वीकृति’ का भी प्रतीक है. राम मंदिर में ‘प्राण-प्रतिष्ठा’ (प्रतिष्ठापन) समारोह 22 जनवरी को आयोजित किया जाएगा और इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भागवत और संतों सहित 7,000 से अधिक लोग शामिल होंगे.

यह भी पढ़ें :-  अयोध्‍या की अगली रामनवमी पर रामलला के मंदिर में गूंजा हर स्‍वर विश्‍व को हर्षित करने वाला होगा : PM मोदी

भागवत ने कहा, ‘‘यह संसार अहंकार, स्वार्थ और भेदभाव के कारण विनाशकारी उन्माद में है और अपने ऊपर अनंत विपत्तियां आमंत्रित कर रहा है. राम जन्मभूमि में श्री राम लला का प्रवेश और उनकी प्राण-प्रतिष्ठा भारतवर्ष के पुनर्निर्माण के अभियान की शुरुआत है.

संघ प्रमुख ने कहा कि भारत का इतिहास ‘पिछले डेढ़ हजार वर्षों से आक्रमणकारियों के खिलाफ निरंतर संघर्ष’ का इतिहास है. उन्होंने कहा कि शुरुआती आक्रमणों का उद्देश्य लूटपाट करना था और कभी-कभी, सिकंदर के आक्रमण की तरह यह उपनिवेशीकरण के लिए होता था.

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस्लाम के नाम पर पश्चिम से हुए हमलों ने समाज का पूर्ण विनाश किया और इसमें अलगाव पैदा किया. (किसी) राष्ट्र और समाज को हतोत्साहित करने के लिए उनके धार्मिक स्थलों को नष्ट करना आवश्यक था, इसीलिए विदेशी आक्रांताओं ने भारत में मंदिरों को भी नष्ट किया. उन्होंने ऐसा कई बार किया.”

भागवत ने कहा कि उन आक्रांताओं का उद्देश्य ‘भारतीय समाज को हतोत्साहित करना’ था, ताकि वे ‘कमजोर समाज वाले भारत पर बेरोकटोक’ शासन कर सकें. उन्होंने आगे कहा, ‘‘अयोध्या में श्रीराम मंदिर का विध्वंस भी इसी इरादे और मकसद से किया गया था. आक्रांताओं की यह नीति सिर्फ अयोध्या या किसी एक मंदिर तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक युद्ध रणनीति थी.”

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत में समाज की आस्था, प्रतिबद्धता और मनोबल कभी कम नहीं हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘समाज झुका नहीं, उनका प्रतिरोध का संघर्ष जारी रहा. इसलिए (भगवान राम के) जन्मस्थान पर कब्जा लेने और वहां (अयोध्या में) मंदिर बनाने के लिए बार-बार प्रयास किए गए. इसके लिए कई युद्ध, संघर्ष और बलिदान हुए और राम जन्मभूमि का मुद्दा हिंदुओं के मन में बस गया.”

इतिहास के पन्ने पलटते हुए भागवत ने कहा कि 1857 में जब ब्रिटिश शासन के खिलाफ युद्ध की योजनाएं बनने लगीं तो हिंदुओं और मुसलमानों ने मिलकर उनके खिलाफ लड़ने के लिए ‘तत्परता जाहिर की’ और फिर उनके बीच विचारों का आपसी आदान-प्रदान हुआ और उस समय ऐसी स्थिति बनी कि गोहत्या पर प्रतिबंध और श्री राम जन्मभूमि की मुक्ति के मुद्दे पर सुलह हो जाती. उन्होंने कहा, ‘‘बहादुर शाह जफर ने भी गोहत्या पर प्रतिबंध की गारंटी दी थी.”

यह भी पढ़ें :-  Ram Temple Pran Pratishtha Live Updates : राम मंदिर परिसर में पहली बार प्रवेश करेंगे रामलला

उन्होंने कहा, ‘‘नतीजा यह हुआ कि पूरा समाज एकजुट होकर लड़ा. उस युद्ध में भारतवासियों ने वीरता दिखाई, लेकिन दुर्भाग्य से आजादी की लड़ाई असफल रही. उसके बाद भारत को आजादी तो नहीं मिली और ब्रिटिश शासन निर्बाध रहा, लेकिन राम मंदिर के लिए संघर्ष नहीं रुका.’

ये भी पढ़ें- राहुल गांधी 22 जनवरी को वैष्णव संत शंकरदेव के जन्मस्थान पर जायेंगे : कांग्रेस

ये भी पढ़ें- कांग्रेस की दिल्ली इकाई तीन फरवरी को रामलीला मैदान में करेगी रैली: अरविंदर सिंह लवली

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button