रामकृष्ण मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, इस्कॉनः ममता परेशान, सियासी घमासान, जानें क्या है इन 3 आश्रमों की कहानी

भारत सेवाश्रम संघ भारत के अलावा फिजी, ब्रिटेन, गुयाना, त्रिनिनाद, सूरीनाम, अमेरिका,कनाडा और नेपाल जैसे देशों में भी काम करता है.भारत सेवाश्रम संघ नीति आयोग के अलावा संयुक्त राष्ट्र के यूनाइटेड नेशंस इकॉनमिक एंड सोशल काउंसिल में एक गैर सरकारी संगठन के रूप में रजिस्टर्ड है.भारत सेवाश्रम संघ का ध्येय वाक्य देश की सेवा और शिक्षा है.
रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई?
रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की शुरुआत स्वामी रामकृष्ण ने की थी. इसे आगे बढ़ाने का काम रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद ने किया. इसका मुख्य कार्यालय कोलकाता के निकट हावड़ा जिले के बेलुर में है.संगठन का मुख्यालय बेलुर मठ के नाम से मशहूर है.यह गंगा नदी के पश्चिमी किनारे पर करीब 40 एकड़ में फैला है. इस मिशन का मकसद रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं में आस्था रखने वाले साधु-संन्यासियों को संगठित करना और उनके उपदेशों का प्रचार-प्रसार है. यह मिशन दूसरों की सेवा और परोपकार को कर्म योग की संज्ञा देता है.यह संगठन पिछले करीब एक सदी से मानवता की सेवा में लगा हुआ है. रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन कानूनी और आर्थिक रूप से अलग-अलग संगठन हैं,लेकिन वे कई तरह से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.मिशन की वेबसाइट के मुताबिक दोनों को जुड़वा संगठन माना जाता है.
रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ देशभर में करीब 1200 शिक्षण संस्थाओं का संचालन करता है. इनमें डिम्ड यूनिवर्सिटी तक शामिल हैं. यह संगठन कला और विज्ञान विषय के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा के केंद्रों का संचालन करता है. इसके अलावा यह संगठन 14 अस्पताल और 116 डिस्पेंसरी और 57 मोबाइल डिस्पेंसरी और सात नर्सिंग कॉलेजों का संचालन करता है. ये संगठन स्वास्थ्य, राहत और पुनर्वास, ग्रामीण और आदिवासी विकास, प्रकाशन, शिक्षण और धार्मिक उपदेश की दिशा में काम करता है.
इस्कॉन की स्थापना कहां हुई थी?
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस को संक्षेप में इस्कॉन के नाम से जाना जाता है. इसे लोग हरे कृष्ण आंदोलन के रूप में भी जानते हैं.इसकी स्थापना अमेरिका के न्यूयॉर्क में 1966 में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने की थी. इसके बाद से इस संगठन का दुनिया भर में विस्तार हुआ है.अपनी स्थापना के बाद से इस्कॉन के दुनियाभर में 500 बड़े सेंटर, मंदिर और ग्रामीण समुदाय हैं. यह संगठन करीब 100 शाकाहारी रेस्टोरेंट का भी संचालन करता है.

इस्कॉन गौड़ीय-वैष्णव संप्रदाय से जुड़ा है. यह हिंदू संस्कृति में एक एकेश्वरवादी परंपरा है.इसमें भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की जाती है.
इस्कॉन शिक्षा और मानव कल्याण के काम करता है.भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद का मानना था कि इस्कॉन मंदिर के 10 किमी के दायरे में कोई भूखा नहीं रहना चाहिए. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए इस्कॉन लगा रहता है. इसके लिए फूड फॉर लाइफ नाम का एक कार्यक्रम चलाया जाता है. इसके तहत जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है. इस प्रोग्राम के तहत इस्कॉन सरकारी स्कूलों में मिड-डे-मील भी उपलब्ध कराता है.
इस्कॉन इस साल उस समय विवादों में आ गया था, जब बीजेपी सांसद और पशु अधिकार कार्यकर्ता ने आरोप लगाया था कि इस्कॉन अपनी गोशाला की गायों को कसाइयों को बेचता है. उनके इस आरोप से इस्कॉन ने इनकार किया था.
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