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रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाले पैनल ने 'एक देश, एक चुनाव' पर राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट

‘एक देश एक चुनाव’ को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सौंपी रिपोर्ट

नई दिल्ली:

देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाले पैनल ने ‘एक देश एक चुनाव’ को लेकर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.18,626 पन्नों की इस रिपोर्ट में कई अहम बातों का जिक्र किया गया है. बता दें कि इस कमेटी का गठन पिछले साल 2 सितंबर को किया गया था. इसके गठन के बाद से ही इस कमेटी ने हितधारकों, विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श करने के बाद ही इस रिपोर्ट को आज सौंपा है. 

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गौरतलब है कि एक देश एक चुनाव पर पिछले महीने ही भारतीय जनता पार्टी ने अपनी राय कोविंद समिति (Kovind Committee) को बता दी थी. इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति से मुलाकात भी की थी. बता दें कि बीजेपी अपने पिछले दो घोषणापत्रों में एक देश एक चुनाव की वकालत कर चुकी है. हालांकि, इसे किस तरह से लागू किया जाना चाहिए इस पर पार्टी द्वारा सुझाव मांगे गए हैं. 

क्या ऐसे में बीजेपी मौजूदा विधानसभाओं को भंग कर साथ में चुनाव कराने के पक्ष में होगी? इसे लेकर क्या संविधान में संशोधन का सुझाव दिया जाएगा. वहीं यदि किसी एक दल या गठबंधन को बहुमत न मिले तो ऐसी स्थिति में क्या किया जाना चाहिए? इन सभी मुद्दों पर इस कमेटी ने पूरी तरह से गौर किया है. और अलग-अलग राजनीतिक दलों से उनकी राय भी ली है. 

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार एक देश एक चुनाव की बात कर चुके हैं और उन्होंने इस मुद्दे पर राष्ट्रीय बहस का आह्वान भी किया है. बता दें कि पिछले साल सितंबर में गठित, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) की अध्यक्षता वाली समिति को लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगरपालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर जल्द से जल्द विचार करने और सिफारिशें करने का काम सौंपा गया है.

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फरवरी में ही आम आदमी पार्टी (आप) नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति से मुलाकात की थी. और एक साथ चुनाव कराये जाने के विचार का विरोध किया था. सरकार ने पिछले साल सितंबर में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे की जल्द से जल्द पड़ताल करने और सिफारिशें करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी. 

वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ‘एक देश, एक चुनाव’ के विचार पर हमला बोला था. उन्होंने इसे “संविधान की मूल संरचना को नष्ट करने और लोकतंत्र में निरंकुशता की इजाजत देने के लिए एक प्रणाली बनाने की योजना” करार दिया था. उन्होंने कहा था कि, “मैं निरंकुशता के खिलाफ हूं और इसलिए, आपकी इस डिजाइन के खिलाफ हूं.”

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