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रेप और टॉर्चर! दिल दहला देगा रूस-यूक्रेन जंग का ये काला सच! रिपोर्ट में जानिए क्या-क्या

Russia Ukraine War Crimes: फरवरी 2022… जब रूस ने यूक्रेन पर फुल स्केल इनवेजन शुरू किया, तो ये सिर्फ एक जंग नहीं थी. ये एक ऐसा तूफान था, जिसने ना सिर्फ इमारतें और सड़कें तबाह कीं, बल्कि इंसानों की जिंदगियों को भी बर्बाद कर दिया. मिसाइलें, टैंक, सैनिक… ये तो बस ऊपरी तस्वीर थी. इसके नीचे जो हुआ, वो और भी भयानक था. वॉर क्राइम्स की ऐसी-ऐसी कहानियां सामने आईं कि सुनकर किसी का भी दिल दहल जाए. एग्जीक्यूशन ऑफ प्रिजनर्स, जबरदस्ती डिपोर्टेशन, सिविलियन इलाकों पर बमबारी… ये सब तो खबरों में आया. लेकिन एक सच ऐसा भी था, जिसे लोग बोलने से डरते थे… जिसे छुपा लिया गया… वो था सेक्शुअल वायलेंस. जी हां, रेप और टॉर्चर को हथियार बनाकर लोगों को तोड़ने की साजिश. 

रिपोर्ट में क्या

हाल ही में Independent International Commission of Inquiry on Ukraine ने एक रिपोर्ट रिलीज की है, और इसमें जो बातें सामने आई हैं, वो जानकर आप हैरान रह जाएंगे. इस कमीशन के चेयर Erik Møse ने बताया कि रशियन सिक्योरिटी फोर्सेस ने सिस्टमैटिक तरीके से यूक्रेनी प्रिजनर्स और सिविलियन्स के खिलाफ रेप और सेक्शुअल वायलेंस का इस्तेमाल किया. कमीशन ने कई केसेज डॉक्यूमेंट किए. जैसे कि औरतों को इंटेरोगेशन के दौरान रेप का शिकार बनाया गया… उन्हें मजबूर किया गया कि वो मेल गार्ड्स के सामने न्यूड खड़ी हों… और ये सब सिर्फ इसलिए, ताकि उन्हें डराया, दबाया और टॉर्चर किया जा सके. रूस-यूक्रेन जंग में रशियन सैनिकों की बर्बरता ऐसी थी कि इंसानियत नाम की चीज को कुचलकर रख दिया गया. ये कोई छोटी-मोटी हरकतें नहीं थीं… ये एक सोची-समझी साजिश थी, जिसमें इंसानों की देह को टॉर्चर का हथियार बनाया गया.

पूछने चली गई और फिर…

सोचिए… एक 40 साल की औरत, जिसकी जिंदगी में बस अपने परिवार की फिक्र थी. वो अप्रैल 2022 में खेरसॉन के एक रशियन कमांडेंट के ऑफिस पहुंची. उसका गुनाह बस इतना था कि वो अपने किसी रिश्तेदार का पता पूछना चाहती थी. लेकिन वहां FSB का एक ऑफिसर बैठा था. उसने औरत को देखा और कहा कि ये ठीक जवाब नहीं दे रही. फिर उसने अपने 3 सैनिकों को बुलाया और बोला – ‘इसे ले जाओ, नॉर्मली बात करो… शायद कुछ याद आ जाए.’ “उसके बाद जो हुआ, वो सुनकर आपका कलेजा फट जाएगा. वो सैनिक उस औरत को एक अलग कमरे में ले गए. पहले तो उसे धक्के मारकर नीचे गिराया. फिर एक-एक करके, बारी-बारी से उन तीनों ने उसका रेप किया. वो चीखती रही, गिड़गिड़ाती रही कि मुझे छोड़ दो… लेकिन वो दरिंदे कहां रुकने वाले थे. इतना ही नहीं… उन्होंने एक रबर का डंडा लिया और उसके साथ भी उसका रेप किया. सोचिए, एक इंसान के साथ इतनी हैवानियत… वो औरत इतना दर्द बर्दाश्त ना कर सकी और बेहोश हो गई. लेकिन उन सैनिकों का दिल नहीं पसीजा. वो हंसते रहे.

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और ये सिर्फ एक कहानी नहीं थी. कमीशन की मेंबर Vrinda Grover ने एक और औरत की आपबीती सुनाई. उस औरत को रशियन डिटेंशन फैसिलिटी में बंद रखा गया था. उसने सैनिकों से गिड़गिड़ाकर कहा – ‘मैं तुम्हारी मां की उम्र की हूं, मुझे छोड़ दो.’ लेकिन उन सैनिकों ने उसकी एक ना सुनी. उल्टा उसका मजाक उड़ाया और कहा – ‘तू मेरी मां से अपनी तुलना मत कर. तू तो इंसान भी नहीं है. तुझे जीने का हक ही नहीं.’ फिर उन्होंने उसे इतना टॉर्चर किया कि उसकी चीखें उस डिटेंशन फैसिलिटी की दीवारों से टकराकर वापस गूंजने लगीं.

एक 26 साल की यूक्रेनी सैनिक की कहानी सुनिए. मई 2022 में सरेंडर करने के बाद उसे पकड़ लिया गया. उसे 2 साल से ज्यादा वक्त तक एक डिटेंशन फैसिलिटी में रखा गया. वहां उसे हर दिन टॉर्चर का सामना करना पड़ा. सैनिक उसे घंटों तक पीटते थे… लोहे की रॉड से, बेल्ट से, जूतों से. फिर उसे न्यूड करके ठंडे पानी में डुबोते थे, ताकि वो ठिठुर कर तड़पे. लेकिन ये तो बस शुरुआत थी. एक दिन सैनिकों ने उसे एक कमरे में बंद किया और बिजली के तारों से उसे झटके दिए. उसकी चमड़ी जलने लगी, वो चीखने लगी… लेकिन वो दरिंदे हंसते रहे. फिर उन्होंने एक रबर का डंडा लिया और उसके साथ उसका रेप किया. उसका इतना खून बहने लगा कि उसे होश ही नहीं रहा. जब उसे होश आया, तो वो ना चल पा रही थी, ना खड़ी हो पा रही थी. उसने बाद में बताया – ‘मुझे इतना दर्द हुआ कि सांस भी नहीं ले पा रही थी. मैं समझ ही नहीं पाई कि कोई इंसान ऐसा कैसे कर सकता है.’ लेकिन सैनिकों का दिल कहां पसीजने वाला था. उल्टा उसे सजा दी गई. उसे 8 महीने तक एक अंधेरे कोठरी में डाल दिया गया. वहां ना खाने को ठीक से कुछ मिलता था, ना पानी. वो बस अपने जख्मों के साथ अकेले तड़पती रही.

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नशे में धुत होकर आते थे…

और ये सिर्फ एक-दो औरतों की बात नहीं थी. कई बार तो सैनिक नशे में धुत होकर आते थे. वो औरतों को रबर की गुड़िया समझकर उनके कपड़े फाड़ देते थे. बूढ़ी औरतों को भी नहीं बख्शा. एक केस में एक सैनिक ने एक 50 साल की औरत को टॉर्चर करते वक्त कहा – ‘तेरे जैसी चुड़ैल को तो जिंदा जलाना चाहिए.’ फिर उसे बिजली के तारों से जलाया, इतना कि उसकी चमड़ी से धुंआ उठने लगा. बच्चों के सामने उनकी मां-बहनों को टॉर्चर करना तो जैसे इनके लिए खेल बन गया था. वो धमकियां देते थे – ‘अगर चीखी तो तेरे बच्चे को मार देंगे.’ सोचिए, एक मां अपने बच्चे के सामने तड़प रही हो… और वो दरिंदे हंस रहे हों. कई बार तो सैनिक रात में डिटेंशन फैसिलिटी में घुसते थे… और जो औरतें सो रही होती थीं, उन्हें जगाकर टॉर्चर करते थे. उन्हें बेल्ट से पीटते थे, उनके बाल खींचकर घसीटते थे. एक औरत ने बताया कि सैनिकों ने उसे इतना मारा कि उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई. वो आज भी चल नहीं पाती. और सैनिकों ने उससे कहा – ‘अब तू जिंदगी भर ऐसे ही तड़पेगी.’ ये सब सुनकर ऐसा लगता है कि ये सैनिक इंसान नहीं, हैवान थे. ये कोई रैंडम हरकतें नहीं थीं… ये एक सोचा-समझा सिस्टम था. रशियन FSB के इशारे पर ये सब हुआ. इलेक्ट्रिक शॉक, दम घोंटना, रेप, मारपीट… ये सब इनके लिए रोज का काम था. और सबसे दुखद बात? इन सैनिकों को कोई सजा नहीं मिली. वो आज भी आजाद घूम रहे हैं, जबकि इन पीड़ितों की जिंदगी हमेशा-हमेशा के लिए तबाह हो चुकी है.

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रूस ने किया इनकार

रेप और टॉर्चर का इस्तेमाल जंग में पहले भी हुआ है. लेकिन यूक्रेन में ये एक अलग ही लेवल पर हुआ. और सबसे दुखद बात ये कि यूक्रेन जैसे रिलीजियस और कंजर्वेटिव सोसाइटी में… इन पीड़ितों को अपनी बात कहने में भी डर लगता है. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेक्शुअल वायलेंस की शिकार औरतें शर्म की वजह से चुप रहती हैं. कई ने तो अपनी जान ले ली. कई अकेले में अपने जख्मों को छुपाकर रोती हैं. SEMA Ukraine नाम का एक नेटवर्क है, जो इन पीड़ितों की मदद करता है. लेकिन उनकी रिपोर्ट्स कहती हैं कि ज्यादातर औरतें अपनी बात शेयर ही नहीं करतीं. वो अकेले में अपनी तकलीफ को झेलती हैं. सोचिए, कितना भयानक होगा ये सब. और ये सब सिर्फ यूक्रेन तक सीमित नहीं. बाल्कन्स, रवांडा, सीरिया… कई जंगों में रेप को हथियार बनाया गया. हालांकि, रूस ने युद्ध अपराध की रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है.
 



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