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न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर RBI का बैन, 122 करोड़ रुपये की हेराफेरी की EOW ने शुरू की जांच


महाराष्ट्र:

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में हुए कथित अनियमितता की जांच मुंबई पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने शुरू कर दी है. बैंक के रिप्रेजेंटेटिव ने इसकी शिकायत ईओडब्‍ल्‍यू में की. फिलहाल ईओडब्‍ल्‍यू ने बैंक के एक रिप्रेजेंटेटिव का बयान दर्ज किया है. ईओडब्‍ल्‍यू समझने की कोशिश कर रही है कि आखिर बैंक में क्या हुआ होगा, कहा कथित गड़बड़ी हुई है. 

EOW ने बैंक के जनरल मैनेजर और हेड ऑफ अकाउंटेंट और मामले के आरोपी हितेश मेहता को समन भेजा है. EOW सूत्रों ने बताया कि बैंक में रखे पैसों की एंट्री बुक्स ऑफ अकाउंट में की जाती है. जब बुक्स ऑफ अकाउंट की टेली की गई, तो दोनों में 122 करोड़ रुपये का डिफरेंस सामने आया. इसी के बाद शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके आधार पर हितेश मेहता के खिलाफ FIR दर्ज की गई. EOW ने इस मामले में बैंक की बुक्स ऑफ अकाउंट की डिटेल्स ली है, जिसकी फोरेंसिक ऑडिट कराई जाएगी.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों के सामने आरोपी हितेश मेहता ने बताया कि उसने 122 करोड़ रुपये अपनी पहचान के लोगों को दिए थे. हितेश ने यह भी कबूला की उसने यह रकम कोविड काल से निकालना शुरू किया था. हितेश अकाउंट हेड होने की वजह से उसके पास बैंक का कैश संभालने की जिम्मेदारी है, इसके अलावा उनके पास GST और TDS देखने का और पूरा अकाउंट देखने की जिम्मेदारी थी. सूत्रों ने बताया कि प्रभादेवी कार्यालय की तिजोरी से 112 करोड़ रुपये गायब हुए, तो वहीं गोरेगांव कार्यालय की तिजोरी से 10 करोड़ रुपये गायब हुए हैं.

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने मुंबई के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर प्रतिबंध लगा दिया है. आरबीआई का कहना है कि ये प्रतिबंध बैंक की स्थिति में सुधार होने तक लागू रहेंगे. इस प्रतिबंध के बाद पूरे महाराष्ट्र जिले के सभी बैंक खाताधारक अलग-अलग बैंक के जिले में जाकर अपने खाते की जानकारी प्राप्त करते हुए नजर आ रहे हैं. ठाणे जिले के नितिन सिग्नल इलाके के पास न्यू इंडिया बैंक के खाताधारक अपने बकाया रकम का तगादा करने पहुंचे.

इस प्रतिबंध से घबराई हुई एक महिला ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, ‘एक महीने में हमें पैसे वापस चाहिए. रोजमर्रा के खर्च के लिए पैसा कहां से लाएंगे? किसी से उधार ही लेना पड़ेगा. थोड़ा-थोड़ा करके तो हम किसी से उधार नहीं ले सकते. हमारा हर महीने का खर्च तीस-चालीस हजार होता है. जिस फ्लैट में हम रहते हैं, उसका मेंटेनेंस ही पंद्रह-बीस हजार है, तो हम लोग कैसे रहेंगे फिर?’

एक अन्य व्यक्ति किशोर शांताराम ने कहा, ‘मेरा खाता कम से कम 1992 से चालू है, जब मैं मुंबई आया था. बैंक को मुझे एक मैसेज करना चाहिए था. ये मेरा सैलरी अकाउंट है, मैं मर ही जाऊंगा अगर ऐसा हुआ तो. बैंक के लोग फोन भी नहीं उठा रहे हैं. एक रुपया भी नहीं है, जीरो बैलेंस है.’

दरअसल, इस पाबंदी के चलते बैंक ग्राहक अपने पैसे नहीं निकाल सकते। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक ने नए लोन देने, पैसा जमा करने और फिक्स्ड डिपॉजिट पर भी रोक लगा दी है.

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