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GST की दरों में होने वाले बदलाव से क्या होगा महंगा और क्या सस्ता, यहां विस्तार से पढ़ें


नई दिल्ली:

वस्तु एंव सेवा कर यानी GST की दरों को दुरुस्त करने के लिए गठित मंत्री समूह ने शनिवार को कारोबार में इस्तेमाल के लिए खरीदी गई पुरानी इलेक्ट्रिक गाड़ी के मार्जिन मूल्य पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया. परिषद ने साथ ही विमान ईंधन (ATF) को जीएसटी व्यवस्था से बाहर रखने पर सहमति जताई. वहीं, जीएसटी परिषद ने पॉपकॉर्न पर कर के बारे में स्पष्टीकरण जारी करने पर सहमति जताई. परिषद ने कहा कि पहले से पैक और लेबल वाले खाने के लिए तैयार स्नैक्स पर 12 प्रतिशत कर लगेगा. जीएसटी परिषद ने कहा कि अगर स्नैक्स कारमेलाइज्ड है, तो उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू होगा.चलिए हम आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर नई दरों के लागू होने से क्या महंगा होगा और क्या सस्ता

क्या होगा सस्ता? 

फॉर्टिफाइड राइस केरनल्स यानी एफआरके नई दरों के लागू होने से सस्ती हो जाएंगी. काउंसिल ने इसपर 5 फीसदी जीएसटी कम करने का फैसला किया है. 

जेने थेरेपी: काउंसिल ने जेने थेरेपी को पूरी तरह से जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है. 

मुफ्त वितरण के लिए भोजन की तैयारी: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए सरकारी कार्यक्रमों के तहत आपूर्ति किए जाने वाले खाद्य इनपुट पर रियायती 5 प्रतिशत जीएसटी दर लागू किया गया है.

लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एलआरएसएएम) असेंबली के लिए सिस्टम: एलआरएसएएम निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले सिस्टम, उप-प्रणालियों और उपकरणों पर आईजीएसटी पर भी छूट दी गई है.

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IAEA के लिए निरीक्षण उपकरण: अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी द्वारा निरीक्षण के लिए उपकरणों और उपभोज्य नमूनों के आयात पर IGST छूट दी गई है. 

काली मिर्च और किशमिश (कृषकों द्वारा आपूर्ति): स्पष्ट किया गया है कि कृषकों द्वारा सीधे बेचे जाने पर जीएसटी उत्तरदायी नहीं है.

जो चीजें हो जाएंगी और महंगी

पुराने और प्रयुक्त वाहन (ईवी सहित): कुछ पेट्रोल और डीजल वेरिएंट को छोड़कर सभी पुराने और प्रयुक्त वाहनों की बिक्री पर जीएसटी 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है.

रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न: प्री-पैक्ड और लेबल वाले रेडी-टू-ईट स्नैक्स पर 12 फीसदी टैक्स लगेगा, जबकि कैरामेलाइज्ड होने पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा. रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न, जो नमक और मसालों के साथ मिलाया जाता है, और इसमें नमकीन का आवश्यक गुण होता है, वर्तमान में 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है अगर यह पहले से पैक और लेबल नहीं किया गया है.

ऑटोक्लेव्ड वातित कंक्रीट (एसीसी) ब्लॉक: 50 प्रतिशत से अधिक फ्लाई ऐश सामग्री होने पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है.

कॉरपोरेट्स द्वारा प्रायोजन सेवाएं: अब इसे फॉरवर्ड चार्ज मैकेनिज्म के तहत लाया गया है, जिससे प्रायोजकों के लिए संभावित रूप से लागत बढ़ जाएगी.

अन्य परिवर्तन

वाउचर: जीएसटी परिषद ने वाउचर के लेनदेन पर कोई जीएसटी नहीं लगाने की सिफारिश की है क्योंकि वे न तो वस्तुओं की आपूर्ति हैं और न ही सेवाओं की आपूर्ति हैं.

पेनल चार्ज: ऋण शर्तों का अनुपालन न करने पर बैंकों और एनबीएफसी द्वारा वसूले गए जुर्माने पर कोई जीएसटी देय नहीं है.

परिषद ने उन सभी वस्तुओं को कवर करने के लिए ‘प्री-पैकेज्ड और लेबल’ की परिभाषा में संशोधन करने की सिफारिश की है जो खुदरा बिक्री के लिए हैं और जिनमें 25 किलोग्राम या 25 लीटर से अधिक नहीं है, जो कि ‘प्री-पैक्ड’ हैं जैसा कि नीचे परिभाषित किया गया है. लीगल मेट्रोलॉजी अधिनियम या उस पर चिपकाए गए लेबल पर अधिनियम और नियमों के प्रावधानों के तहत घोषणाएं अंकित होना आवश्यक है.

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