बागी बलिया में नारद राय ने की सपा में बगावत,अमित शाह से मिलकर बीजेपी में हुए शामिल
लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है. उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में भी इसी चरण में मतदान होना है.एक जून को होने वाले मतदान से पहले पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को बलिया में एक तगड़ा झटका लगा है.सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के करीबी और पूर्व मंत्री नारद राय (Narad Rai) ने सपा का दामन छोड़ दिया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के साथ मुलाकात के बाद राय ने एक्स पर लिखी एक पोस्ट में बीजेपी (BJP) में शामिल होने की घोषणा की है.पार्टी छोड़ने के बाद नारद राय ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
अमित शाह से मिलकर क्या बोले नारद राय?
अमित शाह से मिलने के बाद नारद राय ने एक्स पर लिखा, ”दुनिया में भारत का डंका बजाने वाले माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के यशस्वी गृह मंत्री और राजनीति के चाणक्य माननीय अमित शाह के संकल्प की समाज के अंतिम पंक्ति में बसे गरीब को मजबूत करने वाली सोच और राष्ट्रवादी विचारधारा को मजबूत करुंगा.जय जय श्री राम.”
इससे पहले उन्होंने लिखा था, ”स्वर्गीय नेता जी का सेवक रहा हूँ, नेता जी ने कहा था यदि अपने लोगों के सम्मान पर आंच आए तो किसी से भी बगावत कर जाना लेकिन झुकना मत!नेता जी आपका दिया गुरु मंत्र अंतिम सांस तक याद रखूंगा और अपने लोगों के लिए सदैव लड़ूंगा! जय बागी बलिया, जय राजनारायण, जय जनेश्वर, जय मुलायम!”
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नारद राय के सपा छोड़ने में ओमप्रकाश राजभर की भूमिका?
राय ने अमित शाह के साथ मुलाकात की जो तस्वीर पोस्ट की है उसमें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर भी नजर आ रहे हैं. इससे इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं, राजभर ने इस मुलाकात में अहम भूमिका निभाई.यह मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में हुई.
बीजेपी में शामिल होने की घोषणा करने से पहले नारद राय ने बलिया के एक मैरेज हाल में अपने समर्थकों की बैठक की.उन्होंने इस बैठक का नाम ‘राजनारायण जी की जमात की बैठक’दिया था. इस बैठक में उनके समर्थक बड़ी संख्या में शामिल हुए.
नारद राय ने क्या आरोप लगाए हैं?
बीजेपी में शामिल होने के बाद नारद राय ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि मुझे पिछले सात सालों से लगातार बेइज्जत किया जा रहा है.अखिलेश यादव ने 2017 में मेरा टिकट काट दिया और 2022 में टिकट तो दिया लेकिन मेरे हारने का इंतजाम भी किया.
सपा के संस्थापकों में से एक और पूर्व केंद्रीय मंत्री जनेश्वर मिश्र नारद राय राजनीती की मुख्यधारा में लेकर आए थे. राय समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव करीबी नेताओं में थे. शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच पैदा हुए मनमुटाव के बाद नारद राय ने मुलायम सिंह यादव के साथ रहे.
पिछले दो चुनाव हार चुके हैं नारद राय
इसके बाद उन्होंने सपा का दामन छोड़कर बसपा में शामिल हो गए थे. बसपा ने 2017 के चुनाव में उन्हें उनकी सीट बलिया नगर से उम्मीदवार बनाया था.लेकिन उन्हें बीजेपी के आनंद स्वरूप शुक्ल ने हरा दिया था. इसके बाद वो एक बार फिर सपा में शामिल हो गए. सपा ने उन्हें 2022 के चुनाव में टिकट दिया. इस बार उन्हें बीजेपी के दयाशंकर सिंह ने हरा दिया.
बलिया लोकसभा क्षेत्र से सपा उम्मीदवार सनातन पाण्डेय के समर्थन में अखिलेश यादव 26 मई को एक जनसभा को संबोधित किया था. भाषण के दौरान अखिलेश यादव ने नारद राय का नाम भी नहीं लिया था. राय इस बात से भी नाराज बताए जा रहे थे.
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