देश

हिन्दी के जाने-माने कथाकार सेरा यात्री का निधन

प्रख्यात हिन्दी साहित्यकार सेरा यात्री का निधन हो गया (फाइल फोटो).

खास बातें

  • सेरा यात्री ने 32 उपन्यास और 300 से ज्यादा कहानियां लिखीं
  • कहानी ‘ दूत’ पर दूरदर्शन ने फिल्म का निर्माण किया था
  • यात्री के लेखन पर देश में दो दर्जन से अधिक शोध किए गए

नई दिल्ली :

शुक्रवार को वरिष्ठ साहित्यकार सेरा यात्री (सेवा राम यात्री) नहीं रहे. उन्होंने गाजियाबाद के अपने घर में 91 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. सेरा यात्री (SR Yatri) ने 32 उपन्यास और 300 से ज्यादा कहानियां लिखीं. इसके अलावा अन्य विधाओं में भी काम करते रहे. वे पिछले कुछ अरसे से बीमार चल रहे थे.

  

सेरा यात्री का जन्म 10 जुलाई 1932 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद के गांव जड़ौदा में हुआ था. साप्ताहिक हिंदुस्तान, धर्मयुग, ज्ञानोदय, कादम्बिनी, सारिका, साहित्य अमृत, साहित्य भारती, बहुवचन, नई कहानियां, कहानी, पहल, श्रीवर्षा, शुक्रवार, नई दुनिया, वागर्थ, रविवार जैसी देश की तमाम पत्र पत्रिकाओं में उन्होंने विगत 50 वर्षों में लगातार लिखा. 

देश के दो दर्जन से अधिक शोधार्थियों द्वारा उनके लेखन पर शोध किया गया. देश के कई विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में भी उनकी कहानियां शामिल रहीं. उनकी कई कृतियां विभिन्न संस्थानों व मंचों से पुरस्कृत भी हुईं. उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के विशिष्ट पुरस्कार साहित्य भूषण व महात्मा गांधी साहित्य सम्मान आदि से भी सम्मानित किया गया. 

उनकी कहानी ‘ दूत’ पर दूरदर्शन की ओर से फिल्म का निर्माण किया गया था. वह महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में राइटर इन रेजिडेंट भी रहे. दो दशकों से अधिक समय तक उन्होंने साहित्यिक पत्रिका ‘वर्तमान साहित्य’ का संपादन भी किया. उनकी प्रमुख कृतियों में दराजों में बंद दस्तावेज, लौटते हुए, चांदनी के आर-पार, बीच की दरार, अंजान राहों का सफर, कई अंधेरों के पार, बनते बिगड़ते रिश्ते आदि शामिल हैं. 

यह भी पढ़ें :-  केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2025 तक गेहूं पर लगाई स्टॉक लिमिट, कीमतों में उछाल पर लगेगी लगाम!

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button