पहलवानों के पदक लौटाने से भाजपा की असंवेदनशीलता उजागर : अशोक गहलोत
खास बातें
- बृजभूषण के विश्वासपात्र संजय सिंह बने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष
- गुरुवार को साक्षी मलिक ने अपना ओलंपिक कांस्य लौटाया
- महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का आरोप
जयपुर :
पहलवानों के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने नजर आ रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ओलंपिक पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक के संन्यास की घोषणा के बाद शुक्रवार को केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा. अशोक गहलोत ने कहा कि इस प्रकरण ने महिला सुरक्षा के प्रति भाजपा की असंवेदनशीलता को उजागर किया है.
इंसाफ की लड़ाई में भाजपा की नीयत पर प्रश्नचिन्ह
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गहलोत ने ‘एक्स’ पर लिखा, “पहले पदक लाकर देश का नाम ऊंचा करने वाली बेटी साक्षी मलिक का संन्यास लेना और अब बजरंग पूनिया का पद्मश्री लौटाना पहलवान बेटियों के इंसाफ की लड़ाई में भाजपा की नीयत पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है. इस मामले में भाजपा द्वारा प्रदर्शित की जा रही दुर्भावना एवं पीड़ितों की मांगों की उपेक्षा निंदनीय एवं दुःखद है. यह प्रकरण महिला सुरक्षा के प्रति भाजपा की असंवेदनशीलता को उजागर कर रहा है.”
साक्षी मलिक ने संन्यास की घोषणा की…
बता दें कि तोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह के विश्वस्त संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के विरोध में शुक्रवार को अपना पद्मश्री सम्मान लौटाने का फैसला किया. इससे एक दिन पहले साक्षी मलिक ने संन्यास की घोषणा की थी.
मलिक और पुनिया सहित कई शीर्ष पहलवानों ने इस साल की शुरुआत में बृजभूषण के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था, जिन पर उन्होंने डब्ल्यूएफआई के नेतृत्व में महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया था. ये मामला अभी कोर्ट में है.
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