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RSS चीफ मोहन भागवत ने सुनाया, दीनदयाल उपाध्याय का खोटा सिक्का और रेडियो वाला किस्सा


नागपुर:

दशहरे के अवसर पर नागपुर में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कई मुद्दों पर अपने विचार रखे. भारतीय समाज में सद्भाव की भावना को बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हमारे समाज में जिनको देखकर लोग आगे बढ़ते हैं, जिनको बड़ा माना जाता है, वो जैसा करते हैं, लोग वैसा ही आचरण करने का प्रयत्‍न करते हैं. ऐसे में उनको यह देखना चाहिए कि उन्हें ऐसा करना है, जिससे समाज को धक्का नहीं लगे.

हमारे समाज में महापुरुषों का कैसा आचरण हुआ करता था, इसका जिक्र करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दीनदयाल उपाध्‍याय का एक किस्‍सा सुनाया…’दीनदयाल जी ट्रेन में जा रहे थे, उन्‍होंने अपना ट्रांजिस्‍टर बंद कर दिया. इसके बाद सामने बैठे शख्‍स से कहा कि आप अपना ट्रांजिस्‍टर लगाइए… मुझे न्‍यूज सुननी है. सामने बैठे शख्‍स ने कहा कि अभी तो आपने अपना ट्रांजिस्‍टर बंद किया है. इस पर दीनदयाल जी ने कहा कि मैंने अपना ट्रांजिस्‍टर इसलिए बंद किया, क्‍योंकि इसका लाइसेंस रिन्‍यू होना अभी बाकी है, क्‍योंकि अभी लाइसेंस समाप्‍त हो गया है और रिन्‍यू करने के बाद ही मैं ट्रांजिस्‍टर शुरू करूंगा. तब तक कृपया आप अपना ट्रांजिस्‍टर चला दीजिए.’ 

मोहन भागवत ने आगे बताया, ‘दीनदयाल जी बड़े व्‍यक्ति और नेता थे, भारतीय जनसंघ के अध्‍यक्ष थे. वो अगर ये नहीं करते, तो उनको कोई कुछ कहता नहीं. लेकिन उन्‍होंने इस बात का ध्‍यान रखा कि ट्रांजिस्‍टर का लाइसेंस समाप्‍त होने के बाद उसका बंद रखना है. गलती से एक बार सब्‍जी वाली को खोटा पैसा चला गया, तो कार्यालय से वापस आए. उसके पैसों में से खोटा सिक्‍का वापस आए, उसे नया पैसा दिया. इसके बाद खोटे सिक्‍के को नदी में फेंककर वापस आए, क्‍योंकि दूसरा उसका कोई उपयोग न करे. ये आचरण है, समाज के नियम होते हैं.’    

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 99 साल पूरे हो गए हैं. स्थापना दिवस को विधिवत ही शुरू किया गया. विजयादशमी उत्सव की शुरुआत शस्त्र पूजन से हुई. कार्यक्रम में इसरो के पूर्व चेयरमैन डॉ. के राधाकृष्णन मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे.

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