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रूस ने कभी भी भारत के हितों को नहीं पहुंचाया नुकसान : विदेश मंत्री एस जयशंकर

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग को 24 फरवरी को दो साल हो जाएंगे. पश्चिमी देश जंग खत्म करने पर जोर दे रहे हैं और रूस को अलग-थलग करने के लिए कदम भी कुछ उठा चुके हैं. दिसंबर 2023 में आई अमेरिका की खुफिया जानकारी के मुताबिक, इस जंग में अब तक 70,000 से ज्यादा नागरिक और सैनिक मारे गए हैं.

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रूस को लेकर पूछे गए एक सवाल पर जयशंकर ने कहा, “हर कोई पिछले अनुभवों के आधार पर रिश्ते निभाता है. अगर मैं आजादी के बाद के भारत के इतिहास को देखूं, तो रूस ने कभी भी हमारे हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया है. हमारे बीच हमेशा स्थिर और बहुत दोस्ताना रिश्ते रहे हैं. आज मॉस्को के साथ हमारा रिश्ता इसी अनुभव पर आधारित है.” 

रूस और यूक्रेन के बीच 2 साल से चल रही जंग

24 फरवरी 2022 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के आदेश दिए थे. अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस समेत पश्चिम के कई देशों ने इस जंग में यूक्रेन का पक्ष लेते हुए उसकी मदद की. अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों ने रूसी कच्चे तेल की खरीद समेत कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे. लेकिन भारत ने इन प्रतिबंधों के बावजूद रूस से व्यापारिक रिश्ते बरकरार रखे.

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रूस से तेल खरीद का किया बचाव

जर्मनी के म्यूनिख में एक बैठक के दौरान एस जयशंकर ने कहा, “इस समय रूसी कच्चा तेल खरीदने के अलावा मुझे कोई विकल्प नहीं दिखता है.” जयशंकर ने इस मुद्दे पर बार-बार भारत का बचाव किया है.

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उन्होंने यह भी बताया कि रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अमीर पश्चिमी देश मिडिल ईस्ट के सप्लायर्स से बढ़ी हुई कीमतों पर कच्चा तेल खरीद सकते हैं. वहीं, भारत ने मॉस्को से तेल की खरीद जारी रखी. इससे अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में नरमी आई.

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यूरोपीय देशों को दिया मैसेज

विदेश मंत्री ने कहा, “यूरोप को यह समझना चाहिए कि मैं रूस के बारे में यूरोपीय दृष्टिकोण के समान नहीं हो सकता. आइए स्वीकार करें कि रिश्तों में स्वाभाविक मतभेद हैं.” जयशंकर ने कहा, “हम स्मार्ट हैं और हमारे पास कई विकल्प हैं. आपको तो हमारी तारीफ करनी चाहिए.” 

एस जयशंकर ने इससे पहले कहा था कि भारत की रूसी तेल खरीद यूरोपीय देशों द्वारा पहले खरीदी गई मात्रा की तुलना में मामूली है. उन्होंने पिछले साल अगस्त में The Hindkeshariसे कहा था कि हर देश अपने नागरिकों के लिए सर्वोत्तम संभव सौदा पाने और उच्च ऊर्जा कीमतों के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहा है. भारत भी इससे अलग नहीं है.”

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