देश

नरेंद्र मोदी कैबिनेट में फिर मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, यहां से शुरू किया था राजनीतिक सफर


नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने रविवार को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली.सोनोवाल 2014 में बनी नरेंद्र मोदी की सरकार में दो साल तक खेल और युवा कल्याण मंत्रालय के राज्य मंत्री थे. असम में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत की पटकथा लिखने और मुख्यमंत्री बनने से पहले वो केंद्रीय मंत्रिपरिषद में पूर्वोत्तर के एकमात्र प्रतिनिधि थे.वह बाद में मुख्यमंत्री पद त्याग कर 2021 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री बने.

रविवार को दिल्ली में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले सोनोवाल ने कहा कि वह पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ देश के लोगों की सेवा करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि वो 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को पूरा करने में योगदान देंगे.

क्या कहा है सोनोवाल ने

सोनोवाल ने कहा,”प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों के आशीर्वाद के कारण लगातार तीसरी बार कार्यभार संभाला है.लोगों ने मोदी की विनम्रता, ईमानदारी, प्रतिबद्धता और दूरदर्शिता के कारण उन पर विश्वास जताया है.” छात्र राजनीति के उतार-चढ़ाव से लेकर तीन बार मंत्री बनने तक सोनोवाल का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव वाला रहा है.

सोनोवाल राज्य की सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी असम गण परिषद में एक छात्र नेता रहने के बाद बीजेपी में शामिल हो गए.वह असम के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी की स्पष्ट पसंद थे,जब बीजेपी ने 2016 में पहली बार पूर्वोत्तर के इस राज्य में जीत हासिल की थी.

यह भी पढ़ें :-  जलवायु वित्त पोषण पर प्रगति जलवायु कार्रवाई पर बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप दिखनी चाहिए : PM मोदी

हालांकि,2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने सोनोवाल या किसी अन्य नेता को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं करने का विकल्प चुना था.इसके बजाय,उनकी सरकार के कद्दावर मंत्री हिमंत विश्व शर्मा को चुनाव के बाद राज्य में मुख्यमंत्री पद दिया गया.फिर भी, सोनोवाल (62) लंबे समय तक हाशिए पर नहीं रहे.उसी साल हुए फेरबदल में उन्हें जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में पदोन्नत कर दिया गया और जहाजरानी, जलमार्ग, बंदरगाह और आयुष जैसे महत्वपूर्ण विभाग दिए गए.

सोनोवाल का राजनीतिक सफर

विधि स्नातक,राज्यसभा सदस्य को एक ईमानदार नेता माना जाता है.उन्होंने राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ पार्टी की लड़ाई को आगे बढ़ाया और अपने बार-बार दोहराए जाने वाले वाक्य ‘बराक-ब्रह्मपुत्र-मैदान-पहाड़ियां’ के साथ समुदायों को एकजुट किया, जो राज्य की विविध देशज आबादी को एकजुट करने वाले के रूप में उनकी भूमिका का प्रतीक है.

मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल की सबसे कठिन परीक्षा नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई,जब ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) के उनके पूर्व सहयोगियों ने उन पर देशज आबादी के हितों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया था.

सोनोवाल ने अखिल असम छात्र संघ में शामिल होने के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की.वहां वह 1992 से 1999 तक इसके अध्यक्ष रहे और 1996 से 2000 तक नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष भी रहे.

ये भी पढ़ें: 9 श्रद्धालुओं की मौत: घात लगाए बैठे थे आतंकी और… जम्मू में उस बदनसीब बस के साथ क्या हुआ

(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

यह भी पढ़ें :-  "कांग्रेस का घोषणापत्र ऐसा लगता है मानो मुस्लिम लीग का घोषणापत्र हो" : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button