फ्रांस के शहर मार्सिले में किस क्रांतिकारी का घर खोज रहे थे सावरकर, पढ़िए पूरी कहानी
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नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार सुबह फ्रांस के शहर मार्सिले पहुंचे. वहां उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीडी सावरकर को श्रद्धांजलि अर्पित की. सावरकर ने इस बंदरगाह शहर से अंग्रेजों के जहाज से छह जुलाई 1910 को उस समय भाग निकले थे, जब उन्हें लंदन में गिरफ्तार कर भारत लाया जा रहा था. हाथ में हथकड़ी होने के बाद भी वो जहाज से भाग लेने में सफल हुए थे. 25 अक्टूबर 1910 को फ्रांस और ब्रिटेन में हुए एक समझौते के बाद सावरकर को ब्रिटिश पुलिस को सौंप दिया था. इसके बाद उन पर भारत में मुकदमा चलाया गया था.उन्हें 24 दिसंबर 1910 को दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. इस सजा को पूरा करने के लिए उन्हें काला पानी भेजा गया था.वहां उन्हें अंडमान की सेलुलर जेल में रखा गया था.
वीडी सावरकर ने कहां की थी अभिनव भारत की स्थापना
सावरकर नौ जून 1906 को बांबे (आज की मुंबई) से एसएस पर्सिया नाम के जहाज पर सवार होकर लंदन के लिए रवाना हुए थे. इसी यात्रा के दौरान उन्होंने अपने सहयात्रियों से बात कर ‘अभिनव भारत’ नामक संगठन की स्थापना की थी. इस यात्रा के दौरान ही सावरकर मार्सिले पहुंचे थे. उन्होंने वहां से लंदन के लिए ट्रेन पकड़ी थी. सावरकर की मार्सिले यात्रा की जानकारी ‘इनसाइड दी एनिमी कैंप’ नाम की किताब में दर्ज है.इस शहर की यात्रा उन्होंने टूरिस्ट गाइड की मदद से की थी. उनकी रुचि ज्युसेपी मेजीनी नाम के एक इतालवी क्रांतिकारी में थी, जिन्होंने मार्सिले में भूमिगत जीवन बिताया था, लेकिन वो काफी प्रयास के बाद भी मार्सिले उस घर को नहीं खोज पाए थे, जहां मेजीनी रहते थे. यहां हम आपको उसी किताब के हवाले से सावरकर की मार्सिले की यात्रा और उनके अनुभवों के बारे में बता रहे हैं.
सावरकर ने अपने अनुभव में लिखा है, ”अंततः हमारा जहाज लाल सागर पार कर स्वेज बंदरगाह में प्रवेश कर गया. मैंने जो देखा वह अद्भुत था. बहुत सारे सामान बेचे और खरीदे जा रहे थे. एशिया, यूरोप और अफ्रीका यहां मिलते हैं. यह एक अद्वितीय प्रदर्शनी थी, सभी रंग और आकार के मनुष्यों का जमावड़ा, अफ्रीकी, चीनी, जापानी सभी वहां थे.ऐसी परिस्थितियों में एक कामकाजी भाषा विकसित होती है. उसमें लोग अपने लेनदेन करते हैं. पोर्ट स्वेज से, हम फ्रांस के मार्सिले में आए. यहां से, हमें लंदन के लिए ट्रेन पकड़नी थी.”
मार्सिले में किसका घर खोज रहे थे सावरकर
उन्होंने लिखा है,”मैं विशेष रूप से मार्सिले में दिलचस्पी रखता था. यहीं से फ्रांसीसी सेना की टुकड़ी 1789 की महान क्रांति का संदेश फैलाते हुए पेरिस गई थी. यहीं पर प्रसिद्ध फ्रांसीसी राष्ट्रगान रौगेट डी लिस्ले द्वारा रचा गया था. मार्सिले नामक गीत ने इंग्लैंड, प्रशिया, स्पेन और ऑस्ट्रिया के खिलाफ अपनी लड़ाई के दौरान फ्रांसीसियों को निर्विवाद प्रेरणा प्रदान की.”
Landed in Marseille. In India’s quest for freedom, this city holds special significance. It was here that the great Veer Savarkar attempted a courageous escape. I also want to thank the people of Marseille and the French activists of that time who demanded that he not be handed…
— Narendra Modi (@narendramodi) February 11, 2025
उन्होंने लिखा है,”मार्सिले में मेरे लिए एक और आकर्षण था. इतालवी स्वतंत्रता संग्राम के मेरे नायक मेजीनी (1805-72), जब पदच्युत हुए, तो शरण लेने के लिए मार्सिले आए. उनके पास कोई दोस्त या परिचित नहीं था, कोई भोजन नहीं था, कोई आश्रय नहीं था. फिर भी वे अडिग रहे और उन्होंने अपनी गुप्त संस्था ‘यंग इटली’ की स्थापना की. बाद में, इटली में ऑस्ट्रियाई अधिकारियों ने मेजीनी को अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई, लेकिन इसे फ्रांस में अंजाम नहीं दिया जा सका. इसलिए मेजीनी मार्सिले में रहे. ऑस्ट्रियाई लोगों ने फ्रांस पर दबाव डाला और फ्रांसीसियों ने मेजीनी को फ्रांस छोड़ने का आदेश दिया. वे भूमिगत हो गए और मार्सिले में ही रहे. बाद में, वे इटली में एक विद्रोह में भाग लेने के लिए मार्सिले से चले गए. तभी वे मार्सिले से निकले. इसलिए यह शहर मेरे लिए बहुत पूजनीय था.”
क्या मार्सिले में कोई मेजीनी को जानता था
सावरकर लिखते हैं, ”मैं एक पर्यटक गाइड के साथ शहर गया. उसने मुझे स्थानीय महत्व की इमारतें, उद्यान, प्राचीन अवशेष आदि दिखाए. मैंने उससे वह घर दिखाने के लिए कहा जहां महान इतालवी स्वतंत्रता सेनानी कभी रहता था. वह चकित रह गया और जवाब दिया,मैं शहर को अच्छी तरह जानता हूं, लेकिन मैंने मेजीनी के बारे में कभी नहीं सुना. यदि आपके पास कोई पता है तो मैं पूछताछ कर सकता हूं. मैंने मन में सोचा, आखिरकार, यह आदमी केवल अपनी जीविका चला रहा है. उसे विस्तृत इतिहास कैसे पता होगा?”
![वीडी सावरकर ने अभिनव भारत नाम के संगठन की स्थापना की थी. वीडी सावरकर ने अभिनव भारत नाम के संगठन की स्थापना की थी.](https://i0.wp.com/c.ndtvimg.com/2025-02/dn9jc1h8_vd-savarkar_625x300_12_February_25.jpg?w=780&ssl=1)
वीडी सावरकर ने अभिनव भारत नाम के संगठन की स्थापना की थी.
उन्होंने लिखा है,”मैंने सुझाव दिया कि उसे किसी अखबार के संपादक या स्थानीय शिक्षक से संपर्क करना चाहिए. सौभाग्य से, हमें एक अखबार का कार्यालय मिला. मेरा गाइड अंदर गया और कुछ पूछताछ की. जब वह बाहर आया, तो उसने कहा, संपादक कहते हैं, हमें वह घर नहीं पता जहां इटली के मेजीनी कभी रहते थे. कृपया इटली में पूछताछ करें. शायद इटालियन लोग जगह जानते होंगे.मैं हंसा और मन में सोचा, जब मेजीनी 60 या 70 साल पहले मार्सिले आए थे, तो शायद ही कोई फ्रांसीसी उन्हें जानता होगा. आज सैकड़ों यात्री कई देशों से यहां आ रहे हैं. किसी को मेरी परवाह नहीं है- एक भारतीय क्रांतिकारी. इसी तरह, जब कुछ इतालवी क्रांतिकारी एक बार इस शहर की सड़कों पर घूम रहे थे, तो फ्रांसीसियों ने शायद ही परवाह की.”
नासिक और मार्सिले में समानता
उन्होंने लिखा है,”जब मेजीनी ने यहां अपनी गुप्त संस्था की स्थापना की, तो उस समाज की स्थिति और ताकत हमारी अभिनव भारत से अलग नहीं थी. फ्रांसीसी इटली के भाग्य की परवाह नहीं कर सकते थे. मेजीनी बाद के वर्षों में और मार्सिले छोड़ने के बाद ही प्रसिद्ध हुए. यह स्वाभाविक था कि फ्रांसीसियों ने मार्सिले में मेजीनी के रहने या गतिविधियों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा. वैसे भी, मेजीनी एक बेसहारा थे. उनका कोई निश्चित ठिकाना नहीं था. मेरा गाइड कैसे जान सकता था कि मेजीनी कहां रहते थे?”
सावरकर ने लिखा है, ”मेरा गाइड मुझे उस जगह से ले गया जिसे मैं पुराना शहर मानता हूं. यह मेरे गृहनगर नासिक की गलियों से बहुत मिलता-जुलता था. यह आश्चर्यजनक था कि दोनों शहरों में कोबलस्टोन की सड़कें थीं, जो लगभग दो सौ साल पहले की तरह ही मजबूती से जमी हुई थीं.जब मैं अपनी गाइडेड टूर से लौटा, तब तक इंग्लैंड के लिए ट्रेन का समय लगभग हो चुका था. मै, अन्य भारतीयों के साथ, अपने डिब्बे में बैठ गया और जैसे ही ट्रेन चलने लगी, मैंने मार्सिले के महान शहर को सलाम किया. किसी ने भी उस उथल-पुथल की कल्पना नहीं की होगी जो सिर्फ चार साल में आने वाली थी. आज, यहाँ कोई फ्रांसीसी मुझे नहीं जानता. और फिर भी चार साल में कई फ्रांसीसी पूछेंगे- यह सावरकर कौन है? भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का मुद्दा पूरे यूरोप में चर्चा का विषय होगा. और एक संयोग के रूप में, मार्सिले का नाम कम से कम एक साल तक दुनिया भर में सुर्खियों में रहेगा. किसी को भी अंदाजा नहीं था कि ऐसा होगा.”
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