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"चेक गणराज्य की अदालत में जाएं…" : अमेरिका में हत्या की साज़िश में गिरफ़्तार भारतीय को SC का निर्देश

अदालत ने इसे विदेश मंत्रालय के लिए ‘बेहद संवेदनशील मामला’ माना, और जस्टिस संजीव खन्ना ने याचिकाकर्ता को सबसे पहले ‘भारत के बाहर की अदालत में जाने’ का निर्देश दिया, जिससे स्पष्ट हो गया कि दूसरे देश में हुई गिरफ्तारी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती.

जस्टिस खन्ना ने रेखांकित कर कहा, “हिरासत में लिए गए व्यक्ति (निखिल गुप्ता) ने हलफ़नामा नहीं दिया है… अगर किसी कानून का उल्लंघन हुआ है… तो आपको वहां अदालत में जाना होगा…” इसके बाद जस्टिस खन्ना ने अगले महीने के लिए सुनवाई निर्धारित की.

अर्ज़ी में कहा गया था, “…हालात (प्राग में गिरफ्तारी के) में कई अनियमितताएं थीं, कोई औपचारिक गिरफ्तारी वारंट नहीं दिखाया गया था, और स्थानीय चेक अधिकारियों के बजाय ऐसे लोगों ने गिरफ़्तारी की, जो खुद को अमेरिकी एजेंट बता रहे थे…” अर्ज़ी में ‘मौलिक अधिकारों के गंभीर उल्लंघन’ का भी दावा किया गया है, जिसमें ‘गाय और सूअर के मांस का जबरन सेवन’ भी शामिल है, जिसे उन्होंने (निखिल गुप्ता ने) अपमानजनक पाया, क्योंकि वह ‘कट्टर हिन्दू और शाकाहारी’ हैं.

52-वर्षीय निखिल गुप्ता पर अमेरिकी-कनाडाई नागरिकता वाले खालिस्तानी आतंकवादी पन्नूं की हत्या के लिए हिटमैन को नियुक्त करने की कोशिश करने का आरोप है. ‘हिटमैन’ एक खुफिया अमेरिकी संघीय एजेंट था.

भाड़े का हत्यारा बुलाने और साज़िश रचने के आरोप में दोषी करार दिए जाने की स्थिति में निखिल को 20 साल की जेल की सज़ा का सामना करना पड़ सकता है. अमेरिका ने भारत सरकार के एक कर्मचारी पर भी आरोप लगाया है, जिसकी पहचान फिलहाल गुप्त रखी गई है.

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अमेरिकी सरकारी प्रॉसीक्यूटरों का कहना है कि निखिल गुप्ता और भारत सरकार के कर्मचारी, जिसे उन्होंने सीसी-1 कोडनाम दिया है, के बीच मई माह से ही फोन और ईमेल के ज़रिये लगातार संपर्क था, जिसमें सीसी-1 ने निखिल गुप्ता से हत्या की योजना बनाने के लिए कहा. बदले में निखिल से वादा किया गया था कि भारत में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को खत्म करने में मदद की जाएगी. अमेरिका ने कहा कि दोनों के बीच दिल्ली में आमने-सामने मुलाकात भी हुई थी.

सीसी-1 के निर्देशों के मुताबिक, निखिल गुप्ता ने न्यूयॉर्क शहर में पन्नूं को मार डालने की खातिर हिटमैन भाड़े पर लेने के लिए कथित तौर पर ऐसे शख्स से मदद मांगी, जिसे वह अपराधी समझता था, लेकिन असल में वह गोपनीय मुखबिर था, जो अमेरिका के ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन के साथ काम कर रहा था.

इसके बाद सीसी-1 ने सौदा तय किया, जिसे कथित तौर पर निखिल गुप्ता, जिसे ‘अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्कर’ का लेबल दिया गया, ने तय करवाया. इस सौदे के लिए अंडरकवर अधिकारी को हत्या के लिए 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना था.

आरोपों पर प्रतिक्रिया में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत ऐसे इनपुट को गंभीरता से लेता है, क्योंकि वे हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर भी प्रभाव डालते हैं, और संबंधित विभाग पहले से ही इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं…” सरकार ने कहा, एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित कर दी गई है.

पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस ने भारत से साज़िश में शामिल लोगों को जवाबदेह ठहराने की मांग की थी, और अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि उनकी सरकार जांच के ‘परिणामों की प्रतीक्षा कर रही’ है.

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