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देश

हर जज के पास 15 से 20 हजार केस… इलाहाबाद HC में बढ़ते पेंडिंग केसों पर SC ने जताई चिंता


नई दिल्ली:

इलाहाबाद हाईकोर्ट में बढ़ते लंबित केसों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट मुकदमों से भरा पड़ा है. हमें बताया गया है कि हाईकोर्ट के हर जज के पास करीब 15000 से 20000 मामले हैं. हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या 160 है, लेकिन दुर्भाग्य से आज यह हाईकोर्ट 84 जजों के साथ काम कर रहा है. वादी अपने मामलों की सुनवाई और निर्णय का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने 95 साल की महिला की याचिका पर ये कहा. याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय को 2013 से लंबित उसकी दूसरी अपील पर विचार करने तथा मामले का यथाशीघ्र निपटारा करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

जस्टिस जेबी पारदीवाला तथा जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने निर्देश दिया कि वर्तमान रिट याचिका में पारित आदेश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित एक अभ्यावेदन के रूप में माना जाएगा, जो उच्च न्यायालय में कई दशकों से लंबित मामलों के संबंध में है तथा इस संबंध में अपने प्रशासनिक पक्ष पर उचित आदेश पारित करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि उच्च न्यायालय लंबित मामलों से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है तथा इसका एकमात्र उपाय केवल योग्यता तथा क्षमता के आधार पर उपयुक्त व्यक्तियों की सिफारिश करके रिक्तियों को भरने के लिए यथाशीघ्र आवश्यक कदम उठाना है. 

पीठ ने अपने आदेश में कहा है “पिछले दो महीनों में हमें ऐसे कई रिट याचिकाएं देखने को मिली हैं, जो वादियों द्वारा दायर की गई हैं, जिनकी कार्यवाही पिछले तीन दशकों से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है, जिसमें यह निर्देश देने की मांग की गई है कि उच्च न्यायालय द्वारा मामले की सुनवाई शीघ्रता से की जाए. इसमें कोई संदेह नहीं है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय मुकदमों से भरा पड़ा है. हमें बताया गया है कि उच्च न्यायालय के प्रत्येक माननीय न्यायाधीश के पास लगभग 15000 से 20000 मामले हैं. उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 160 है, लेकिन दुर्भाग्य से आज यह 84 न्यायाधीशों के साथ काम कर रहा है. वादी अपने मामलों की सुनवाई और निर्णय का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.”

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कोर्ट ने कहा, “एकमात्र उपाय यह है कि रिक्तियों को भरने के लिए यथाशीघ्र आवश्यक कदम उठाए जाएं और शुद्ध योग्यता और क्षमता के आधार पर सिफारिश की जाए. इस याचिका को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश को संबोधित एक अभ्यावेदन के रूप में माना जाए. रजिस्ट्री इस आदेश के साथ रिट याचिका की एक प्रति इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेजेगी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के  मुख्य न्यायाधीश इस मामले पर गौर करें और अपने प्रशासनिक पक्ष पर इस संबंध में उचित आदेश पारित करें.”



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