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हरियाणा के पूर्व कांग्रेस MLA को SC ने दी बड़ी राहत, ED पर उठाए सवाल


नई दिल्ली:

हरियाणा के पूर्व कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. SC ने मनी लांड्रिंग केस में गिरफ्तारी अवैध करार देने का पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा है. कोर्ट ने ईडी की अपील को खारिज कर दिया है.

सप्रीम कोर्ट ने ईडी पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने लगातार 15 घंटे पूछताछ करने को कठोर और अमानवीय बर्ताव बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को याचिका खारिज करते हुए पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया, जिसके तहत कहा गया था कि सुरेंद्र पंवार की गिरफ्तारी अवैध थी.

दरअसल, सुरेंद्र पंवार को हरियाणा के चुनाव से ठीक पहले अवैध माइनिंग और मनी लांड्रिंग के मामले में ईडी ने 20 जुलाई 2024 को गुरूग्राम से गिरफ्तार किया था. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सुरेंद्र पंवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए केस को 23 सितंबर 2024 को खारिज कर दिया था.

25 सितंबर 2024 को सुरेंद्र पंवार जेल से रिहा हुए थे. इस आदेश को ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि एजेंसी वस्तुतः एक व्यक्ति को बयान देने के लिए मजबूर कर रही थी और यह चौंकाने वाली स्थिति है.

पीठ ने अवैध खनन से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा हरियाणा के पूर्व कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार की गिरफ्तारी को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा. जुलाई में लगभग 15 घंटे तक पूछताछ करने के बाद उन्हें 1:40 बजे गिरफ्तार किया गया था. लेकिन सितंबर में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को रद्द कर दिया और ईडी ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

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प्रवर्तन निदेशालय की अपील को खारिज करते हुए पीठ ने सवाल उठाया कि एजेंसी बिना रुके इतने लंबे समय तक पूछताछ करके किसी व्यक्ति को कैसे प्रताड़ित कर सकती है. हालांकि, ईडी के वकील जोहेब हुसैन ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में गलत तरीके से दर्ज किया है कि पंवार से लगातार 14 घंटे और 40 मिनट तक पूछताछ की गई और पूछताछ के दौरान उन्हें डिनर ब्रेक दिया गया.

हुसैन ने आगे कहा कि एजेंसी ने प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए पहले ही कदम उठाए हैं कि लोगों से इस तरह देर रात पूछताछ न की जाए. हालांकि, हाईकोर्ट की भावनाओं को दोहराते हुए, पीठ ने कहा कि यह ईडी अधिकारियों की ओर से अमानवीय आचरण था.

न्यायालय ने कहा कि यह आतंकवादी गतिविधि से संबंधित मामला नहीं था, बल्कि अवैध रेत खनन का मामला था और  मामले में लोगों के साथ इस तरह का व्यवहार करने का यह तरीका नहीं है. पीठ ने कहा कि आप एक व्यक्ति को बयान देने के लिए मजबूर कर रहे हैं.



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