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"उचित नियम लागू नहीं होने तक… ": मीडियाकर्मियों के डिजिटल उपकरण जब्‍ती मामले में SC

सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन तय करने के लिए केंद्र सरकार को 6 सप्ताह का समय दिया है. इसे लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि गाइडलाइन को अंतिम रूप दिया जा रहा है और विशेषज्ञों के साथ चर्चा हो रही है. इस मामले में अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी. 

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र की ओर से देरी पर सवाल उठाए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में नोटिस दो साल पहले दिया गया था. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को एक हफ्ते का समय और दिया था. साथ ही कहा था कि उम्मीद पर दुनिया कायम है. इस पर केंद्र ने कहा था कि कमेटी गठित की गई है, अगले सप्ताह तक कुछ सकारात्मक होगा. 

जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच में केंद्र सरकार की ओर ASG एस वी राजू ने कहा इस मुद्दे को लेकर एक कमेटी गठित कर दी गई है. इसमें कुछ और समय लग सकता है. एक हफ्ते का और समय दिया जाए. 

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि जांच एजेंसियों द्वारा पत्रकारों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जब्ती को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश जल्द ही तैयार किए जाएंगे. 

जस्टिस संजय किशन कौल ने ASG से पूछा कि दो साल हो गए नोटिस जारी किए हुए, कुछ तो समय की सीमा होनी चाहिए. 

हालांकि मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से सुझाव देते हुए कहा गया कि जांच एजेंसी को उपकरणों को जब्‍त करने के बजाय उनके डाटा के रिकार्ड के दस्तावेज अपने पास रखने जैसे कुछ दिशा निर्देश अंतरिम तौर पर दिए जाने की आवश्यकता है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक हफ्ते का समय देते हुए मामले की सुनवाई को 14 दिसंबर के लिए तय किया था. 

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फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स द्वारा दायर जनहित याचिका में ‘भीमा कोरेगांव’, ‘न्यूजक्लिक’ मामलों में उठाए गए पत्रिकाओं के उपकरणों को जब्त करने के लिए दिशानिर्देश की मांग की गई है. सात नवंबर को कानूनी एजेंसियों द्वारा मीडियाकर्मियों  के डिजिटल उपकरण जब्त करने का मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा दखल आया था. 

अदालत ने मीडियाकर्मियों के लिए अलग से गाइडलाइन की वकालत की थी और कहा था कि ये एक गंभीर मामला है. मीडिया पेशेवरों की सुरक्षा के लिए बेहतर गाइडलाइन हो. केंद्र सरकार मीडिया पेशेवरों के उपकरणों की जब्ती पर गाइडलाइन तैयार करे. मीडिया पेशेवरों के पास अपने सूत्र होते हैं. हितों में संतुलन होना चाहिए. हमने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है. 

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को गाइडलाइन के लिए समय दिया था और सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा था कि केंद्र को ये गाइडलाइन तैयार करनी चाहिए. अगर आप चाहते हैं कि हम यह करें, हम यह करेंगे, लेकिन मेरा विचार यह है कि आपको यह स्वयं करना चाहिए. ऐसा राज्य नहीं हो सकता जो अपनी एजेंसियों के माध्यम से चलाया जाता हो. 

फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स की एक रिट याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा डिजिटल उपकरणों की खोज और जब्ती पर व्यापक गाइडलाइन की मांग की गई है. जस्टिस संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. दरअसल, केंद्र की ओर से ASG एसवी राजू ने कहा कि वो बहस करने के लिए अभी तैयार नहीं हैं. जटिल कानूनी मुद्दे हैं, जिन पर विचार होना है. मीडिया के पास अधिकार हैं, लेकिन वे कानून से ऊपर नहीं हैं. 

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जस्टिस कौल ने कहा था कि आपके पास बेहतर गाइडलाइन होनी चाहिए. आपको यह विश्लेषण करना चाहिए कि सुरक्षा के लिए किस प्रकार के दिशानिर्देश आवश्यक हैं. यह प्रतिकूल नहीं है. हम आपको और समय देंगे. ये ध्यान में रखा जाए कि हमने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है. ASG इस मुद्दे पर जवाब दें. 

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