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SC ने कहा- किसानों के लिए हमेशा खुले हैं हमारे दरवाजे, डल्लेवाल पर पंजाब सरकार से मांगा जवाब


नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को किसान आंदोलन पर सुनवाई की. अदालत ने कहा कि किसानों के लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं. वे सीधे अपने सुझाव या मांगें लेकर हमारे पास आ सकते हैं या अपना प्रतिनिधि भेज सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत पर भी पंजाब सरकार से जवाब मांगा. उधर,  केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान बुधवार को रेलमार्गों पर बैठ गए. 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “राज्य सरकार को अच्छा नहीं होगा अगर डल्लेवाल को कुछ होता है और आरोप लगते हैं. उन्हें सभी मेडिकल सुविधाएं मिलती रहें, राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे.” इस बीच पंजाब के अटॉर्नी जनरल गुरमिंदर सिंह ने डल्लेवाल के साथ बातचीत की है. गुरमिंदर सिंह ने कहा, “उन्होंने अपने मेडिकल टेस्ट करवाने से इनकार कर दिया है. उनके सभी जरूरी अंग सही तरह से काम कर रहे हैं.”

किसानों को मनाने का प्रयास : पंजाब सरकार 

इस मामले में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ को पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने सूचित किया कि समिति ने उन्हें 17 दिसंबर को आमंत्रित किया था, लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने उनसे बात नहीं की. 

सिंह ने कहा कि राज्य सरकार प्रतिदिन किसानों को मनाने का प्रयास कर रही है और उन्होंने सुझाव दिया कि उन्हें अपनी मांगों को सीधे अदालत में रखने की अनुमति दी जा सकती है. 

रेलमार्गों पर बैठे किसान 

फसलों के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए बुधवार को किसानों के रेलमार्गों पर बैठ जाने के कारण पंजाब में ट्रेन सेवाएं प्रभावित रहीं. ‘रेल रोको’ आह्वान संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने किया. किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि किसान दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक कई स्थानों पर रेल पटरियों पर बैठे रहे. 

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गुरदासपुर के मोगा, फरीदकोट, कादियां और बटाला; जालंधर में फिल्लौर; होशियारपुर में टांडा, दसूया, माहिलपुर; फिरोजपुर में मक्खू, तलवंडी भाई; लुधियाना में साहनेवाल; पटियाला में शंभू; मोहाली, संगरूर के सुनाम और लहरा, बठिंडा के रामपुरा फूल और अमृतसर के देवीदासपुरा समेत कई स्थानों पर प्रदशनकारी किसानों ने ट्रेन मार्गों को बाधित किया. 

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स्‍टेशनों पर रुकी रहीं ट्रेनें

जम्मू से सियालदह जाने वाली हमसफर एक्सप्रेस, अमृतसर से मुंबई जाने वाली दादर एक्सप्रेस और नई दिल्ली से अमृतसर जाने वाली शान-ए-पंजाब एक्सप्रेस को लुधियाना रेलवे स्टेशन के विभिन्न प्लेटफार्मों पर रोक दिया गया. नई दिल्ली से अमृतसर आने वाली शताब्दी एक्सप्रेस को खन्ना रेलवे स्टेशन पर रोक दिया गया. 

एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा, ‘‘हम सरकार से एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं.”

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं, जब सुरक्षा बलों द्वारा उनके दिल्ली कूच को रोक दिया गया था. 

दिल्‍ली में प्रवेश की तीन कोशिश 

इससे पहले 101 किसानों के एक ‘जत्थे’ (समूह) ने छह दिसंबर, आठ दिसंबर और फिर 14 दिसंबर को पैदल दिल्ली में प्रवेश करने की तीन कोशिशें की थीं। हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें आगे बढ़ने नहीं दिया. 

फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों की वापसी और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की मांग कर रहे हैं. 

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भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों का हिस्सा है. 

किसान की अस्‍पताल में मौत 

14 दिसंबर को किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच शंभू बॉर्डर पर जहरीला पदार्थ खाकर कथित तौर पर आत्महत्या करने का प्रयास करने वाले 57 सा के शख्‍स की बुधवार को पटियाला के सरकारी अस्पताल में मौत हो गई.

किसान नेताओं ने कहा कि लुधियाना जिले के रतनहेड़ी गांव के किसान रणजोध सिंह ने कथित तौर पर यह कदम उठाया क्योंकि वह किसान नेता जगजीत सिंह डल्‍लेवाल के बिगड़ते स्वास्थ्य से परेशान थे, जो 26 नवंबर से खनौरी सीमा पर आमरण अनशन पर बैठे हैं. 

सिंह के परिवार में उनके माता-पिता, पत्नी, बेटी और एक बेटा है. वह विभिन्न मांगों के समर्थन में शंभू बॉर्डर पर चल रहे विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे. 


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