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चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर SC करेगा 19 फरवरी को सुनवाई

2023 के कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 19  फरवरी को सुनवाई करेगा. CEC 18 फरवरी को रिटायर होने वाले हैं. कोर्ट ने कहा कि इस बीच कुछ होता है तो अदालत के फैसले के अधीन होगा. दरअसल प्रशांत भूषण ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच के सामने केस को उठाया. उन्होंने कहा कि इस केस पर 12 फरवरी को सुनवाई होनी थी, लेकिन वो लिस्ट नहीं हो रहा है. CEC राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करे क्योंकि सरकार नए CEC की नियुक्ति कर सकती है.  इस पर जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि अदालत के फैसले के परिणाम अवश्यंभावी रूप से आएंगे, भले ही इस बीच कुछ हुआ हो, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है. 

9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 2023 के कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा था कि यह मामला कानून बनाने की विधायी शक्ति बनाम अदालत की राय होगा, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 4 फरवरी तक टाल दी थी. 

याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन (NGO) की ओर से  जस्टिस सूर्यकांत  की पीठ को सूचित किया गया था कि मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर होने वाले हैं और अगर अदालत ने हस्तक्षेप नहीं किया तो नये कानून के तहत एक नया CEC नियुक्त किया जाएगा. वकील ने कहा था कि  अदालत ने 2 मार्च 2023 के अपने फैसले में CEC और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल करते हुए एक पैनल का गठन किया था, लेकिन नए कानून के तहत चयन समिति में प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, नेता प्रतिपक्ष या लोकसभा में सबसे बड़े विरोधी दल के नेता शामिल होंगे. उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को चयन समिति से हटा दिया है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 फरवरी की तारीख तय करते हुए कहा था कि वह देखेगी कि किसकी राय सर्वोच्च है.

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पीठ ने कहा कि यह अनुच्छेद-141 के तहत अदालत की राय बनाम कानून बनाने की विधायी शक्ति होगा. प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को नियंत्रित नहीं कर सकती, क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए खतरा होगा. उन्होंने कहा कि हमारा विचार है कि सरकार मुख्य न्यायाधीश को उस चयन समिति से नहीं हटा सकती,जिसके गठन का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को दिया था. याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि सरकार ने 2 मार्च 2023 के फैसले का आधार नहीं बदला है और एक नया कानून बनाया है. शंकरनारायणन ने कहा कि केंद्र के पास फैसले से बचने का एकमात्र तरीका संविधान में संशोधन करना और कानून पर अमल नहीं करना था. सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च 2024 को 2023 के उस कानून के तहत नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
 



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