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मुख्तार अंसारी को यूपी की जेल से दूसरे राज्य में ट्रांसफर करने अर्जी पर SC शुक्रवार को करेगा सुनवाई

यूपी के बाहुबली मुख्तार अंसारी ( Mukhtar Ansari) को यूपी की बांदा जेल से किसी दूसरे राज्य में ट्रांसफर करने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने इस बीच मुख्तार के याचिकाकर्ता बेटे उमर अंसारी को अपनी अर्जी में सुधार कर दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट में मुख्तार के वकील ने कहा कि यूपी की जेल में उनकी जान को खतरा है. इनको कभी भी मरवाया जा सकता है.  इस पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कि एक बार प्रधानमंत्री को भी उनके खुद के सुरक्षा गार्ड गोली मार चुके हैं हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उमर के वकील को अपनी याचिका में संशोधन दोबारा दाखिल करने के लिए कहा है.

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गैर बीजेपी शासित किसी दूसरे राज्य की जेल में ट्रांसफर करने की मांग

यूपी के बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने पिता को यूपी की बांदा जेल से गैर बीजेपी शासित किसी दूसरे राज्य की जेल में ट्रांसफर करने की मांग की है. उमर अंसारी का कहना है कि बांदा जेल में उनके पिता की हत्या की साजिश रची जा रही है, यानी उनकी जान को किसी भी समय खतरा है इसलिए कोर्ट यूपी से बाहर किसी गैर-बीजेपी शासित राज्य की जेल में उनको शिफ्ट कर दिया जाए.

पिता मुख्तार हैं खतरे की जद में : बेटा

उमर के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जेलों में गंभीर अपराधों के आठ आरोपी और अन्य लोग यूपी टास्क फोर्स के हाथों मारे जा चुके हैं. अब मुख्तार और उसके भाई सहित तीन आरोपी ही बचे हैं. हम चाहते हैं कि हाईकोर्ट उनको समुचित सुरक्षा मुहैया कराए. मूल रूप से मुख्तार को पंजाब में दर्ज मामले में गिरफ्तार किया गया था. फिर उनको उत्तर प्रदेश लाया गया और बांदा जेल में बंद कर दिया गया. वहां वो खतरे की जद में हैं. हमारी इस अर्जी के दाखिल होने के बाद भी न्यायिक हिरासत में एक कैदी की हत्या हो गई.

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हमें मालूम है पूर्ण सुरक्षा किसी को नहीं दी जा सकती : जस्टिय रॉय

जस्टिस रॉय ने कहा कि सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर पहले ही आदेश जारी कर दिए गए हैं. हमें मालूम है कि किसी को भी पूर्ण सुरक्षा नहीं दी जा सकती. प्रधानमंत्री भी अपनी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पाए. उनके निजी सुरक्षाकर्मियों ने हत्या कर दी थी. अंसारी की ओर से कहा गया कि मुझे वहां से बाहर किया जाए. कोर्ट तय कर दे कि कहां भेजा जाए. उत्तर प्रदेश सरकार की पैरवी करते हुए ASG ने कहा कि अनुमान और आशंका के आधार पर दाखिल इस याचिका पर सुनवाई ही नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने भी इस पर सहमति जताते हुए कहा कि हां इस याचिका में लिखित रूप से कुछ नहीं है, सिर्फ कोर्ट में मौखिक तौर पर ही राज्य से बाहर भेजे जाने की दलील दी गई है. सिब्बल ने फिर कहा कि याचिकाकर्ता के पिता जेल में पीड़ित हैं. लिहाजा उसने दूसरी जेल में शिफ्ट करने की गुहार लगाई है. इस गंभीर मामले पर इसी महीने कुछ करने की जरूरत है.

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