देश

सेबी ने T+0 सेटलमेंट के बीटा संस्करण को लॉन्च करने की दी मंजूरी, FPI को मिली राहत

सेबी बोर्ड ने शुक्रवार को अपनी बैठक के दौरान प्रस्तावों को मंजूरी दी…

नई दिल्‍ली :

भारतीय कैपिटल मार्केट की रेग्‍युलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शुक्रवार को वैकल्पिक आधार पर टी+0 सेटलमेंट के बीटा वर्जन को लॉन्‍च करने की मंजूरी दे दी है. सेबी ने नए और वैकल्पिक सेटलमेंट सर्कल की घोषणा की है. प्रतिभूति बाजार अब तक T+1 सेटलमेंट सर्कल पर काम कर रहे थे. सेबी ने 2021 में T+1 सिस्‍टम शुरू किया था. इसको कई चरणों में लागू किया गया. अंतिम चरण जनवरी 2023 में पूरा हुआ. T+0 सेटलमेंट सर्कल अब T+1 सर्कल के साथ एक ऑप्‍शन के रूप में उपलब्‍ध कराया जाएगा.     

एफपीआई के लिए छूट

यह भी पढ़ें

-ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए, बोर्ड ने एक ही कॉर्पोरेट समूह में अपने इंडिया इक्विटी एयूएम का 50% से अधिक रखने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए अतिरिक्त प्रकटीकरण आवश्यकताओं से छूट देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. 

-एफपीआई में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए बोर्ड ने एफपीआई द्वारा मटेरियल चेंज को बताने के लिए समयसीमा में छूट देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.

-इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए, एफपीआई द्वारा अधिसूचित किए जाने वाले आवश्यक महत्वपूर्ण परिवर्तनों को दो श्रेणियों- टाइप I और टाइप II में वर्गीकृत किया जाएगा.

अन्य मुख्य बातें

  • कई स्‍वीकृतियों के साथ ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के उद्देश्य से सेबी ने अनिवार्य किया है कि एक वैकल्पिक निवेश कोष (AIF), उसके प्रबंधक और प्रमुख प्रबंधन कर्मियों को अपने निवेशकों और निवेश दोनों का ‘विशिष्ट’ ध्‍यान रखना चाहिए.
  • इसने प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश और धन जुटाने के लिए आने वाली कंपनियों के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए इक्विटी शेयरों के सार्वजनिक/राइट्स इश्यू में 1% सुरक्षा जमा की आवश्यकता को खत्म करने का निर्णय लिया है.
  • इसमें कहा गया है, ”पोस्ट-ऑफर इक्विटी शेयर पूंजी के पांच प्रतिशत से अधिक रखने वाले प्रमोटर समूह संस्थाओं और गैर-व्यक्तिगत शेयरधारकों को प्रमोटर के रूप में पहचाने बिना न्यूनतम प्रमोटर के निवेश में योगदान करने की अनुमति दी जाएगी.”
  • बोर्ड ने सूचीबद्ध इकाई के इक्विटी शेयरों के मटेरियल वैल्‍यू मूवमेंट के संदर्भ में रूमर वेरिफिकेशन के लिए निर्दिष्ट एक समान रूप से मूल्यांकन मानदंड को भी मंजूरी दे दी.
  • सूचीबद्ध संस्थाओं के लिए बाजार पूंजीकरण आधारित अनुपालन आवश्यकताओं को एक दिन के बजाय 31 दिसंबर को समाप्त होने वाले 6 महीनों के औसत बाजार पूंजीकरण के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.
  • बाजार पूंजीकरण आधारित प्रावधानों के  ‘सनसेट क्लॉज’ को समाप्त करने के लिए तीन साल की एक समयसीमा भी लाई जा रही है.
यह भी पढ़ें :-  हिंडनबर्ग का मकसद देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना है : बैंकिंग विशेषज्ञ अश्विनी राणा

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button