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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी का दावा, रिसर्च का नकाब पहन कर हिंडनबर्ग कर रहा था यह काम


नई दिल्ली:

अमेरिकी इंवेस्टमेंट रिसर्च फर्म और शॉर्ट सेलिंग ग्रुप हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपना बोरिया-बिस्तर समेटने की घोषणा कर दी है. इसके संस्थापक नाथन एंडरसन ने कहा है कि उन्होंने हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने का फैसला किया है.एंडरसन की घोषणा के बाद देश के वरिष्ठ वकील और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च एक संदेहास्पद संस्था था. उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च का काम कुछ और था वह दिखाती कुछ और था. उन्होंने कहा कि उसका काम भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करना था. उन्होंने कहा कि रिसर्च  हिंडनबर्ग रिसर्च का नकाब था.

रिसर्च था हिंडनबर्ग का मुखौटा

रोहतगी ने यह बात एनडीवीटीवी के कार्यक्रम मुकाबला में कही.रोहतगी ने हिंडनबर्ग रिसर्च को एक संदेहास्पद संस्था बताया है. उन्होंने कहा कि अपने आप को रिसर्च संस्थान बताने वाली संस्था खुद को शार्ट शेलर क्यों बताती है. उन्होंने कहा कि रिसर्च एक अलग काम है और मार्केट में शार्ट सेलिंग एक अलग काम, कोई जानकारी देकर मार्केट से मुनाफा कमाना अलग किस्म का काम है. उन्होंने कहा कि रिसर्च हिंडनबर्ग रिसर्च का नकाब है, उसका असली काम अस्थिरता पैदा करना है. इसलिए उसने भारत के शेयर बाजार को अस्थिर करने के कई प्रयास किए. उसने औद्योगिक घरानों को निशाना बनाया, इससे बाजार में अफरा-तफरी हुई. इससे निवेशकों को बहुत अधिक नुकसान हुआ. 

निवेशकों को हुए नुकसान के भरपाई के सवाल पर रोहतगी ने कहा कि इस संबंध में एक्शन अडानी ग्रुप भी ले सकता है और भारत सरकार भी ले सकती है. उन्होंने कहा कि सेबी, आरबीआई और  निवेशकों का कोई संगठन भी कार्रवाई कर सकती है. लेकिन यह एक बहुत लंबी और पेचिदा प्रक्रिया है. इससे बहुत फायदा भी नहीं होने वाला है. उन्होंने कहा कि इसकी जगह पर सेबी और आरबीआई को इन चीजों को सख्ती से लेना चाहिए और इनसे निपटने के लिए खास नियम बनाने चाहिए. उन्हें ऐसे कदम उठाने चाहिए कि इस तरह की रिपोर्ट आने की दशा में मार्केट पर कोई प्रभाव न पड़े.

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कैसे निपट सकती है सेबी

इस शो के एक दूसरे मेहमान और सेबी के पूर्व अधिकारी जेएन गुप्ता ने कहा कि इस मामले में सबसे अजीब बात यह रही है कि एक अनजान आदमी की संस्था की रिपोर्ट पर भारत के राजनीतिक दलों ने किस तरह से प्रतिक्रिया दी. इन लोगों ने न कंपनी पर विश्वास किया न सेबी पर विस्वास किया और न ही बैंकर पर विश्वास किया. गुप्ता ने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद जिन लोगों ने पैनिक क्रिएट किया और जिससे निवेशकों का नुकसान हुआ, उन लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सेबी का एक नियम भी इसको लेकर है. सबको इस कानून के दायरे में लाकर कार्रवाई करनी चाहिए.

अरावली फोरम के प्रमुख रजत सेठी ने आशंका जताई कि हिंडनबर्ग जैसे दूसरे रिसर्च संस्थान भविष्य में आते रहेंगे. क्योंकि फ्री वर्ल्ड में उनको रिपोर्ट पब्लिश करने से रोक पाना संभव नहीं है. वो हम पर लगातार आरोप लगाएंगे. उन्होंने कहा कि ऐसे में सेबी की यह बड़ी जिम्मेदारी है कि वो छोटे निवेशकों को जागरूक करे. उन्होंने कहा कि सेबी को निवेशकों को यह बताना होगा कि इस तरह की किसी रिपोर्ट पर जब तक हम कोई राय न दे दें वो मार्कट को लेकर कोई धारणा न बनाएं. इसके साथ ही भारत की संस्थाओं को मजबूती से पेश आना होगा. सेठी का कहना था कि इससे भी ज्यादा जरूरी यह है कि इस तरह की रिपोर्ट पर विपक्ष को जिम्मेदारी से पेश आना चाहिए. उन्होंने कहा कि विपक्ष को विदेशी संस्थाओं की रिपोर्ट से अधिक अपने देश में सेबी और सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं पर अधिक भरोसा करना चाहिए. 

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हिंडनबर्ग के संस्थापक की घोषणा

अमेरिकी इंवेस्टमेंट रिसर्च फर्म और शॉर्ट सेलिंग ग्रुप हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपना बोरिया-बिस्तर समेटने की घोषणा कर दी है. इसके संस्थापक नाथन एंडरसन ने कहा है कि इस फैसले की जानकारी उन्होंने अपने परिवार, दोस्तों और अपनी टीम के सदस्यों को पिछले साल के अंत में ही दे दी थी. एंडरसन ने यह फैसला ऐसे समय लिया है, जब तीन दिन बाद ही अमेरिका में सत्ता परिवर्तन होने वाला है. चुने गए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप 20 जनवरी को शपथ लेंगे. 

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