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शंभू बार्डर केस : किसान शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे, उनके खिलाफ बल प्रयोग न हो – सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली:

शंभू बार्डर किसान आंदोलन मामले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. सुनवाई में एसजी तुषार मेहता ने कहा कि एक समिति गठित की गई थी. समिति की प्रगति हमारी अपेक्षा से धीमी है…लेकिन फिर भी, एक रिपोर्ट आ गई है. पंजाब एजी ने कहा कि अच्छे मुद्दे सुझाए गए हैं और वे सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह प्रारंभिक रिपोर्ट है. पंजाब एजी ने कहा कि अगर अभी हो रहे विरोध प्रदर्शन के लिए कुछ किया जा सकता है और अभी ज़मीन पर कुछ घटनाएं हो रही हैं.. तो समिति ने थोड़ा व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है.

किसी भी तरह का बल प्रयोग न करें

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह आपके राज्य के भौगोलिक हिस्से में हो रहा है, कृपया किसी भी तरह का बल प्रयोग न करें. हम किसानों को भी हिंसक न होने की सलाह देंगे. आखिरकार यह सब शांतिपूर्ण विरोध का गांधीवादी दर्शन है. इसे गांधीवादी तरीके से चलने दें. हाईवे की नाकाबंदी एक कारण से की गई है और हम चाहते हैं कि उस कारण की पहचान की जाए. ⁠कारण पूरी तरह या आंशिक रूप से सही हो सकता है. हम ऐसा कोई निर्देश जारी करने के लिए इच्छुक नहीं हैं जिसे लागू करना मुश्किल हो. पंजाब AG ने कहा कि राज्य की वित्तीय स्थिति खराब है, मुख्य राजमार्ग हर समय अवरुद्ध रहते हैं.

कमेटी के काम से संतुष्ट सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति किसानों को कुछ समय के लिए आंदोलन स्थगित करने के लिए मनाने में सबसे बेहतर स्थिति में हो सकती है. 1947 का इतिहास [गांधीवादी दर्शन] के कई उदाहरण है. समिति का प्राथमिक कार्य अब किसानों को उनके कार्य करने के तरीके के प्रति पूर्वाग्रह के बिना राजी करना होगा. उन्हें राजमार्ग से हटने या अपना आंदोलन स्थगित करने के लिए राजी करना होगा.  ⁠यह कठोर मौसम भी अच्छा नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी की अभी तक के प्रगति पर संतोष जताया. कोर्ट ने कहा कि कमेटी अच्छा काम कर रही है.

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तब तक आंदोलन स्थगित किया जा सकता है…

सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज़ पेपर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा किसान नेता जगजीत सिंह जो 17 दिनों से भूख हड़ताड़ पर है, वो सीनियर सिटीजन है. उन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत भी है. ऐसे में राज्य सरकार और केंद्र की जिम्मेदारी है कि वो उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों को मनाने के लिए कमेटी ही सबसे बेहतर हो सकती है. फिलहाल वे आंदोलन स्थगित कर सकते हैं, वे आंदोलन को दूसरी जगह शिफ्ट भी कर सकते हैं. हम यह नहीं कह रहे हैं कि उन्हें विरोध नहीं करना चाहिए. जब तक बातचीत चल रही है, तब तक आंदोलन स्थगित किया जा सकता है.

अब 17 दिसंबर को होगी मामले की सुनवाई

अगर कोई नतीजा नहीं निकलता है, तो आंदोलन जारी रख सकते हैं. कमेटी का प्राथमिक कार्य किसानों को आंदोलन स्थानांतरित करने या अस्थायी रूप से स्थगित करने के लिए राजी करना है ताकि हाईवे को ब्लॉक करने का मसला समाप्त हो सके. कमेटी को मुद्दों को हल करने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए. SG ने एक वकील के कार में बैठकर बहस करने पर आपत्ति जाहिर की. उन्होंने कहा इस तरह से बहस करना बंद होना चाहिए, ये कोर्ट के प्रति असम्मान है. जिसपर जस्टिस सूर्यकांत ने मुस्कुराते हुए कहा “ये चंडीगढ़ के बिगड़े वकील है”. उसके बाद कोर्ट में मौजूद सभी हंसने लगें. इस मामले में अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई मे अदालत देखेगा कि अबतक क्या प्रगति हुई है.

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पिछली सुनवाई में क्या कुछ हुआ

पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों की शिकायतों को सुलझाने के लिए एक हाई पावर्ड कमेटी बनाई है. इस कमेटी का गठन पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति नवाब सिंह की अध्यक्षता में किया गया है. पिछले दिनो कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट मे अपनी स्टेटस रिपोर्ट सौंपी है. कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर को बातचीत के लिए बुलाने को कहा है. 

नेशनल हाईवे पार्किंग नहीं

पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर को आंशिक रूप से खोलने का आदेश दिया था. इस हिसाब से, दोनों तरफ़ से एक-एक लेन इमरजेंसी और जन सुविधा के लिए खोली गई थी।. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को चेतावनी दी है कि वे राजनीतिक दलों से दूरी बनाकर रखें और किसान अगर चाहें, तो अपने आंदोलन को वैकल्पिक जगहों पर स्थानांतरित कर सकते हैं. सुनवाई के दौरान.सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि नेशनल हाईवे कोई पार्किंग स्थल नहीं हैं.


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