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'एक चुनाव' पर शशि थरूर की '362' वाली खुशी BJP के लिए कितनी टेंशन है?


नई दिल्ली:

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तमाम अन्य मुद्दों के बीच जिस एक मुद्दे को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो है एक देश एक चुनाव. मंगलवार को केंद्रीय मत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में एक देश एक चुनाव के लिए 129वां संविधान संसोधन बिल पेश किया. जब कई दलों ने इस बिल को पेश करने पर आपत्ति जताई तो इसे दोबारा से पेश करने को लेकर वोटिंग कराई गई. वोटिंग में इसके समर्थन में ज्यादा वोट पड़े और इसे एक बार फिर पेश किया गया. इस बिल को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष अपने-अपने दावे कर रही है. केंद्र सरकार का कहना है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना देश हित में है वहीं, विपक्ष इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ बता रहा है. विपक्ष में बैठी कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने कहा कि सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पेश जरूर कर दिया हो लेकिन इसे पास कराने के लिए जो दो तिहाई बहुमत सरकार को चाहिए वो सदन में उसके पास नहीं है. ऐसे में इसे पास करा पाना संभव नहीं है. थरूर के दावे ने सदन में हासिल समर्थन को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है. चलिए हम आपको विस्तार से बताते हैं कि की आखिर ये नंबर है क्या? 

एक देश एक चुनाव का नंबर गेम

आपको बता दें कि नियमों के मुताबिक सदन में किसी संसोधन को पास कराने के लिए कुल सदस्यों की तुलना में दो तिहाई सदस्यों का इस संसोधन के समर्थन में होना जरूरी है. यानी केंद्र के पास अगर दो तिहाई यानी 362 सदस्यों का समर्थन हासिल है तो वो किसी भी संसोधन को बगैर किसी रोकटोक के आसानी से पास करवा सकता है. इस बिल को लोकसभा में पेश करने को लेकर जो वोटिंग कराई गई थी उसमें 461 वोट में से केंद्र सरकार के पक्ष में कुल 263 सदस्यों ने वोटिंग की थी जबकि इसके खिलाफ 198 वोट पड़े थे.हालांकि EVM से पहली वोटिंग में स्क्रीन पर पक्ष में 220 वोट दिखाई दे रहे थे. बाद में पर्ची से दोबारा वोटिंग हुई और फिर पक्ष में 263 वोट पड़े.

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बताया जा रहा है कि बीजेपी अपने उन 20 सांसदों से भी खासी नाराज है जो विप जारी किए जाने के बाद भी सदन में गैरहाजिर रहे.चुकि बिल को पेश करने के लिए सामान्य बहुमत की जरूरत होती है, यही वजह थी कि उसे (केंद्र को) दिक्कत नहीं हुई. वहीं बात अगर राज्यसभा की करें तो वहां भी बीजेपी के पास दो तिहाई बहुमत नहीं है. 250 सदस्यीय राज्यसभा में एनडीए के समर्थन में कुल 121 सदस्य बताए जाते हैं जबकि किसी बिल को पास कराने के लिए कम से कम 167 सदस्यों का उसके समर्थन में होने जरूरी होता है. 

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कांग्रेस समेत कई दलों ने जताया था विरोध 

एक देश एक चुनाव को लेकर उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की एनसीपी और उसके साथ-साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और इंडियन यूनियन मुस्लिम ली सहित कई छोटे दलों ने भी विरोध जताया था. इन दलों का मानना है कि एक देश एक चुनाव देश के हित में नहीं है. 

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थरूर ने केंद्र को दिलाई संख्या बल की याद 

एक देश एक चुनाव को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लोकसभा में केंद्र के पास दो तिहाई बहुमत ना होने की बात कही. उन्होंने कहा कि सरकार के पास बहुमत जरूर है लेकिन सदन में इस संसोधन बिल को पास कराने के लिए सरकार को दो तिहाई बहुमत की जरूरत है. जो उनके पास नहीं दिखती है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह इसपर (एक देश एक चुनाव बिल) पर अधिक समय तक जोर ना दें. नियमों के अनुसार संविधान में इन संशोधनों को लोकसभा से पारित होने के लिए उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई समर्थन की जरूरत होगी. 

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कांग्रेस ने कहा, अकेले हम ही नहीं कई दल भी है इसके खिलाफ

कांग्रेस पार्टी ने इस बिल को लोकसभा में पेश होने के लोकर मंगलवार को कहा कि सरकार को ये बात समझनी चाहिए कि सिर्फ कांग्रेस ही इस संसोधन बिल के खिलाफ नहीं है. हमारे साथ-साथ कई ऐसे दल हैं जो इसके खिलाफ हैं और नहीं चाहते कि देश में एक साथ ही चुनाव कराए जाएं. कांग्रेस ने कहा कि इस विधेयक को पास करने के लिए यदि मतदान होता तो इसके लिए 307 सदस्यों का इसके पक्ष में होना जरूरी था. लेकिन इसे पेश करने के पक्ष केवल 263 सदस्यों ने वोटिंग की. इससे ये साफ हो जाता है कि इस विधेयक को समर्थन नहीं है. 
 

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