शिंदे ने CM पद छोड़ा, त्यागना होगा गृह विभाग का मोह? महायुति में कैसे होगा मंत्रालयों का बंटवारा
मुंबई:
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आने के 13 दिन बाद गुरुवार को आखिरकार महायुति की सरकार बन गई. देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. एकनाथ शिंदे और अजित पवार भी डिप्टी CM बन चुके हैं. सरकार तो बन गई, लेकिन कुछ सवालों के जवाब अभी मिलने बाकी हैं. एक बड़ा सवाल यह है कि किस पार्टी को कौन से मंत्रालय मिल रहे हैं. सस्पेंस इस बात को लेकर भी है कि क्या एकनाथ शिंदे को गृह मंत्रालय मिलेगा या BJP उसे अपने पास रखेगी. एकनाथ शिंदे ने इससे पहले CM पद का त्याग किया था. उन्होंने कहा था कि उन्हें BJP का CM मंजूर है. अब सवाल है कि क्या शिंदे एक बार फिर BJP के लिए गृह मंत्रालय का मोह छोड़ देंगे?
फडणवीस सरकार ने 7 से 9 दिसंबर तक विधानसभा का सत्र बुलाया है. इस दौरान स्पीकर का चुनाव होगा. फिर कैबिनेट का विस्तार किया जा सकता है. महाराष्ट्र विधानसभा के सबसे वरिष्ठ विधायक होने के नाते कालिदास कोलंबकर ने शुक्रवार को विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ ली. वे शनिवार से शुरू हो रहे 3 दिनों के विशेष सत्र में नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे.
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फडणवीस को साबित करना होगा बहुमत
इसी सत्र के दौरान देवेंद्र फडणवीस की सरकार को फ्लोर टेस्ट देकर बहुमत साबित करना होगा. फिर नए विधानसभा स्पीकर का चुनाव होगा. हालांकि, बहुमत साबित करने में फडणवीस सरकार को कोई दिक्कत नहीं आएगी, क्योंकि महायुति सरकार के पास बहुमत के आंकड़े 145 से कहीं ज्यादा नंबर हैं. चुनाव में महायुति ने 230 सीटों पर जीत हासिल की थी. BJP ने अकेले 132 सीटें जीती थीं.
BJP का दावा- महायुति में दरार नहीं
ऐसे में CM देवेंद्र फडणवीस के लिए विश्वास मत हासिल करना एक औपचारिकता भर रह गई है. शपथ लेने के बाद हुई पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि मंत्रालयों के बंटवारे की प्रक्रिया करीब पूरी हो चुकी है. BJP का दावा है कि मंत्रालय के बंटवारे को लेकर महायुति के बीच कोई दरार नहीं है. फडणवीस बाकी दोनों घटक दलों की राय लेकर ही मंत्रिमंडल विस्तार पर अंतिम निर्णय लेंगे.
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गृह, नगर विकास और राजस्व मंत्रालय पर अटका पेच
हालांकि, सूत्र बताते हैं कि अभी कुछ अहम मंत्रालयों को लेकर पेच फंसा हुआ है. यह मंत्रालय हैं- गृह, नगर विकास और राजस्व. NCP (अजित पवार गुट) की मांग वित्त और सिंचाई मंत्रालय की है. महायुति में इसे लेकर कोई विवाद नहीं है. जबकि शिवसेना गृह, नगर विकास और राजस्व मंत्रालय मांग रही है. BJP ये मंत्रालय देने को राजी नहीं है.
जब एकनाथ शिंदे ने किया था त्याग
चुनाव में भारी जीत के बाद माना जा रहा था कि देवेंद्र फडणवीस ही CM बनेंगे. दूसरी तरफ, एकनाथ शिंदे के लिए भी जोर आजमाइश की जा रही थी. जबकि अजित पवार ने अपने पत्ते नहीं खोले थे. इसी बीच एकनाथ शिंदे ने 27 नवंबर को बड़ा त्याग कर दिया. उन्होंने महाराष्ट्र के CM पद का दावा छोड़ दिया. शिंदे ने कहा, “मैंने कभी भी अपने आप को मुख्यमंत्री नहीं समझा. मैंने हमेशा आम आदमी बनकर काम किया. राज्य को चलाने के लिए केंद्र सरकार का साथ जरूरी है. मुझे पद की लालसा नहीं है. हम लड़ने वाले लोग नहीं हैं. हम काम करने वाले लोग हैं. सरकार बनाने में हम अड़चन नहीं बनेंगे.”
शिंदे ने कहा था, “मैंने PM और गृह मंत्री से भी कह दिया है कि महाराष्ट्र में कोई स्पीड ब्रेकर नहीं है. कोई नाराज नहीं है. कोई गायब नहीं है. यहां कोई मतभेद नहीं है. एक स्पीड ब्रेकर था- महा विकास अघाड़ी. अब वो भी हटा दिया गया है. PM मोदी-अमित शाह का जो भी फैसला लेंगे, वो हमें स्वीकार है. BJP की बैठक में आपका कैंडिडेट चुना जाएगा, वो भी हमें स्वीकार है. हम सरकार बनाने में अड़चन नहीं हैं.”
6-1 फॉर्मूले पर पावर शेयरिंग
महाराष्ट्र में पावर शेयरिंग के लिए 6-1 का फॉर्मूला तय हुआ है. इसका मतलब ये है कि 6 विधायक पर एक मंत्रिपद मिलेगा. इस फॉर्मूले के तहत BJP अपने पास 20 से 22 मंत्री पद रखेगी. एकनाथ शिंदे गुट के पास 12 मंत्रालय होंगे. जबकि अजित पवार गुट को 9 से 10 मंत्री पद दिए जा सकते हैं.
शिंदे गुट को 12 विभाग दिए जाने की चर्चा
मीडिया रिपोर्ट में संभावित राज्य कैबिनेट को लेकर भी अटकलें लगाई गईं. कहा गया कि BJP एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को राज्य में तीन बड़े विभागों समेत कुल 12 मंत्री पद दे सकती है. जबकि, महायुति गठबंधन में तीसरी पार्टी अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP को कैबिनेट में 9 सीटें मिल सकती हैं. महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 43 मंत्री हो सकते हैं. ऐसी चर्चा है कि BJP 50% मंत्री पद अपने पास रखेगी.
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