प्रधानमंत्री मोदी के संकेत देने के बाद शिवराज चौहान के दिल्ली में बड़ी भूमिका निभाने की संभावना
पीएम मोदी ने 24 अप्रैल को राज्य के हरदा में एक रैली में चौहान की प्रशंसा करते हुए कहा था कि उन दोनों (मोदी और चौहान) ने पार्टी संगठन और मुख्यमंत्रियों के रूप में एक साथ काम किया है. मोदी ने रैली में कहा था, ‘‘जब शिवराज संसद गए थे, तब मैं पार्टी महासचिव के रूप में साथ काम कर रहा था. अब मैं उन्हें एक बार फिर अपने साथ (दिल्ली) ले जाना चाहता हूं.” संयोग से, चौहान लोकसभा चुनाव में अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद दिल्ली जाने वाली ट्रेन से विदिशा पहुंचे थे. उन्होंने पिछले साल के विधानसभा चुनाव में भाजपा को शानदार जीत दिलाई थी, हालांकि पार्टी ने एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए मोहन यादव को उनका उत्तराधिकारी चुना.
शिवराज चौहान ने उस समय कहा था, ”भाजपा मेरी मां है, जिसने मुझे सब कुछ दिया है.” अपने गृह क्षेत्र बुधनी से पहली बार विधायक चुने जाने के बाद, चौहान को 1992 के लोकसभा उपचुनाव में भाजपा द्वारा मैदान में उतारा गया. तत्कालीन सांसद अटल बिहारी वाजपेयी के इस्तीफे के कारण यह उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी थी. चौहान ने बतौर सांसद 2004 तक पांच बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया और फिर इस सीट से उन्होंने इस्तीफा दे दिया तथा 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे.
विदिशा लोकसभा क्षेत्र के मूल निवासी एवं प्रदेश भाजपा सचिव रजनीश अग्रवाल ने बताया, ‘कांग्रेस केवल एक रस्म के तौर पर चुनाव लड़ रही है इसलिए यह हमारे लिए कोई चुनौती नहीं है. हम उन बूथ पर भी जीतेंगे जहां पारंपरिक रूप से कांग्रेस को वोट मिलता रहा है. हमारा लक्ष्य जीत के अंतर को बढ़ाना है. शिवराज सिंह खुद इस निर्वाचन क्षेत्र के हर हिस्से तक पहुंच रहे हैं.’
चुनाव प्रचार अभियान के दौरान, चौहान को अपनी पत्नी साधना सिंह के साथ, चाय पीते और चाट एवं समोसे का आनंद लेते तथा उस दौरान रेहड़ी वालों के साथ बातचीत करते देखा जा सकता है. वह मतदाताओं, विशेषकर महिलाओं से मिलने का भी प्रयास करते हैं, जो उनके जनाधार का एक बड़ा हिस्सा हैं. वहीं, कांग्रेस के विदिशा जिला अध्यक्ष मोहित रघुवंशी ने चौहान पर स्थानीय सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री होने के बावजूद इस संसदीय क्षेत्र की अनदेखी करने का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा नेता ने वादे पूरे नहीं किए हैं.
रघुवंशी ने कहा, ‘चौहान दो दशकों तक राज्य में भाजपा का मुख्य चेहरा रहे हैं. कांग्रेस द्वारा पेश की गई कड़ी चुनौती के कारण वह प्रचार अभियान में विदिशा तक ही सीमित रह गए हैं. उनकी स्थिति एक स्थानीय नेता की रह गई है.’ उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस उम्मीदवार शर्मा ने दो बार सांसद रहते हुए शैक्षणिक संस्थान स्थापित किए, वह भी ऐसे समय जब सांसदों के लिए स्थानीय क्षेत्र विकास निधि का प्रावधान नहीं था. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने बताया कि भाजपा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दबाव में चौहान को इस सीट से मैदान में उतारने के लिए ‘मजबूर’ होना पड़ा.
विदिशा लोकसभा सीट के तहत विदिशा, रायसेन, सीहोर और देवास जिलों के आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं. भोजपुर, सांची (एससी) और सिलवानी विधानसभा क्षेत्र रायसेन जिले में, विदिशा और बासौदा विदिशा जिले में, बुधनी और इछावर सीहोर जिले में और खातेगांव देवास जिले में हैं. विदिशा लोकसभा सीट के इन आठ विधानसभा क्षेत्रों में से सात पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है और चौहान बुधनी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. सुषमा स्वराज ने इस सीट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में 3.90 लाख मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. इससे पहले, कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमार पटेल का नामांकन पत्र तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया था.
एक स्थानीय भाजपा नेता के अनुसार, विदिशा लोकसभा क्षेत्र का 80 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण है और आबादी में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की बड़ी हिस्सेदारी है, जिसमें चौहान के धाकड़-किरार समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है. साथ ही, 35 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) की है. विदिशा में 19.38 लाख पात्र मतदाताओं में से 10.04 लाख पुरुष और 9.34 लाख महिलाएं हैं.