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ताशकंद समझौते की फाइल पर साइन किए और 12 घंटे बाद मौत! लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु पर क्यों आज भी रहस्य?


नई दिल्‍ली:

ताशकंद समझौते की फाइल पर साइन किए अभी महज 12 घंटे ही हुए थे और लाल बहादुर शास्त्री की मौत हो गई. 11 जनवरी 1966 की रात में रहस्यमय परिस्थितियों में भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई थी, ये रहस्‍य आज भी बना हुआ है. पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के के लिए लाल बहादुर शास्त्री ताशकंद गए थे. उज़बेकिस्तान की राजधानी है, जहां दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था.

‘यकीन ही नहीं हो रहा था कि अब शास्‍त्री जी नहीं रहे’

पत्रकार कुलदीप नैयर भी लाल बहादुर शास्त्री के साथ ताशकंद गए थे. उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘बियांड द लाइंस– एन आटोबॉयोग्राफी’ में लिखा है, ‘उस रात मैं एक बुरा सपना देख रहा था, तभी किसी ने मेरा दरवाजा खटखटाया. मैं उठा और दरवाजा खोला, तो कॉरिडोर में खड़ी एक महिला ने मुझे बताया, आपके प्रधानमंत्री की तबीयत ठीक नहीं है. मैंने कपड़े पहने और भारतीय अधिकारी के साथ कार में शास्त्री जहां ठहरे थे, वहां चल दिये. हम वहां पहुंचे, तो पता चला कि शास्‍त्री जी का निधन हो गया है. मैं हैरान रह गया… यकीन ही नहीं हो रहा था कि अब शास्‍त्री जी नहीं रहे. कुछ घंटों पहले ही तो शास्‍त्री जी हमारे बीच थे, समझौते पर साइन कर रहे थे.

‘नीला पड़ गया था शरीर, कट के थे निशान’ 

कुलदीप नैयर ने किताब में लिखा, ‘समझौते के बाद रात में 1.32 बजे दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई. शास्त्री ने रात 1.25 बजे सीने में दर्द की शिकायत की, जिसके बाद वह बेहाश हो गए और इसके 7 मिनट के अंदर ही उनकी मृत्यु हो गई. रात में सोने के पहले शास्‍त्री जी को उनके निजी सहायक रामनाथ ने दूध दिया. इसके बाद शास्त्री जी कुछ देर तक टहलने लगे. इसके बाद उन्होंने पानी मांगा. तब तक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी थी. उन्‍हें सीने में दर्द हो रहा था, उनकी सांस फूल रही थी. कुछ देर में ही शास्‍त्री जी की मौत हो गई.’  कुलदीप नैयर किताब में लिखते हैं, ‘शास्‍त्री जी का पार्थिव शरीर जब भारत पहुंचा, तो वो नीला पड़ा हुआ था, जिस पर उनकी पत्‍नी ललिता शास्‍त्री ने सवाल उठाए थे. ललिता शास्‍त्री ने ये भी पूछा था कि शरीर पर कट के निशान कैसे आए?’ हैरानी की बात यह भी थी कि ताशकंद और दिल्ली में लाल बहादुर शास्त्री का पोस्टमार्टम तक नहीं किया गया था. इस सवाल का जवाब आज भी नहीं मिल पाया है.   

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शास्त्री जी के नेतृत्व में भारत ने जीती 1965 की जंग

देश के दूसरे प्रधानमंत्री और ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देने वाले नेता लाल बहादुर शास्त्री का 11 जनवरी 1966 को निधन हुआ था. अपनी साफ-सुथरी छवि और सादगी के लिए प्रसिद्ध शास्त्री ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद नौ जून 1964 को प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया था. वह करीब 18 महीने तक देश के प्रधानमंत्री रहे. उनके नेतृत्व में भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी. ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई थी. लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था. 



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